Thursday, September 11, 2008

बढ़ी सब्सिडी- सरकारी पैसे से बनें हाजी

वैसे ऐसा लिखने में चट से संघी करार दिए जाने का जोखिम है पर कम्‍यूनिस्‍ट करार व संघी करार दिए जाने का जोखिम हम पहले भी उठाते रहे हैं, एक बार और सही। आज की खबर है कि सरकार ने हज के लिए सब्सिडी फिर से बढ़ा दी है- बावजूद बेपनाह बढ़ गए ईंधन के दाम व किराए के हज करने वालों को वही बारह हजार देना होगा बाकी सरकार टैक्सपेयर्स की जेब से भरेगी। और हॉं इस बार और ज्‍यादा लोगों को हाजी होने का पुण्‍य दिलाने का ठेका सरकार ने लिया है। वैसे हमें मुसलमानों पर अधिक पैसा खर्च करने से दिक्‍कत नहीं है, सच्‍चर समिति से भी नहीं थी पर तीर्थयात्रा के लिए सब्सिडी हमें एक सबसे ऊत काम लगता है। शिक्षा, प्रवेश, पढ़ाई, वजीफा ठीक है पर क्‍योंकि ये प्रकाश की ओर ले जाने वाले कदम हैं पर धर्म के नाम पर हजारों खर्च करना वो भी अपनी मेहनत के नहीं खैरात के...ये तो ठीक नहीं। यूँ भी एक मुसलमान दोस्‍त ने बताया कि नियमत: जब ऐसा कोई व्‍यक्ति हज करता है जो खुद उसकी कीमत अदा न करे तो इसे धर्म में वर्जित किया गया है। खैर किताब कुछ भी कहती हो पर हमारा मानना है कि इस तरह के टंटे मुस्‍िलम समुदाय के आत्‍मसम्‍मान  के विरुद्ध हैं जिसका विरोध खुद इस समुदाय को भी करना चाहिए।

 

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9 comments:

  1. कांग्रेस रीति सदा चलि आई।
    देश जाय पर वोट न जाई।।

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  2. सही खबर लाये आप. लेकिन आश्चर्यजनक नहीं.

    चाहे राजनीतिज्ञ कोई हो, कोशिश जनकल्याणकारी नहीं, जनप्रिय होने की रहती है.

    यही जनतंत्र की दुखती रग है. जिस पर सब हाथ धरे बैठें हैं.

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  3. Anonymous6:40 PM

    अनुनाद जी,
    ये सिर्फ कांग्रेस की ही नहीं बल्कि सभी दलो की नीति है। तुष्टिकरण। शराब सभी में है। बस बोतल का आकार-प्रकार बदला हुआ है। किसी भी सरकार को टैक्स पेयर का पैसा लुटाने का हक नहीं होना चाहिए।

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  4. बहुत मुश्‍कि‍ल है कि‍ इसका विरोध खुद इस समुदाय के लोग कर पाएंगें। पैसे से जब धर्म बचाया जा सकता है तब धर्म के नाम पर लोग पैसे क्‍यों नहीं बचाना चाहेंगे!

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  5. यदि मेरी मानें तो हज-यात्रा पर टैक्स लगना चाहिये; क्योंकि:

    १) हज-यात्रा से भारत जैसे गरीब देश का पैसा बड़े आराम से विदेश चला जाता है।

    २) हज का लाभ अधिकांश धनी मुसलमान ही उठा पाते हैं, निर्धन मुसलमानों में इससे कुंठा और इर्ष्या की भावना उपजती होगी। इसलिये हज-यात्रा गरीब और अमीर के बीच की भावनात्मक खाई को और बड़ा कर रही है।

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  6. हम बोलेगा तो बोलेंगे कि बोलता है… इसलिये कुछ कहना बेकार है। जब "मन्नू भाई" कह चुके हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है तो फ़िर ये कुछ हजार "रुपट्टी" के लिये क्या चिल्लाना। लूटने वाला तैयार है, लुटाने वाला भी… फ़िर हम कौन होते हैं बोलने वाले… जय हो धर्मनिरपेक्षता की, जय सेकुलरिज़्म, जय कांग्रेस, जय वामपंथी लाल बन्दर… जय हो जय हो जय हो… सिर्फ़ यही देखना है कि "सेकुलर बुद्धिजीवी" नाम की "जात" इस पर क्या बोलेगी…

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  7. आपको क्या कहा जाता है, इससे डर कर मन की बात न लिखने को मैं गलत मानता हूँ. आप कर भरते है तो उसका सद-उपयोग हो ऐसा सोचना कहाँ गलत है?

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  8. मनमोहन सरकार सिर्फ वही काम कर रही है, जिसमें उसे वोट या चंदा मिलने का स्‍कोप दिखाई देता है। देशहित या जनहित से इसका कोई वास्‍ता नहीं रह गया है।

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  9. चुनाव सामने हैं और आप ऐसी बात कर रहे हैं??

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