tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post2485736292902510693..comments2024-01-10T15:57:22.152+05:30Comments on मसिजीवी: वही उपन्यास- एक बार फिरमसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-85513585235386093272008-04-16T06:49:00.000+05:302008-04-16T06:49:00.000+05:30jis tarah se aapne hindi ki katu aalochna kar di i...jis tarah se aapne hindi ki katu aalochna kar di isse pata chalta hai ki aap hindi se kitna darte haiUnknownhttps://www.blogger.com/profile/10130807947426296515noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-87312422474965510122007-07-30T23:49:00.000+05:302007-07-30T23:49:00.000+05:30ऐसे विवश से क्यूं दिख रहें है गुरुवर!आखिर हम भी तो...ऐसे विवश से क्यूं दिख रहें है गुरुवर!<BR/>आखिर हम भी तो पाठ्यक्र्म से हट कर ही पढ़ रहे हैं ना :) जैसा आप चाहते हैं बिलकुल वैसे ही ! इसमें व्यवस्था क्या करेगी, आप बस विद्यार्थी चुन लें, और अपना मन पसंद ही पढ़ायें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-9746724216775780002007-07-29T10:04:00.000+05:302007-07-29T10:04:00.000+05:30मास्टर साहब, ये रोना बेकार का है। जितने भी धांसू अ...मास्टर साहब, ये रोना बेकार का है। जितने भी धांसू अध्यापक रहे हैं वे कोर्स का पढ़ाने के बहाने दुनिया भर का ज्ञान ठेलते रहे अपने शिष्यों में।:)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-25460078630269953592007-07-29T02:39:00.000+05:302007-07-29T02:39:00.000+05:30ठीक है फिर, बहुत शुभकामनायें. पढ़िये और पढ़ाईये वही ...ठीक है फिर, बहुत शुभकामनायें. पढ़िये और पढ़ाईये वही गोदान -साल दर साल. शायद कभी फेर बदल हो. विचार अच्छे हैं मगर शिक्षा प्रणाली के प्रति कितने लोग सजग हैं, जो जहमत उठायेंगे?Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18436534.post-23834251181363454382007-07-28T19:36:00.000+05:302007-07-28T19:36:00.000+05:30देखिये सरकार आपका कितना ख्याल रखती है ,अगर हर बार ...देखिये सरकार आपका कितना ख्याल रखती है ,अगर हर बार नये उपन्यास दे दे तो आपको पढ कर जाना होगा.हर बार नये नोट्स बनाने होगे.हर बार नये लेखक को पढ कर उसकी कला मृ्म को जानना फिर बच्चो को बताना कितना कठिन काम है ,और अब जो बच्चा क्लास मे अच्छा हो उसके नोट अगले साल बच्चो को पढाकर काम चल जाता है, ये ठीक है कि आपके पास बहुत वक्त है और आप नये की तैयारी कर लेगे लेकिन बाकी मास्टर साहब आप की तरह फ्री कहा है..काहे उनके लिये आप समस्या पैदा करने की कोशिश कर रहे हौ..कोई और रचनात्मक कार्य कीजीये कालेज के शिक्षक संघ मे भाग लीजीये.चाहे तो हमारा लेख पढ कर <A HREF="http://pangebaj.blogspot.com/2007_07_15_archive.html" REL="nofollow">प्रेरणा</A> ले लीजीये इस पर कोई चार्ज हम नही करते हैArun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com