tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post4407595354920469273..comments2024-01-10T15:57:22.152+05:30Comments on मसिजीवी: आपको न माने ताके बाप को न मानिएमसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-15358360244015628532007-06-14T07:30:00.000+05:302007-06-14T07:30:00.000+05:30अरे कहिए भी हमें कचराकार हमें टेंशन नहीं है। टेंशन...अरे कहिए भी हमें कचराकार हमें टेंशन नहीं है। टेंशन न लेने के लिए ही तो ब्लॉगिए बने। :)ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-46019253377236441112007-06-14T00:25:00.000+05:302007-06-14T00:25:00.000+05:30राजकिशोर जी ब्लागरों के साहित्य को कचरा बताकर सारे...राजकिशोर जी ब्लागरों के साहित्य को कचरा बताकर सारे ब्लागर समुदाय को पंत जी के बराबर खड़ा कर दिया।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-75953125982520937302007-06-13T13:12:00.000+05:302007-06-13T13:12:00.000+05:30भाई मसिजीवी जीयह अमुक जी ने जो पंत के साहित्य में ...भाई मसिजीवी जी<BR/>यह अमुक जी ने जो पंत के साहित्य में कचरा ढूँढा और उनके पुछल्लों के पुछल्ले भाई धमुक जी ने जो तुलसी साहित्य में से भी कूडा ढूँढ निकाला ..... यह पूरी कवायद केवल खुद दो चर्चा में बनाए रखने के लिए किया गया है. अरे भाई अगर सार्थक कुछ विचारोत्तेजक कहने के लिए नहीं है तो किसी को गाली ही दो. अगर वह नहीं तो उसे मानने वाले तो तिलमिलाएंगे और तिलमिलाएंगे तो गाली भी देंगे. गाली देंगे तो थोड़े दिन हम चर्चा में बने रहेंगे. बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा? यही फलसफा है इसके पीछे. यही फलसफा उनके पीछे भी चल रहा है जो जनसत्ता में इनका विरोध कर रहे हैं. जो जेल जाने या हिसाब बराबर करने की बात कर रहे हैं, जरा उनका इतिहास जान लें. सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. एक-दूसरे का विरोध करते हुए एक-दूसरे सारे फायदे लेते-देते रहे हैं. सारे सरकारी संस्थानों पर काबिज रहे हैं और वहाँ विचारधारा के नाम पर शुद्ध जातिवाद चलते रहे हैं. इनके तमाम चिन्टू ब्लॉगों की दुनिया में भी घुसाने में लगे हुए हैं. इसलिए ऎसी बेसिर-पैर की बातों का जवाब देने की कोइ जरूरत नहीं है. इनके कहने से पंत और तुलसी कूडा होने होते तो अब उनका नाम ही नहीं बचता. इन्हें लेना भी नहीं पड़ता। <BR/>इष्ट देव सांकृत्यायनइष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.com