tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post1616164443858103218..comments2024-01-10T15:57:22.152+05:30Comments on मसिजीवी: इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आजादी का मिथमसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-12670095728747802932007-12-07T13:35:00.000+05:302007-12-07T13:35:00.000+05:30जिनकी ड्यूटी है नजर रख़ने की, उन्हें रखने दीजिए न।...जिनकी ड्यूटी है नजर रख़ने की, उन्हें रखने दीजिए न। आपको डर किस बात का है ? आप अपनी अभिव्यक्ति जारी रखिए। क़ानून के नियामकों को इस बात पर निगाह रखनी पड़ती है कि कहीं कोई आतंकवादी, कोई देशद्रोही तो इंटरनेट के माध्यम से सक्रिय नहीं है ? <BR/><BR/>लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए ही ऐसा करना जरूरी हो जाता है। यदि कभी ऐसा महसूस हो कि आपके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तो आप अदालत का दरवाजा खटाखटा ही सकते हैं।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-43883403820420021052007-12-06T10:51:00.000+05:302007-12-06T10:51:00.000+05:30बिग ब्रदर इज़ वाचिंग ? तानाशाही के कितने टूल्स तंत्...बिग ब्रदर इज़ वाचिंग ? तानाशाही के कितने टूल्स तंत्र को खड़ा किये रखने की ज़रूरत के बहाने इस्तेमाल किये जा रहे हैं इसका कोई साफ हिसाब है कहीं ?Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-58821330436186560412007-12-06T07:39:00.000+05:302007-12-06T07:39:00.000+05:30नजर रखी जा रही है।नजर रखी जा रही है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-15371761609050149062007-12-06T00:11:00.000+05:302007-12-06T00:11:00.000+05:30करीब महीना भर पहले दैनिक भास्कर के स्थानीय संस्करण...करीब महीना भर पहले दैनिक भास्कर के स्थानीय संस्करण मे नई दिल्ली डेटलाईन से खबर आई थी, कि दिल्ली में बैठे गुप्तचर संस्थाओं के माध्यम से ब्लॉग्स पर नज़र रखी जा रही है, खासतौर से उन ब्लॉग्स पर जिनमें देश की राजनीति, आतंकवाद और नक्सलवाद पर लिखा जा रहा हो या चर्चा हो रही हो!!<BR/><BR/>जिस तरीके से यह सब हो रहा है यह एक लोकतंत्र की निशानी नही है, पर इन सरकारों से उम्मीद ही क्या की जाए जहां गोधरा, नंदीग्राम और बस्तर की घटनाएं होती हों।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-43955064467120795202007-12-05T22:24:00.000+05:302007-12-05T22:24:00.000+05:30आपका लेख पसंद आया, अपने ऐसे विषय को उठाया है जिस प...आपका लेख पसंद आया, अपने ऐसे विषय को उठाया है जिस पर आम ब्लोगर अभी ध्यान नहीं दे रहे हैं. यकीन करें आम आदमी को अभिव्यक्ति की आजादी नाम भर की नहीं है, जिस दिन हिन्दी ब्लोग जगत प्रभावपूर्ण होगा इस पर नियंत्रण करने के प्रयास तेज हो जायेंगे. मैं आपके समक्ष एक 'अव्यवसायिक ब्लोग लेखक संघ' बनाने का सुझाव पेश करता हूँ, मैं सक्रिय भूमिका तो नहीं निभाऊंगा पर मेरा समर्थन रहेगा. हम आपस में किसी भी बात पर मतभेद रखते हों पर अभिव्यक्ति की आजादी के लिए एक हैं <BR/><BR/>दीपक भारतदीपदीपक भारतदीपhttps://www.blogger.com/profile/09317489506375497214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-25920988672851077312007-12-05T19:45:00.000+05:302007-12-05T19:45:00.000+05:30आपकी जानकारियां चौंकाने और डरानेवाली हैं। लोकतंत्र...आपकी जानकारियां चौंकाने और डरानेवाली हैं। लोकतंत्र के भीतर तानाशाही के तत्व सेंध लगा सकते हैं। यानी, हम और हमारा लोकतंत्र महफूज नहीं है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com