Sunday, March 18, 2007

कमबख्‍त 23 तारीख भी नहीं आती.....

रवि रतलामी जी ने कहीं मर्फी के नियम गिनाए थे उनमें ही यह भी जोड़ लेना चाहिए कि दुनिया मे तभी सबकुछ घट रहा होता है जबकि आपको दम मारने की भी फुरसत न हो।
अब देखिए न रात काली कर अपनी टीम को कमजोर पड़ोसी से दुरदुराया जाता देखें कि उन एसाइनमेंट को जॉंचे जिनका पहाड़ सर पर खड़ा है। ऊपर से इस चिट्ठाजगत मे मार लगी हुई है। मुखौटों तक से डर व्‍याप्‍त है, आचार संहिता बनी, अखबार मे छपास हुई, कुछ छपा कुछ नहीं, और तो और अविनाश ने घोषणा की कि उनकी नौकरी ही खतरे में पड़ गई है। लगता है NDTV ने ‘ऐसाइनमेंट’ पूरा करने की जो डेडलाइन दी थी वो निकली जा रही है और कुछ खास हो नहीं पा रहा है, वैसे उनका तो कहना है कि कोई एसाइनमेंट नही है भैया । इधर कमबख्‍त 23 तारीख भी नहीं आती.....23 इसलिए कि ये विश्‍वविद्यालय का अंतिम शिक्षण दिवस होता है फिर अनूपजी की भाषा में कहें तो हम भी खूब मौज ले पाएंगे। तब तक आप मौज लीजिए हम भी जब तब झांक लेंगे।

6 comments:

  1. Anonymous7:25 PM

    अरे २३ कितनी दूर है। मसिजीवी के मौजजीवी में रूपान्तरण का इंतजार है। वैसे मौज की टिप्पणी प्रैक्टिस तो हो ही सकती है!

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  2. Anonymous8:15 PM

    अरे हमें लगा कि आप एक बार फिर रात काली करने के लिये २३ का इंतजार कर रहे हैं यानि की श्रीलंका के साथ होने वाला मैच लेकिन आप तो अपनी मौज शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।

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  3. सही है जैसे इतने दिन गुजरे वैसे ही २३ भी आ ही जायेगी. :)

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  4. नो प्रॉब्लम जी, ४ दिन ही तो हैं, तब तक आप इंतजार का मजा लो। :)

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  5. हमें आपसे बेतरह जलन हो रही है ।

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  6. तसल्‍ली के लिए शुक्रिया अनूप, समीर, तरुण, श्रीष।
    सही पकड़ा प्रत्‍यक्षा, अरे सही मायने में तो यह जलन उत्‍पन्‍न करना ही चाह रहे थे :)
    कॉलेज की मास्‍टरी के ये ही तो मजे हैं। सही है बाकी समय खटना पड़ता है और कभी कभी संवेदनात्‍मक पाषाणों को साहित्‍य पढ़ाने की सजा भी भुगतन पड़ती है पर फिर आता है 23 मार्च से 16 जुलाई तक का समय...वाह

    बस अभी आई 23 मार्च

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