जनसत्ता के मुख्यपृष्ठ पर आज एफई बैंकिंग पुरस्कारों से जुड़ी ये खबर है-
दिक्कत खबर को पढ़ने से पेश आती है क्योंकि खबर ये बताने में असफल रहती है कि पुरस्कार आखिर मिला किसे... कुछ और ध्यान से पढ़ने से पता लगता है कि खबर केवल पुरस्कार आयोजन को प्रोमोट करने के लिए है (क्यों न हो एफई यानि फाइनेंशियल एक्सप्रेस खुद एक्सप्रेस समूह का ही तो प्रकाशन है) असली चेहरा खबर के शेष को पढ़ने से साफ होता है-
खबर के नीचे समारोह के प्रायोजकों के लोगो ???
वाल सिर्फ इतना कि ये 'खबर' कोई खबर है या केवल प्रोमोशन....