tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post3982252866624182886..comments2024-01-10T15:57:22.152+05:30Comments on मसिजीवी: 1984 : एक दंगाई स्मृति कोलाजमसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-27697075696209426702007-11-02T16:47:00.000+05:302007-11-02T16:47:00.000+05:30मार्मिक!!मैं 1984 में आठ साल का था तीसरी कक्षा में...मार्मिक!!<BR/><BR/>मैं 1984 में आठ साल का था तीसरी कक्षा में पढ़ता था। आज भी याद है , तब शहर में देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए थे लेकिन उससे पहले अपनी आंखो से यह भी देख चुका था कि घर से कुछ दूरी पर ही नेशनल हाईवे पर स्थित एक सरदारजी की बड़ी सायकल स्टोर और एक बड़े टेलरिंग शॉप में कैसे लूटपाट कर उसे आग के हवाले कर दिया गया था।<BR/><BR/>आज भी वो मंजर आंखो मे घूम सा जाता हैSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-74482844999537943542007-11-02T16:07:00.000+05:302007-11-02T16:07:00.000+05:30ऐसा ही अनुभव मुझे गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में ...ऐसा ही अनुभव मुझे गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में हुआ था। <BR/>सब कुछ फिर से याद आ गया इस पोस्ट को पढ़ने के बाद।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-5095614562083876662007-11-01T23:20:00.000+05:302007-11-01T23:20:00.000+05:30kya baat kahi hai smriti kinhi behano ki mohtaaj n...kya baat kahi hai smriti kinhi behano ki mohtaaj nahi hai, baaki sampradayikta aur dhram nirpekshta me to in parties ke liye yehi keh sakte hain, "ek daal daal duja paat paat'Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-23735706826679893542007-11-01T22:16:00.000+05:302007-11-01T22:16:00.000+05:30बहुत दर्द् नाक था वह सब..आज भी उस समय के भुक्तभोग...बहुत दर्द् नाक था वह सब..आज भी उस समय के भुक्तभोगियों के जख्म नही भरे हैं...परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-61861223113169045032007-11-01T21:34:00.000+05:302007-11-01T21:34:00.000+05:30इंदिरा गांधी ने हिंदू वोट बैंक को बनाने और खींचने ...इंदिरा गांधी ने हिंदू वोट बैंक को बनाने और खींचने के लिए सिखों और हिंदुओं को लड़ाया था। लेकिन समय का खेल देखिए, इससे अंतत: कांग्रेस को नहीं, भाजपा को फायदा मिला।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-12439663057181401352007-11-01T20:30:00.000+05:302007-11-01T20:30:00.000+05:30आज आपकी लेखनी का कतरा कतरा दिल के इमानदार और संवेद...आज आपकी लेखनी का कतरा कतरा दिल के इमानदार और संवेदनशील भावों की कहानी कह रहा है. बहुत मार्मिक चित्रण किया है. अच्छाई बुराई एक ही मन में होती है-यह एक गहन सत्य है. इसे उजागर मात्र तात्कालिक परिस्थितियां कर सकती हैं.<BR/><BR/>-बहुत कुछ सोचने को मजबूर किया आज आपने.<BR/><BR/>इस बेजोड़ आलेख के लिये साधुवाद.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-73951005544176300332007-11-01T19:36:00.000+05:302007-11-01T19:36:00.000+05:30मार्मिक और दुखद.इसे पढ़कर टोबा टेक सिंह की एक कहान...मार्मिक और दुखद.<BR/><BR/>इसे पढ़कर टोबा टेक सिंह की एक कहानी याद आ गई. एक हिंदू अपने घर आता है तो देखता है की उसकी जान से भी प्यारी बेटी का किसी ने दुष्कर्म कर हत्या कर दी है. उसके आंखो में खून उतर आता है वह भी गंडासा से लेकर मुसलमान के मोहल्ले में जाता है और एक लड़की के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर देता है. हत्या करने के बाद उसके दिल को थोडी ठंडक मिलती है और लेकिन सहसा उस लड़की में उसे अपनी लड़की का चेहरा दिखता है. अब वो जब वह से जाता है तो उस लड़की का पिता घर पहुचता है और लाश को देख गंडासा उठा लेता है......<BR/><BR/> कहने का मतलब है की ऐसे कब तक चलेगा इससे तो कड़ी डर कड़ी बनती जायेगी. और रही बात तैत्लर अभी भी सांसद है की बात टू सांसद उन्हें हम और आप ने बनाया है. राजनीति पर गौर करने वाली एक <A HREF="http://merasapna.wordpress.com/2007/10/26/trust-but-dont-exceed/" REL="nofollow">पोस्ट </A>पर जरा गौर करे. यहा बात भाजपा और कांग्रेस की नही हैRajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-22640672947976183272007-11-01T18:55:00.000+05:302007-11-01T18:55:00.000+05:30आपने बहुत ही मार्मिक वर्णन किया है...पर दुख की बात...आपने बहुत ही मार्मिक वर्णन किया है...पर दुख की बात है कि हम कुछ कर नहीं पा रहे हैं....इन दंगाइयों का।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-68354189386249822872007-11-01T16:58:00.000+05:302007-11-01T16:58:00.000+05:30सही चित्रण किया आपने.वो दिन अब भी याद हैं.सही चित्रण किया आपने.वो दिन अब भी याद हैं.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-10411521717728460632007-11-01T16:45:00.000+05:302007-11-01T16:45:00.000+05:30ये जीवन की सबसे बुरी यादे मे से एक है जब हम कर्फ़्य...ये जीवन की सबसे बुरी यादे मे से एक है जब हम कर्फ़्यू से बचते बचाते अपने दोस्तो को ढूढते फ़िरते थे..और उन्हे साईकिल पर कंबल मे छुपा कर किस किस तरह से किश्तो मे अपने कमरे तक लेकर आये थे..लोग विरोध मे थे और आखिर हमे उन्हे मिलट्री की गाडी मे बैठा कर विदा करना पडा..जिन से हम काफ़ी बाद मे ही मिल पाये..Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-78372423896279727082007-11-01T16:31:00.000+05:302007-11-01T16:31:00.000+05:30माओ और स्टैलिन के शिष्य जब "अहिंसा परमो धर्म:" ,...माओ और स्टैलिन के शिष्य जब "अहिंसा परमो धर्म:" , "सर्वे भवन्तु सुखिन:", "एको सत विप्रा: बहुधा वदन्ति" आदि मन्त्रों का युगों-युगों से जाप करने वाले हिन्दुओं को शिक्षा देने उतरते हैं तो पंचतन्त्र वाले बूढ़े शेर की याद ताजी हो जाती है। दाल में कुछ काला है...अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-59089645268520645912007-11-01T16:29:00.000+05:302007-11-01T16:29:00.000+05:30यह कोलाज उस दंगे की विभीषिका का शिद्दत से अहसास कर...यह कोलाज उस दंगे की विभीषिका का शिद्दत से अहसास कराता है। <BR/><BR/>असल सवाल वही हैं जो अभय जी ने उठाए हैं।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-62229865941860064262007-11-01T16:20:00.000+05:302007-11-01T16:20:00.000+05:30वही कांग्रेस आज धर्म निरपेक्षता की राजनीति करती है...वही कांग्रेस आज धर्म निरपेक्षता की राजनीति करती है..वो हमें भाजपा की साम्प्रदायिकता से बचाना चाहती है.. क्या किया जाय.. सबसे बड़ी तक़लीफ़ तो तब होती है जब साम्प्रदायिक मन इस प्रसंग को अपनी दलील की तरह इस्तेमाल करता है..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com