Monday, October 23, 2006
जिन्नात का शहर - दिल्ली
विलियम डेलरिम्पल की दिल्ली पर संस्मरणात्मक पुस्तक "City of Djinns- A year in delhi" जो मेरी नजर में इतिहास की एक वाकई प्रामाणिक पुस्तक है को हाल ही में समाप्त किया है। अपने शहर पर किसी 'अन्य' की प्रतिक्रिया की मुझे बहुत अहम जान पड्ती है। इस पर लाल्टू से पहले भी एक बार ब्लॉगिया विमर्श हो चुका है। दिल्ली से यह जुड़ाव प्रत्यक्षानुमा सुखद स्मृतिपुंज भर नहीं है छलली की मेरी स्मृति में (और वर्तमान में भी) बदबूदार बस्तियॉं, गरीबी, असुविधाएं, कंक्रीट सभी है पर हाँ इस शहर से लगाव है अब यह लगाव और यह शहर एक अकादमिक दायित्व भी बन गया है और ज़ाहिर है मैं इस बात से खुश हूँ।
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