Thursday, May 28, 2009

मंजन दातुन के लिए बिस्‍लेरी

कल ही दिल्‍ली आकर गिरे हैं बारह दिन के लिए दक्षिण की यात्रा पर थे। दक्षिण भी पूरा नहीं लक्षदीव तथा केरल और बस तमिलनाडु में कन्‍याकुमारी भर। काफी दिन रहे इसलिये अनेक प्रकार के अनुभव रहे अवसर मिलने पर बाकी भी बताएंगे पर लक्षदीव सबसे अनोखा था। दिल्‍ली से हैं पूरी तरह लैंडलाक्‍्ड इसलिए द्वीप के जीवन की कल्‍पना तथा अनुभव एकदम अलग रहा। लक्षदीव पश्चिमी तट के लक्षदीव सागर (अरब सागर का दक्षिणी छोर) में कुछ तीसेक द्वीपों का समूह है ये प्रवाल द्वीप हैं  जिनमें से केवल दस आबाद हैं पर्यटक केवल चार द्वीपों पर जा सकते हैं विदेशी केवल एक द्वीप बंगारम पर ही जा सकते हैं। द्वीप समूह का एकमात्र हवाई अड्डा अगाती द्वीप पर है... इस माह की 16-17-18-19 को हम इसी द्वीप पर थे। जो लोग अंडमान-गोआ-कोवलम या यूरोप अथवा अमरीकी बीचों के अनुभव से समुद्र तथा बीच को पहचानते हैं वे शायद बिना अनुभव किए न मानें लेकिन लक्षदीव इससे बिल्‍कुल अलग है। एक प्रमुख वजह तो है इनका प्रवाल द्वीप होना तथा दूसरा है एकदम अछूता होना। पूरे द्वीप पर एक भी चट्टान नहीं है दरअसल रेत भी रेत न होकर कोरल चूरा ही है इसलिए एकदम सफेद है जिसमें सिलिका का अंश शून्‍य है।

हवाई जहाज से पहली झलक कुछ ऐसी दिखी एक लंबी सी पट्टी और कोने पर छोटी सी बूंद के आकार में।

 

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विकीमैपिया से प्राप्‍त बेहतर तस्‍वीर कुछ ऐसी है-

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अगाती द्वीप का कुल क्षेत्रफल 3.84 वर्ग किमी है ये अधिकतम 6 किमी लंबा तथा एक किमी तक चौड़ा है। हम अगाती बीच रिसॉर्ट में बुकिंग कराकर गए थे वहीं रुके। लक्षदीव जाने के लिए सभी को चाहे वे भारतीय हों परमिट लेना पड़ता है। लक्षदीव का पर्यटन सस्‍ता नहीं है कम से कम हमें तो मंहगा लगा, आफ सीजन के बावजूद तीन दिन का ठहरना बीसेक हजार का पड़ा। लेकिन पूरी दुनिया से परे एकदम दूधिया बीच जिस पर आप लगभग अकेले पर्यटक हों, ये रोजमर्रा अनुभव नहीं है। पूरे द्वीप पर मीठे पानी की कोई नदी आदि नहीं है इसलिए रिसॉर्ट में नलों में समुद्र का खारा पानी ही बहता है जो निवृत्‍त होने यहॉं तक कि नहाने के लिए तो ठीक है पर अगर पीना हो या कुल्‍ला करना हो तो बिस्‍लेरी की उन बोतलों के सहारे रहना पड़ता है जो 450 किमी दूर कोचीन से हवाई मार्ग से आई होती हैं तो हम भी तीन दिनों तक बिस्‍लेरी से कुल्‍ला दातुन का आनंद ले चुके हैं :))

करने को इस छोटे से द्वीप पर कुछ नहीं है सिवाए इस खूबसूरत समुद्र को निहारने और एकदम स्‍वच्‍छ समुद्र में क्रीड़ा करने के, लेकिन इसमें आप कभी थकेंगे नहीं, न बोर ही होंगे। कुछ तस्‍वीरें देखें-

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अभी बस इतना ही शेष बाद में।

27 comments:

  1. कल ही आप की दक्षिंण यात्रा का समाचार शास्त्री जी से लगा था। आलेख में रोचक और आवश्यक जानकारियाँ हैं।

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  2. मैथिली6:51 AM

    तो यहां गायब थे ज़नाब:)

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  3. यात्रा का अच्छा अनुभव आपने बाँटा है। चित्र सुन्दर हैं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  4. सही है घूम आये। अब रपट पेश की जाये। बिसलरी की बोतल पर्यटकों के लिये तो ठीक लेकिन स्थानीय लोग क्या करते हैं पानी पीने के लिये?

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  5. अरे वाह!! तो यहाँ भी घूम आये...हम चार साल पहले गये थे. जरा विस्तार से लिखो भाई!!

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  6. achaa achaa ,khaare paanee mein gote lagaane gaye the...ajee khaalee pani kee baatein ho rahee hain....hum to petu hain.....khaane kee baatein bhee lage haathon kar hee daaliye...

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  7. बहुत प्यारी तस्वीरें... आज सुबह ही कन्याकुमारी गया था.. सुर्योदय देखने पर देवता बादल में छुपे थे...

    ्हम भी मंजन का मजा "बिस्लेरी" से ही ले ते हैं..

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  8. @अनूप स्‍थानीय आबादी अगाती गॉंव में रहती है कुल 8-9 हजार के लगभग(इस मायने में अगाती देश का अकेला गांव है जिसके पास एयरपोर्ट है :)) वे कुछ कुंओं से पीने का पानी लेते हैं अधिकतर कुँए खारे पानी के हैं पर कुछ भाग्‍यशाली कूप कम खारे या ताजे पानी के भी हैं। द्वीप पर एक ही सड़क है कुल दस आटो, चार कार बाकी दोपहिए (जाना ही कहॉं है ? ) द्वीप में कोई पानी की पाइपलाइन नहीं है। आबादी अब शत प्रतिशत मुस्लिम है हॉंलांकि इस्‍लाम के उदय से पूर्व वहॉं बौद्ध धर्म के होने के प्रमाण भी मिले हैं।

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  9. अदभुत और पठनीय, अगली किस्तों का इंतज़ार रहेगा…

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  10. Anonymous12:23 PM

    the pics are very good

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  11. इस अदभुत यात्रा वृत्तांत के विस्तार का इंतज़ार है...

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  12. यात्रा के आगामी हिस्‍स्‍सों का इंतजार रहेगा।

    बीस हजार में ऐसी यात्रा बुरी नहीं है।

    कई दिन से आपके लेख नहीं आ रहे थे तो मैंने सोचा यह आपका स्‍टाइल होगा लेकिन अब पता लगा कि आप दिल्‍ली से बाहर थे। अब जल्‍दी जल्‍दी वृत्‍तांत सुनाइगा। इंतजार रहेगा।

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  13. वाह, लक्षद्वीप घूम आए, बहुत बढ़िया! :)


    हम भी तीन दिनों तक बिस्‍लेरी से कुल्‍ला दातुन का आनंद ले चुके हैं

    बहुत खूब! सरकार न सही लेकिन रिसॉर्ट वालों को तो कम से कम अपने मेहमानों के लिए खारे पानी को मीठा करने का जुगाड़ करना चाहिए!!

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  14. वाह जी. थोडा विस्तार से सचित्र वर्णन तो कीजिये !

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  15. अगली किस्तों का इंतज़ार रहेगा…

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  16. बहुत सुंदर चित्र . आप लोगो की वजह से घूम रहे है हम घर बैठे

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  17. आपकी दी गई जानकारी हमारे काम आएगी. आजकल सोच रहे थे किसी ऐसी ही जगह जाएँ.
    क्या वाकई हर काम के लिए बिसलेरी का पानी इस्तेमाल करना पड़ेगा?

    हिंदी में प्रेरक कथाओं, प्रसंगों, और रोचक संस्मरणों का एकमात्र ब्लौग http://hindizen.com

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  18. सुन्दर यात्रा संस्मरण।जाने का मौका मिला तो ज़रूर जायेंगे।

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  19. बढिया जानकारी दी है।

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  20. सुन्दर! दुबारा तारीफ़ इसलिये कर रहे हैं ताकि कुछ और पोस्टें वहां के बारे में लिखीं जायें।

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  21. बढ़िया।
    तस्वीरें अच्छी आईं हैं।
    और विवरण का इंतजार रहेगा।

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  22. अच्छा लगा जान कर लक्षद्वीप के बारे में। आपने अनुभव के हिसाब से यहाँ कितने दिन रहना श्रेयस्कर है?

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  23. @ मनीष यहॉं टिकने की अवधि मौसम पर निर्भर करेगी। हम मानसून आने के बाद यानि आफसीजन में गए- ये कुछ सस्‍ता तो पड़ता है पर समुद्र उफान पर होने के कारण अंतरद्वीप गतिविधियॉं तथा कई वाटर स्‍पोर्ट्स गतिविधियॉं संभव नहीं रह जातीं... हम डाइविंग की हिम्‍मत भी नहीं जुटा पाए इस लिहाज से चार दिन तीन रातें पर्याप्‍त रहीं पर सीजन में छ:-सात दिन आनंद से बीतेंगे तथा इसमें अगाती के साथ साथ कावारत्‍ती, कालेनपनी, बंगारम जैसे द्वीपों तक समुद्र यात्रा का आनंद भी हो जाएगा।

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  24. उत्तर भारतीयों को कोंकण क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद से ही एक नया सुखद अनुभव होने लगता है. सुन्दर चित्रों सहित जानकारी के लिए धन्यवाद.

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  25. बहुत सुंदर चित्र हैं। अगली पोस्‍ट की भी प्रतीक्षा है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  26. अच्छा लगा जान कर लक्षद्वीप के बारे में। !!!

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