Tuesday, November 22, 2005

गूगली अर्थ का अर्थ


Arts fac
Originally uploaded by masijeevi.

प्रसिद्ध इंटरनेट सर्च इंजन कंपनी गूगल की 'गूगल-अर्थ' नामक सेवा आजकल खासी चर्चा में है। गौरतलब है कि इसी सेवा को लेकर हमारे राष्‍ट्रपति महोदय ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इस प्रकार उपग्रह तस्‍वीरों के सहज उपलब्‍ध हो जाने से देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। राष्‍ट्रपति कलाम मूलत: एक वैज्ञानिक हैं लिहाजा वे यदि किसी तकनीक के मामले में आशंका जाहिर करें तो इस बात को संजीदगी से लिया जाना चाहिए। गूगल-अर्थ दरअसल सारी दुनिया का एक डिजीटल नक्‍शा है जो उपग्रह से ली गई तस्‍वीरों को जोड.-जोड. कर बना दिया गया है नतीजतन अब दुनिया के हर शहर उसके हर हिस्‍से, हर गली, मकान दर मकान की तस्‍वीर इस पर दर्ज है और ये तस्‍वीरें इंटरनेट पर मुफ्त उपलब्‍ध हैं। जाहिर है इनमें केवल मेरे पड़ोस के पार्क की ही नहीं- दस जनपथ, राष्‍ट्रपति निवास, प्रधानमंत्री निवास, रक्षा प्रतिष्‍ठान आदि जगहों की तस्‍वीरें भी शामिल हैं जो सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं। इन तस्‍वीरों को बारीकियों के लिहाज से उम्‍दा माना जा सकता है। हालांकि और बेहतर दर्जे की तस्‍वीरों के लिए छोटी सी रकम अदा करनी पड.ती है।

जब हम मुफ्त मुहैया कराए गए इस सॉफ्टवेयर को अपने कंप्‍यूटर में डाल लेते हैं और दुनिया की आभासी सैर पर निकल पड़ते हैं तब इससे मिलने वाले अनुभव का बखान आसानी से नहीं किया जा सकता। दुनिया की गेंद हमारे माउस के इशारे पर घूमती है, दूर और पास होती है। आभासी दुनिया, वास्‍तविक दुनिया के इतना पास कभी नहीं आई थी। हिमालय की खूबसूरत पर्वत श्रृंखलाएं, गंगा-यमुना के मनोहारी उदगम स्‍थल, गोविंदसागर का विस्‍तार और हमारे अपने बहाई मंदिर यानि 'लोटस टेंपल' का आसमानी चित्र इन सबसे गुजरना एक आजाद करने वाला अनुभव है। उदाहरण के लिए मेरी एक प्रिय जगह - दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय का कला संकाय और क्‍या?

No comments: