tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post6593064459214123581..comments2024-01-10T15:57:22.152+05:30Comments on मसिजीवी: .......सच बड़ा मजा आएमसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-1514658158165312312007-03-04T17:07:00.000+05:302007-03-04T17:07:00.000+05:30हिंदी की चिट्ठाकारिता सॉंस लेने की हद तक स्वाभावि...<I>हिंदी की चिट्ठाकारिता सॉंस लेने की हद तक स्वाभाविक हो </I><BR/><BR/>बिल्कुल ठीक कहा है मसिजीवी आपने और आपका इस प्रकार का स्वत: और बेबाक लेखन इसमें एक मील का पत्थर होगा। जैसे कि पहले की पोस्ट - ओपेन सोर्स वाली भी थी, जेब से निकलती हुई! <BR/><BR/>यह बात भी है कि पाठक-संख्या भी कम है हिन्दी की और उसी अनुपात में लेखक भी कम। इतनी यंत्रणा भी है इसमें लिखना (यूनीकोड के बावजूद भी) तो आयेंगे तो कम लोग ही, जो इस मशक्कत को झेल कर भी कुछ लिखना ही चाहते हैं। तब तक जो हैं इसमें, वही करेंगे विविधता पूर्ण लेखन, बेबाक लेखन। नीलिमा जी ने भी अपने चिट्ठे में इसी से मिलते जुलते विचार रखे थे। <BR/><BR/>एवमस्तु।Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-7043636289253617552007-03-02T11:22:00.000+05:302007-03-02T11:22:00.000+05:30ऐसा जरूर होना चाहिए . पर जैसी स्थितियां हैं, अभी द...ऐसा जरूर होना चाहिए . पर जैसी स्थितियां हैं, अभी दिल्ली दूर दिखती है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-69471279638698547982007-03-02T09:37:00.000+05:302007-03-02T09:37:00.000+05:30सच ! बडा मज़ा आये :-)सच ! बडा मज़ा आये :-)Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-86153429133084013822007-03-02T00:57:00.000+05:302007-03-02T00:57:00.000+05:30विचार काफी सराहनीय है और दुआ है मेरी की आपके सोंच ...विचार काफी सराहनीय है और दुआ है मेरी की आपके सोंच के जैसा ही कुछ हो,प्रयास से ही बदलाब आयेगा…।बधाई हो जो इतना अच्छा कहा!!Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-47732231772868894772007-03-01T23:25:00.000+05:302007-03-01T23:25:00.000+05:30"मेरा मतलब है मैं इस चिट्ठा समुदाय को किशोर किशोरि...<I><B>"मेरा मतलब है मैं इस चिट्ठा समुदाय को किशोर किशोरियों से भरा देखना चाहता हूँ जो कभी कभी किसी गुरू गंभीर विषय पर र्भी बात कर लें तो मुझे कोई हर्ज नहीं लेकिन आम तौर पर वे आपसी छेड़छाड़, इश्क मोहब्बत, हम बड़ों की बुराइयॉं, कूल, हैंगिंग आउट, पढ़ाई ....."</B></I><BR/><BR/>मसिजीवी आश्वर्य है कि कई बार मेरी कुछ सोच आपसे बहुत मिलती है। आपके ब्लॉग 'शब्दशिल्प' में भी कई बातों में मुझे ऐसा लगा।<BR/><BR/>ये ऊपर वाली बात मैंने भी सोची है। कुछ दिन पहले पंकज भाई से गूगल टॉक पर हुई थी इस बारे में। हिन्दी चिट्ठाजगत में हम ज्यादातर लो ३०+ के ही हैं। कुछ समय से आए हैं २०-३० के बीच वाले। मेरा मानना है कि कोई भी ट्रेंड टीनेजर चलाते हैं। अगर एक बार उनमें हिन्दी ब्लॉगिंग चल निकले तो फिर यह आग की तरह फैलेगी।<BR/><BR/>दूसरी बात हिन्दी चिट्ठाकारी में विषयों का दायरा अभी तक सीमित ही है। व्यंग्य, कविताएं सीरियस किस्म के लेख आदि। टीनेजरों की रुचि का कुछ नहीं है यहाँ। अब जैसे ये सिनेमा वाला ब्लॉग है इसी तरह की और चीजें होनी चाहिए आपके शब्दों में <I>"कुछ ऐसे चिट्ठाकार बिरादरियॉं हों जहॉं देशी विदेशी गीत-संगीत नाच आदि की बातें होती हों और तीस साल से बड़े लोगों को वहॉं मुँह न लगाया जाता हो।"</I><BR/><BR/>मैं चाहता हूँ नेट पर हिन्दी की दुनिया नवरंग हो, भिन्न भिन्न विषयों पर ब्लॉग हों। तकनीकी, कहानी कविता हास्य आदि तो पहले से हैं ही टीनेजर के लिए फ्रैंडशिप साइट हों, फिल्में, वीडियो गेम से लेकर हर विषय पर ब्लॉग हों (एडल्ट छोड़कर)।<BR/><BR/><I><B>"वैसे तकनीकी तौर पर तो ये बस एक कदम भर दूर है आज एक अच्छा हिंदी स्पीच रेकगिनिशन औजार आया जो हिंदी में बोले को झट यूनीकोड में बदल दे बस फिर क्या है...."</B></I><BR/><BR/>इस बारे में भी मैंने सोचा है। एक बार ऑफिस एक्स पी का स्पीच रिकग्नीशन भी आजमाया पर वो बेचारा इंग्लिश में ही ठीक से काम नहीं करता हिन्दी में क्या खाक करता। वैसे तो अभी तक इस मामले में इंग्लिश के लिए भी कोई कामयाब टूल आया नहीं। हिन्दी के लिए तो ऐसा होना दूर की कौड़ी है, लेकिन हिन्दी कम्प्यूटिंग का अब तक का इतिहास देखते हुए ये असंभव भी नही लगता।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-20997739124181101542007-03-01T22:15:00.000+05:302007-03-01T22:15:00.000+05:30मसिजीवि बहुत ही सच्चा सीधा बयान किया है आपने ..नए ...मसिजीवि बहुत ही सच्चा सीधा बयान किया है आपने ..नए पुराने चिट्ठाकार मिलकर इस नयी दुनिया को खडा कर सकते हैं जहां हिन्दी चिट्ठाकारिता सांस लेने की हद तक स्वाभाविक होगी ।यहीं भाषा अकृत्रिम रूप में बनी रह सकती है नयी चिट्ठाकार पीढी के लिए मेरी भी यही शुभाकांक्षा है ।Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-1729537303979709652007-03-01T21:22:00.000+05:302007-03-01T21:22:00.000+05:30Bahut hee uttam vichaar hain !iss blogging kee dun...Bahut hee uttam vichaar hain !<BR/>iss blogging kee duniyaa mein aise parivartan aap jaldee hee dekheinge...<BR/>Physics wale vector kaa resultant ham zero nahin hone deinge. <BR/><BR/>kuch prateekshaa karein, aap ke sapane zaroor poore hone wale hain !<BR/><BR/>Might KnightAnonymousnoreply@blogger.com