Thursday, September 04, 2014

कैसे करें गूगल वाॅइस टाईपिंग से बोलकर हिन्‍दी में टाईपिंग -

मेरी पिछली पोस्ट के बाद कई दोस्तों ने यह आग्रह किया है कि गूगल वॉइस टाइपिंग से फेसबुक पर पोस्ट, ब्लॉग पोस्ट या माइक्रोसॉफ्ट वर्ड मेँ कैसे लिखा जाए इसका खुलासा किया जाए अब आप जानते ही हैं की हम कोई तकनीकी व्यक्ति तो हैं नहीं।  लेकिन हमने इसके लिए एक साधारण सा जुगाड अपनाया है-  तो बिंदु बार बात करते हैं
1. सबसे पहले अपने एंड्रॉयड फोन की सेटिंग्स मेँ जाए आपको लेंगुएज एंड इनपुट ऑप्शन मिलेगा
2;  इसके तहत आगे जाकर भाषा मेँ अब हिंदी की सुविधा मिल गई है आप इसे सेलेक्ट कर लैं ( ध्यान रखेँ हिंदी भाषाओं की सूची मेँ अंग्रेजी क्रम के बाद नीचे देवनागरी मेँ लिखा हुआ है) उसे सेलेक्ट करेँ
3- अब गूगल वॉइस इनपुट की भाषा अंग्रेजी तथा हिंदी दिखाई दे रही है।
4-  अच्छा रहेगा कि आप इससे अंग्रेजी को हटा देँ केवल हिंदी रहने दें, इसे हिंदी इनपुट की दक्षता बेहतर हो जाती हे एेसा मैंने अनुभव किया  है।
5- अब आप या तो फेसबुक ये किस ब्लॉग आदि मेँ टाइपिंग के स्थान पर सीधे वॉयस इनपुट का इस्तेमाल कर सकते हैं मेरे फोन मेँ यह सुविधा स्पेस बार को दबाए रखने पर विकल्‍प के रूप में उपलब्ध हो रही है।

अब बताते हेँ कि फ़ोन से टाइप की गई इस सामग्री को ऑफलाइन एमएस वर्ड या कंप्यूटर पर कैसे ले जाएं जैसे मैंने अपनी फेसबुक पोस्ट मेँ बताया इसका सबसे आसान तरीका है कि फोन पर टाइप की गई सामग्री को आप बजाय फोन मेँ सेव करने की क्लाउड मे सेव करें यह आप गूगल ड्राइव मेँ कर सकते हेँ अथवा ड्रापबाक्‍स लैसी किसी सुविधा मेँ कर सकते हैं। जैसे ही आप फाइल को क्लाउड मे सेव करेंगे यह आपके कंप्यूटर पर भी उपलब्ध हो जाएगी अब आप संपादन का काम अपने लैपटॉप या डेस्कटॉप पर कीजिए। और बताने की जरूरत नहीं कि उसके बाद इस सामग्री का जैसा प्रयोग करना चाहिए वैसा करेँ । तो मुझ अनगढ़  व्यक्ति के लिए यह साधारण सा जुगाड़ बहुत अच्छे से काम कर रहा है।  उम्मीद करता हूँ आपको भी से लाभ हुआ होगा।

इस पूरी पोस्‍ट को भी बोलकर ही लिखा गया है। पहला शब्‍द बोलने से लेकर संपादित कर  पब्लिश करने तक कुल 9 मिनट लगे हैं। अच्‍छा ही है- क्‍यो ?


मेरा फोन Gionee P-3 है तथा Android 4.2.2 है

हिन्‍दी में बोलकर लिखी गई मेरी पोस्‍ट - शुक्रिया गूगल हिन्‍दी वॉइस टाईपिंग

आज एक ब्लॉग पोस्ट लिखने के विषय मेँ सोचा था हैरान करते हुए यह गूगल वॉइस टाइपिंग का सहारा मिल गया है इसलिए मैंने सोचा है क्‍यूँ न इसकी ही सहायता से पूरी ब्लॉग पोस्ट लिखें  कुछ गलती हो तो हो ही जायेंगी पर  संपादित कर लेना फिर भी आसान रहेगा तो दोस्तो यह मेरी पहली ब्लॉग पोस्ट है जो टाइपिंग की बजाए बोलकर लिखी जा रही है हाँ इसके बाद मुझे इसके संपादन कुछ समय लगाना पड़ा है फिर भी मुझे लगता हे कि जुगाड काम आ रहा है इसके लिए लगातार इंटरनेट का उपलब्ध होना तो खैर जरुरी है लेकिन फिर भी आजकल के हिसाब से इसे अच्छा ही कहा जाएगा छोटी बहुत गलतियाँ वर्तनी मेँ ये कर रहा है लेकिन हिंदी टाइपिंग की सुविधा जिन लोगोँ के पास नहीँ है  उनके लिए तो यह वरदान ही कहा जाएगा काफी बोल चुका अब देखता हूँ कि कैसा बन पड़ा है।

पहला विचार: 
मुझे लगता है कि अगर फोन को इस तरह पकड़ कर बोलने की बजाए मेँ हैंड्स फ्री या ब्लू टूथ का इस्तेमाल करुँगा तब गलतियो की गुंजाइश और भी कम हो जाएगी हिंदी स्पीच रिकग्निशन ओर अंग्रेजी स्पीच रिकग्निशन में यह अंतर तो है ही कि हिंदी मेँ हमारी आवाज ओर बोलने का तरीका सबसे सामान्‍य होता है यानि कि अंग्रेजी मेँ जितनी गलती एक स्पीच रिकग्निशन सॉफ्टवेयर करता है उतनी हिंदी वाला सॉफ्टवेयर नहीँ करेगा ये अलग बात हे की किसी ने अब तक एक पूरी तरह निर्दोष सॉफ्टवेयर बनाने की कोशिश ही नहीँ की थी अब गूगल इस सोफ्टवेयर को लेकर आया है तो उम्मीद है अच्छा ही रहेगा अभी देखते हेँ मुझे उम्मीद है कि जल्द से जल्द गूगल को इसका ऑफलाइन संस्करण भी लेकर आना चाहिए असली मजा तो तभी आएगा आपने बोलना शुरु किया ओर एक लेख तैयार इससे बेहतर भला और क्या चाहिए !!

Monday, September 01, 2014

टैग निर्वाह और मेरी पसंदीदा पुस्‍तकें

पुराने साथियों को टैग करने वाला खेल जरूर याद होगा। किसी बात को लेकर टैग करते थे फिर शर्त पूरी करने वाला आगे टैग करने का अधिकार पाता था। जहॉं तक अपनी पढ़ी पुस्‍तकों की सूची पेश करने की बात है ये हम पहले भी कर चुके हैं।  इस बार फेसबुक पर ये दौर लौटा है। इसे बुक बकेट चैलेंज कहा जा रहा है। ''बाल्‍टी भर किताबें'' चुनौती के लपेटे में Vikas Divyakirti तथा Pankaj Dubey ने हमें भी ले लिया है। इन दोनों की चुनौती देती सूचियॉं भी खासी रोचक व विपरीत कोटि की हैं। जहॉं पुराने मित्र विकास बहुपठ छवि के हैं तिस पर मुसीबत ये कि उनकी विशाल मित्र सूची में उनके विद्यार्थी ज्‍यादा जमे हैं अत: उनके सामने छवि निर्वाह का संकट। अत: उनकी सूची भी जाहिर है उनके साहित्‍य, समाजशास्‍त्र, दर्शनशास्‍त्र, राजव्‍यवस्‍था.. सभी विषयों का प्रतिनिधित्‍व करने वाली है इससे विकास की गंभीरता पर्याप्‍त गंभीरता से स्‍थापित होती है। पंकज दूसरे छोर के प्राणी हैं वे अपनी अगंभीरता को बहुत गंभीरता से लेने वाले 'लूजर' हैं इसलिए उनकी सूची में चाचा चौधरी, बिल्‍लू, पिंकी, भोकाल को गिना सकने का साहस व ब्रांड छवि है। अपनी हालत दोनों मोर्चों पर पतली है। खैर मेरी पढ़ी हुई जो पुस्‍तकें मेरी नजर में अहम हैं तथा जिनके पढ़ने से मुझे लगता है मेार सोच बदली है, वे हैं- 



1. Its not you, its biology- Joe Quirk
2- शब्‍द और स्‍मृति - निर्मल वर्मा
3- भाषा संस्‍कृति व राष्‍ट्रीय अस्मिता- न्‍गुगी वा थ्‍योंगो
4- A Brief History of Time - Stephen Hawking
5- संवत्‍सर - अज्ञेय
6- शेखर एक जीवनी - अज्ञेय
7- राग दरबारी- श्रीलाल शुक्‍ल
8- दिवास्‍वप्‍न - गीजूभाई बधेका
9- दिक् व काल: अन्‍तर्अनुशासनीय संदर्भ - डा. वीरेन्‍द्र सिंह
10- स्‍त्री उपेक्षिता - सीमोन द बोवुआ

कई पुस्‍तकें शिकायतें कर रही हैं यायावारी, वामचिंतन, नास्तिकता व इंजीनियरिंग की कुछ और किताबों का भी मुझ पर गहरा प्रभाव है। पर 10 को 10 ही रहने देते हैं।
अब चूंकि परंपरा कहती है कि इस चनौति को आगे पेया किया जाना चाहिए तो अपनी जिज्ञासा के लिए आगे मैं Sujata Tewatia, मित्र Ashok Aazami तथा Laxman Sonu को यह चुनौती आगे पेश करता हूँ कि वे अपनी दस पुस्‍तकों की सूची पेश करें। सामान्‍यत: उन्‍हें ऐसा 24 घंटे में कर देना चाहिए।