हाल में मेरे हाथ एक खजाना लगा है जिसे मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ। चौदह हजार एक सौ बाइस पुस्तकों के अड़तीस लाख छत्तीस हजार पॉंच सौ बत्तीस पृष्ठ..... हिन्दी के पृष्ठ । बेशक ये एक खजाना है जो हम सभी को उपलब्ध है एकदम मुफ्त। बस क्लिक भर की दूरी पर। और ये किताबें सब कूड़ा नहीं है वरन खूब काम की दर्लभ किताबें तक इसमें शामिल हैं मसलन 1935 की श्री गणेश प्रसाद द्विवेदी की इस किताब को देखें-
या चोखेरबालियों को उमंग से भर देने के लिए 1921 की इस किताब को देखें-
पुरानी किताबों में से फिलहाल मुझे 'टू ईयर्स बिफोर द मास्ट' का हिंदी अनुवाद काफी रुचिकर लग रही है, पुस्तक 1840 की है पर अनुवाद कब का हे ये पता नहीं चल पा रहा
केवल पुरानी ही नही नई पुस्तकें भी यहॉं उपलब्ध है मसलन हिन्दी में पहली कक्षा की गणित की इस पाठ्यपुस्तक को देखें
ये सब ओर भी बहुत सी किताबें मुझे मिली हैं भारतीय डिजीटल पुस्तकालय पर। भारत तथा विदेश के बहुत से सहयोगियों के साथ चल रहे इस कार्यक्रम के विषय में आप इनकी वेबसाइट से जान ही सकते हैं। किताबें पूरी मूल रूप में उपलब्ध हैं तथा TIFF फार्मेट में हैं। आल्टरनेटिफ नाम का रीडर वहॉं डाउनलोड के लिए उपलष्ण है तथा एक्सप्लोरर में अच्छा काम करता है पर क्रोम पर नहीं चलता । फिर देर किस बात की है जाएं देखें हो सकता है जो किताब आप बरसो से खोज रहे थे पर मिल नही पा रही थी, हो सकता है यहॉं उपलब्ध हो फोकट में।
बहुत अच्छा प्रयास.. बहुत उपयोगी होगा ये.. आभार..
ReplyDeleteआपका दिल वाकई बहुत बड़ा है सरजी। नहीं तो इस जानकारी के दम पर और लोग पता नहीं कहा-कहां चमकाते फिरते।.
ReplyDeleteयह बहुत दिनों से हो रहा है किन्तु इसको और गति देने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteक्या किसी विधि से इन पुस्तकों को डाउनलोड भी किया जा सकता है?
उपयोगी जानकारी के लिए आभार।
ReplyDeleteयह बढ़िया काम हो रहा है!
ReplyDeleteअरे हम तो इसका उपयोग कब से कर रहें हैं, बस बताना भूल गए :) . आपका आभार. जो पुस्तक पहले पढ़ी वह थी पृथ्वीराज चौहाण की जीवनी. अब तो यह किताब मिले ही नहीं.....
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी आपने्… देखना ही पड़ेगा कि क्या-क्या माल है उधर… धन्यवाद
ReplyDeleteमसिजीवी जी, ये परियोजना हमारे प्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब द्वारा शुरू की गई थी.
ReplyDeleteमेरा तो बहुत पसंददीदा स्थल है ये.
उपयोगी जानकारी के लिए आभार।
ReplyDeleteसचमुच खजाना है। बताने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteआपसे हमें ऐसी ही आशा रहती है ,
ReplyDeleteउम्मीदों पर खरा उतरना तो कोई आपसे सीखे !
बहुत बढ़िया खजाने का रास्ता बता दिया आपने। अब तो ज्यादातर समय इसी पर गुजरेगा।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद।
मर रही हिंदी को ओक्सिजन मिलेगी ऐसे प्रयासों से
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने, धन्यवाद !
ReplyDeleteजानकारी और लिंक देने के लिए धान्यवाद.
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