Sunday, January 20, 2008

लीजिए रविजी अब हमारे फीडकाउंट भी आपके बराबर

डिस्‍क्‍लेमर : हम घोषित रूप से मगलू बोले तो मग्‍गल हैं, हमारी इस पोस्‍ट को कतई तकनीकी न माना जाए।

रविजी ने हैरानी व्‍यक्‍त की कि रचनाकार के 1400 के लगभग फीडबर्नर सब्‍सक्राइबर दिख रहे हैं जो सही नहीं हो सकते, कोई फीडबर्नरी लोचा है। आउट आफ क्‍यूरोसिटी हमें लगा कि हम चालीस के आस पास लटके हैं तो क्‍या किया जाए- गए गूगल देवता की शरण में पता चला कि आप अपने चिट्ठे पर कितने सब्‍सक्राइबर दिखना चाहते हैं ये आपके में हाथ में है। ( इस कथन का संकेत रचनाकार के सब्‍सक्राइबर आधार की तरफ नहीं है)

मसलन ऊपर का चिकलेट देखें इसमें जितने भी सब्‍सक्राइबर दिख रहे हैं वे हैं रचनाकार के ही [ ;)) हे हे]  उनके यहॉं बढेंगे घटेंगे तो यहॉं भी, जबकि यदि आप इसे क्लिक करेंगे तो ये आपको उनके नहीं हमारे फीड पर ही ले जाएगा।

यदि आप भी इस बात का कोई रोब गांठना चाहते हैं कि आपके सैकडों, हजारों यहॉं तक की लाखों पाठक हैं तो बस इतनी संख्‍‍या वाला कोई ब्‍लॉग देखें मसलन आपके लिए पेश हैं कुछ धुरंधर चिट्ठाकारों के फीडकाउंट-

 

रविरतलामी का हिन्‍दी ब्‍लॉग

डिजीटल इंस्‍पिरेशन

प्रोब्‍लॉगर

 टेकक्रंच

आप इन चिकलेट को (ओपेरा या फायरफाक्स में) राइट क्लिक से कॉपी इमेज एड्रेस करें और अपने खुद के चिकलेट कोड में इमेज एड्रेस की जगह चेप लें। बस हो गया यानि अब लिंक तो आपकी ही फीड का रहेगा लेकिन दिखेंगी रविजी, अमित आदि आदि के सब्‍सक्राइबरों की संख्‍या।

अगर आप कोड के साथ खेलने के शौकीन हैं (हम तो कतई नहीं हैं) तो  इसमें थोड़े बहुत बदलाव करके इस चिकलेट के रंग या लिखें हुए को भी बदल सकते हैं। जैसे कि हमारे मूल फीडकाउंट, जी बाईं ओर की पट्टी देखें 30-35 की दरिद्र संख्‍या वाला :), उस पर हमने reader की जगह pathak लिख मारा है। यूनिकोड अभी सपोर्ट नहीं कर रहा हौ गीक लोग ध्‍यान दें।

इससे ये गुत्थी तो नहीं सुलझती कि रचनाकार पर इतने पाठक कयों दिख रहे हैं। क्‍योंकि उनके चिट्ठे के पाठक वाकई उनके ही पाठक हैं ये तो दिख रहा है। पर ये तो पता लग ही जा रहा है कि फीडबर्नर के चिकलेट कतई विश्‍वसनीय मानक नहीं हैं। :))

 

 

 

 

7 comments:

रवि रतलामी said...

चलिए, आपने आंखें खोल दीं. तो अंग्रेजी के कुछ चिट्ठे जिन पर दस हजार, बीस हजार, तीस हजार फ़ीड काउंट दिखते हैं, उन पर संशय भरी निगाह डालनी ही पड़ेगी :)

PD said...

Aji bas itna hi nahi..
kuchh dino pahle mujhe Orkut ka bhut laga hua tha.. 24X7 online rahta tha Orkut par.. usa samay maine uske baare me bhi aisi kai baate dekhi thi..
maine use upyog me laaya aur mere Friend list me 290 ke aas paas log the aur mera Fan List 350 dikhane laga tha.. :D

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब!! बहुत सही दिमाग लगाया आपने

सागर नाहर said...

इस डिस्क्लेमर की जरूरत ही नहीं थी.. यह इस माह की सबसे बढ़िया तकनीकी प्रविष्टी है। मजा आ गया.. अब लगे हाथ मैं भी हिन्दी के सारे चिट्ठाकारों की संख्या को अपने यहाँ बता देता हूँ।
:) :) :)

ghughutibasuti said...

क्या क्या खुराफाती काम करते रहते हैं आप ? अब कुछ बढ़िया लिखिये । ये कम्प्यूटरी भाषा छोड़ हिन्दी में लिखिये ।
घुघूती बासूती

Tarun said...

पहले शक था आपकी ये पोस्ट पढ़कर तो पक्का यकीन हो गया।

Batangad said...

मेरी तो समझ में इतना तकनीकी ज्ञान आता ही नहीं है लेकिन, फीड सब्सक्रिप्शन में भी ये खेल है इससे तो, कई ब्लॉगों के प्रतिबद्ध पाठक संख्या पर संदेह होगा। फायदा ये है कि अब दूसरों के फीड बर्नर पर अपने से कई गुना ज्यादा संख्या देखकर कोई दुख नहीं होगा।