जैसा कि अनूपजी ने बताया कि हम ताजा ताजा हाथ लगी छुट्टियों का भरपूर लाभ लेने फिर पहाड़ों की ओर पलायन कर गए थे, मानो फिर लौटना ही न पड़ेगा।
ऐसे ही मास्टर मसिजीवी सपरिवार छुट्टी मिलते ही निकल लिये सैर सपाटे को। छुट्टी मिलते ही लोग बाहर इसलिये निकल लेते हैं ताकि लौटकर कह सके -जो सुकून घर में है वो और कहीं नहीं। जब वो निकले तो हमें दे गये चर्चा का जिम्मा।
खैर.. गुरुत्वाकर्षण का नियम है कि गई चीज लौटती है। हम भी लौटे हैं। लिए ढेर सी यादें। इस बार रुख किया था भारत का स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले चौप्टा की ओर। काश विजय गौड़ जी की तरह कह पाता कि सैलानी की तरह नहीं अपने हिस्से की तरह पहाड़ को देखा। कह सकता हूँ पर ईमानदार कथन नहीं होगा हॉं ड्राइविंग का आनंद खूब लिया और पहाड़ की खूबसूरती का भी।अस्तु.. हमारा रास्ता रहा .दिल्ली .. कोटद्वार - लैंसडाऊन (बाईपास किया)- खिरसू- खांकरा- ऊखीमठ- चौप्टा- तुंगनाथ- चंद्रशिला शिखर- देवरियाताल- ऊखीमठ- देवप्रयाग-कौडियाला-ऋषिकेश- दिल्ली
कई बातें हैं कहने की, पर फिलहाल वापसी की हाजिरी भर लगा रहे हैं। इन चंद तस्वीरों के स्लाइडशो के साथ।
तस्वीरें बयां कर रही है आपकी यात्रा बहुत यादगार रही है।
ReplyDeleteबहुत खूब, तो आप भी तुंगनाथ हो आए! आशा है कि चोपटा से तुंगनाथ की चढ़ाई ने मन मोह लिया होगा, मेरा तो दोनो बार मोह लिया था! :)
ReplyDeleteवैसे आप सिर्फ़ तुंगनाथ के लिए निकले थे कि खिरसू आदि भी घूमते हुए निकले? मेरे ख्याल से वह रास्ता थोड़ा लंबा है दिल्ली-हरिद्वार-देवप्रयाद-रुद्रप्रयाग-उखीमठ-चोपटा वाले मार्ग के मुकाबले। या बराबर ही पड़ता है? अगली बार लैंसडाउन-खिरसू वाले रास्ते से जाने का प्रयास करेंगे, पता चल ही जाएगा! :)
बहुत अच्छा लगा, हम तो एकदम ललचा गये!
ReplyDeleteअब आप हम जैसों के लिये विस्तृत रूप से लिख डालिये कि कैसे जायें, क्या करें, क्या क्या न करें. ताकि हम जैसे सिर्फ ललचा कर ही न रह जायें, आपका अनुगमन भी कर सकें
Beautiful slide show
ReplyDelete्तस्वीरें सुन्दर हैं। उनका संयोजन और भी खूब।
ReplyDeleteहाजिरी पूरी लगी...होम वर्क अनुपस्थिति के बाद भी पूरा किया जा रहा है. बढ़िया.
ReplyDeleteस्लाइड शो से लग रहा है कि आपकी यात्रा काफी मजेदार रही। कुछ फोटोज बहुत ही अच्छे बन पड़े हैं। आपकी यात्रा देखकर हमारा भी मन कर रहा है कि पहाड़ों पर हो ही आएं।
ReplyDeleteमास्टर साहब लोग भी लिखाई-पढ़ाई से दूर हो रहे हैं। केवल धांसू च फ़ांसू फ़ोटो सटा दे रहे हैं। अईसे कईसे चलेगा जी!
ReplyDeleteतस्वीरें ब्याँ कर रही हैं कि आपने जिन्दगी का वो आनन्द लिया जो आपके चमकते शहर में आपको नसीब नहीं!
ReplyDeleteवाह, आनंद आ गया आपके बहाने पहाड़ों की यात्रा करके, आगे कब जा पाऊँगा, पता नहीं, तब तक फोटो देखकर ही तसल्ली कर लेता हूँ।
ReplyDeleteVah!! Tasveeren dekh kar aanand aa gaya. Bahut aabhar humare sath bantne ka.
ReplyDeleteउत्तराँचल जाने की इच्छा और बढ़ गई !
ReplyDeleteplz read waqthai.blogspot.com
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