Thursday, December 27, 2007

विवाहित ब्‍लॉगर की ये बेतार आजादी

ब्‍लॉगराईन होना गज़ब की त्रासदी है, पति है पर नहीं है क्‍योंकि ब्‍लॉगर है। आधुनिक यशोधरा हैं बेचारी। पर वो कहानी तो हो चुकी।ये भी कहा था हमने कि अगर ब्‍लॉगराइन खुद ब्‍लॉगर हो तो करेला नीम चढ़ जाता है। कई तकलीफें हैं इस जोड़े को। कुछ को गिना देते हैं-

  1. आपको ब्‍लॉगिंग की खुड़क ठीक तब ही उठती है जबकि आपके पति/पत्‍नी का का कब्जा कंप्‍यूटर पर होता है।
  2. जब आप साम दाम दंड भेद से कंप्‍यूटर हथियाते हैं तब तक इस राजनीति के दांव पेंच में LAPTOP पोस्‍ट का मूल आइडिया ही भूल चुके होते हैं
  3. आप अपनी पत्‍नी/पति के बंधुआ और सनातन साधुवादी टिप्‍पणीकार होते हैं जबकि आपको लगता है कि वह आपकी/आपका सनातन आलोचक है।
  4. साथ रहते रहते पति पत्‍नी एक जैसे हो जाते हैं इसलिए आपको पता ही नहीं लगता कि जिस आइडिया को दुनिया-जहॉं का सबसे मौलिक पोस्‍ट आइडिया माने बैठे होते हैं, ठीक उसी समय 'उनके' दिमाग में भी ठीक वही विचार खदबदा रहा होता है।
  5. आप अपने 'उन' को कभी नहीं कह सकते कि आप कंप्‍यूटर पर 'काम' कर रहे हैं क्‍योंकि 'उन्‍हें' खूब पता है कि ब्लॉगर ब्लॉगिगं करता है काम नहीं।
  6. आप अपने अच्‍छे पोस्‍ट-आइडिया को पंगेबाज से भले ही फोन पर डिस्‍कस कर लें पर पत्‍नी के सामने मुँह न खोलें- अगर उन्‍हें पसंद आ गया तो वे कहेंगी, इस पर तो मैं लिखूंगी '....तब तक तुम जरा राजमॉं में तड़का लगा दो' पोस्‍ट छिनी राजमा पकाना पड़ा सो अलग।
  7. पत्नी के के अच्‍छे पोस्‍ट आइडिया कतई नहीं सुन सकते भले ही अनूप से  अन्‍य विषयों पर चर्चा कर लें, क्‍योंकि आपने अच्‍छी राय दी तो आदेश मिलेगा की जरा टाईप कर दीजिए, ड्राफ्ट वहॉं रखा है मैं तब तक राजमॉं उबाल लूँ (उबलते तो वे अपने आप हैं, इतना तो हम जैसे एलीमेंट्री पाकशास्‍त्री तक जानते हैं), बुरी राय देकर आप अपने राजमॉं-चावल के डिनर को खतरे में डालना नहीं चाहते।

ये तो कुछ गिनाई हैं तथा वो गिनाई हैं जिन्‍हें गिनाने से 'कम' नुकसान (मैटरीमोनी में 'नुकसान न हो'  होता ही नहीं) समाधान कुछ खास सूझा नहीं। पर एकठो लप्‍पू टप्‍पू (बधाई उधाई न दें वह पहिले ही ले चुके हैं) ले आए हैं और एमटीएनएल के इंटरनेट को वाईफाई करवा लिया है ताकि एक तो घर में कुल कंप्‍यूटर दो हो गए हैं तथा दूसरा हम घर के किसी भी कोने में छिपकर ब्‍लॉगिंग कर सकें। देखते हैं इस बेतार आजादी से कितना फर्क पड़ता है।

7 comments:

  1. लप्पू टप्पू की बधाई.
    कहां है हमारी मिठाई?

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  2. बहुत खूब भाई ! आपकी बात को तो इस मामले में ब्रांडेड मन जा सकता है. सब कुछ निजी अनुभव के आधार पर.

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  3. भाभी जी का ब्लोग कौन सा है भई

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  4. लगता है आपको राजमां पसन्द है भाभी जी वही बनाती हैं।

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  5. ये बेतार आजादी बहुत मुबारक हो।

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  6. मुबारकां बेतार होने की!!

    बहुत बढ़िया लिखा है आपने!!

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