Friday, November 28, 2008

शोक

 

shok

5 comments:

  1. Anonymous2:42 PM

    अपनी एक जुटता का परिचय दे रहा हैं हिन्दी ब्लॉग समाज । आप भी इस चित्र को डाले और अपने आक्रोश को व्यक्त करे । ये चित्र हमारे शोक का नहीं हमारे आक्रोश का प्रतीक हैं । आप भी साथ दे । जितने ब्लॉग पर हो सके इस चित्र को लगाए । ये चित्र हमारी कमजोरी का नहीं , हमारे विलाप का नहीं हमारे क्रोध और आक्रोश का प्रतीक हैं । आईये अपने तिरंगे को भी याद करे और याद रखे की देश हमारा हैं ।

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  2. शोक!शोक!शोक!
    किस बात का शोक?
    कि हम मजबूत न थे
    कि हम सतर्क न थे
    कि हम सैंकड़ों वर्ष के
    अपने अनुभव के बाद भी
    एक दूसरे को नीचा और
    खुद को श्रेष्ठ साबित करने के
    नशे में चूर थे।
    कि शत्रु ने सेंध लगाई और
    हमारे घरों में घुस कर उन्हें
    तहस नहस कर डाला।

    अब भी
    हम जागें
    हो जाएँ भारतीय
    न हिन्दू, न मुसलमां
    न ईसाई
    मजबूत बनें
    सतर्क रहें
    कि कोई
    हमारी ओर
    आँख न तरेरे।
    ... दिनेशराय द्विवेदी

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  3. " शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"

    समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
    प्राइमरी का मास्टर

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  4. शोक ही नहीं विलाप भी हो क्योकि हम कायर है

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