tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post4362810867079112635..comments2024-01-10T15:57:22.152+05:30Comments on मसिजीवी: एक उजड्ड हिंदीवाले की ब्लॉग दिक्कतेंमसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-89622721570265515932007-03-10T12:37:00.000+05:302007-03-10T12:37:00.000+05:30"जिस शख्स ने माँ को पुकारनाभी हिंदी मे सीखा हो आज ...<B>"जिस शख्स ने माँ को पुकारना<BR/>भी हिंदी मे सीखा हो आज अगर कंप्यूटर पर बैठे बैठे पाँच दस साल निकाल चुका है और<BR/>उसने एक भी हिंदी साईट नही देखी तो इससे बढा झूठ क्या होगा? कोई जरूरत नही ऐसे<BR/>बहानेबाजो को स्पूनफीडिंग कराने की। मैने शुरू में बहुतो को आपकी तरह पकड़ पकड़ कर<BR/>पढाया, अब नहि करता। पढना है तो खुद ढूढों फोंट और पड़ लो वरना देखते रहो कटिंग<BR/>चाय।"</B><BR/>बिल्कुल सोलह आने सच और खरी बात , मैने भी बहुत झेला इन वाहियाद लोगो को , अब झेलने की कवायद खत्म , सीखना हो तो सीखो नही तो भाड मे जाओ.Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-86442630716527373272007-03-10T00:03:00.000+05:302007-03-10T00:03:00.000+05:30मैं चंद्रबिंदु वाली समस्या जरा समझा नहीं। मैंने रे...मैं चंद्रबिंदु वाली समस्या जरा समझा नहीं। मैंने रेमिंगटन कीबोर्ड मैप देखा इसके लिए Shift+W, A की हैं। या तो शायद आप कह रहे हैं कि इसे टाइप करना काफी लंबा काम है या फिर यह कि इंडिक IME से टाइप किया गया चंद्रबिंदु कुछेक जगह सही नहीं दिखता।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-57512498085926406652007-03-09T21:53:00.000+05:302007-03-09T21:53:00.000+05:30अनुनाद की टिप्पणी है -"...और विशेष रूप से बेतुकी क...अनुनाद की टिप्पणी है -<BR/><BR/>"...और विशेष रूप से बेतुकी कविताओं के बजाय..."<BR/><BR/>तो मैं स्पष्ट कर दूं -भई, मैं तो कविता तुक मिलाकर ही करता हूँ:)<BR/><BR/>वैसे मसिजीवी जी, आप यदि एमएस वर्ड इस्तेमाल करते हैं तो बायाँ आल्ट बटन दबाए रखकर न्यूमेरिक पैड से 2305 लिखेंगे तो जहाँ चाहे वहाँ चन्द्र बिन्दु लिख सकते हैं. (अन्यत्र काम नहीं करता )रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-25036906112275503232007-03-09T16:41:00.000+05:302007-03-09T16:41:00.000+05:30आपकी पोस्ट की शुरुआत अलग मुद्दे पर हुई और अंत अलग ...आपकी पोस्ट की शुरुआत अलग मुद्दे पर हुई और अंत अलग मुद्दे पर। जहाँ तक पहले मुद्दे की बात है तो मैं क्या कहूँ। कई दोस्त हैं सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल आदि कंप्यूटर की दुनिया के महारथी लेकिन हिन्दी में लिखने/पढ़ने के नाम से निरे अनपढ़ की तरह डरते हैं। इस विषय में काफी दिनों से लिखने की सोच रहा हूँ शायद जल्द ही लिखूँ।<BR/><BR/>रहा दूसरा मुद्दा विषयों की विविधता का तो उसका तो मैं घनघोर समर्थक हूँ, कई बार कह चुका हूँ। अब यहाँ कई साथी हैं जो डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर बहुत कुछ हैं लेकिन सब कवि बने बैठे हैं। ठीक है जी करो कविता लेकिन अपने विषय पर भी एक अलग ब्लॉग बनाकर हफ्ते/पंद्रह दिन में एक पोस्ट तो लिख ही सकते हो। इस बारे में <A HREF="http://drprabhattandon.wordpress.com/" REL="nofollow">डॉक्टर प्रभात टंडन</A> का उदाहरण अनुकरणीय है।<BR/><BR/>बाकी सब तो ऊपर अनुनाद जी अपनी टिप्पणी में कह ही गए हैं।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-63690328865777253282007-03-09T14:33:00.000+05:302007-03-09T14:33:00.000+05:30"बिबिध कला शिक्षा अमित,ज्ञान अनेक प्रकार।सब देसन स..."बिबिध कला शिक्षा अमित,ज्ञान अनेक प्रकार।<BR/>सब देसन से लै करहु, भासा माहिं प्रचार ॥"<BR/> -- भारतेन्दु<BR/>बस यही प्रयास नेट पर हिंदी के माध्यम से ज्ञान के साहित्य के प्रचार-प्रसार की दिशा में भी होना चाहिये.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-75396883782477982932007-03-09T11:21:00.000+05:302007-03-09T11:21:00.000+05:30मै भी इस बात पर आपसे सम्मति रखता हूँ की अब अन्तरजा...मै भी इस बात पर आपसे सम्मति रखता हूँ की अब अन्तरजालीय हिन्दी समाज को दुनिया-जहान से जुड़े मुद्दों पर लिखना और विचारना चाहिये। और विशेष रूप से बेतुकी कविताओं के बजाय विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, अर्थ, खेती-किसानी, व्यक्तित्व-निर्माण, स्वास्थ्य, मनोविज्ञान, कला, सहित अनेकानेक विषयों पर लिखना चाहिये, जिससे हिन्दी जगत मे ज्ञान की विविधता आये और विभिन्न रुचि के पाठक और लेखक इससे जुड़े।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-57273812551592251212007-03-09T10:10:00.000+05:302007-03-09T10:10:00.000+05:30बिलकुल सही !बिलकुल सही !Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-30640857044779456952007-03-09T07:22:00.000+05:302007-03-09T07:22:00.000+05:30बात आपकी जायज है। हमें अपने आस-पास की सार्थक बातें...बात आपकी जायज है। हमें अपने आस-पास की सार्थक बातें नेट पर लानी चाहियें। <B>क्योंकि हम ऐसे ही बता देते हैं कि बुड़बक आदमी हैं- प्रभुजी मेरे अवगुण चित्त न धरौ</B>पढ़कर मुस्कराया गया दुई-तीन बार!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-84516655557353585532007-03-08T21:13:00.000+05:302007-03-08T21:13:00.000+05:30गजब याददाश्त है आपकी। कहाँ से ढूँढ़ ली हमारी यह पाष...गजब याददाश्त है आपकी। कहाँ से ढूँढ़ ली हमारी यह पाषाणकालीन टिप्पणी प्रभू?Atul Arorahttps://www.blogger.com/profile/00089994381073710523noreply@blogger.com