Monday, September 01, 2014

टैग निर्वाह और मेरी पसंदीदा पुस्‍तकें

पुराने साथियों को टैग करने वाला खेल जरूर याद होगा। किसी बात को लेकर टैग करते थे फिर शर्त पूरी करने वाला आगे टैग करने का अधिकार पाता था। जहॉं तक अपनी पढ़ी पुस्‍तकों की सूची पेश करने की बात है ये हम पहले भी कर चुके हैं।  इस बार फेसबुक पर ये दौर लौटा है। इसे बुक बकेट चैलेंज कहा जा रहा है। ''बाल्‍टी भर किताबें'' चुनौती के लपेटे में Vikas Divyakirti तथा Pankaj Dubey ने हमें भी ले लिया है। इन दोनों की चुनौती देती सूचियॉं भी खासी रोचक व विपरीत कोटि की हैं। जहॉं पुराने मित्र विकास बहुपठ छवि के हैं तिस पर मुसीबत ये कि उनकी विशाल मित्र सूची में उनके विद्यार्थी ज्‍यादा जमे हैं अत: उनके सामने छवि निर्वाह का संकट। अत: उनकी सूची भी जाहिर है उनके साहित्‍य, समाजशास्‍त्र, दर्शनशास्‍त्र, राजव्‍यवस्‍था.. सभी विषयों का प्रतिनिधित्‍व करने वाली है इससे विकास की गंभीरता पर्याप्‍त गंभीरता से स्‍थापित होती है। पंकज दूसरे छोर के प्राणी हैं वे अपनी अगंभीरता को बहुत गंभीरता से लेने वाले 'लूजर' हैं इसलिए उनकी सूची में चाचा चौधरी, बिल्‍लू, पिंकी, भोकाल को गिना सकने का साहस व ब्रांड छवि है। अपनी हालत दोनों मोर्चों पर पतली है। खैर मेरी पढ़ी हुई जो पुस्‍तकें मेरी नजर में अहम हैं तथा जिनके पढ़ने से मुझे लगता है मेार सोच बदली है, वे हैं- 



1. Its not you, its biology- Joe Quirk
2- शब्‍द और स्‍मृति - निर्मल वर्मा
3- भाषा संस्‍कृति व राष्‍ट्रीय अस्मिता- न्‍गुगी वा थ्‍योंगो
4- A Brief History of Time - Stephen Hawking
5- संवत्‍सर - अज्ञेय
6- शेखर एक जीवनी - अज्ञेय
7- राग दरबारी- श्रीलाल शुक्‍ल
8- दिवास्‍वप्‍न - गीजूभाई बधेका
9- दिक् व काल: अन्‍तर्अनुशासनीय संदर्भ - डा. वीरेन्‍द्र सिंह
10- स्‍त्री उपेक्षिता - सीमोन द बोवुआ

कई पुस्‍तकें शिकायतें कर रही हैं यायावारी, वामचिंतन, नास्तिकता व इंजीनियरिंग की कुछ और किताबों का भी मुझ पर गहरा प्रभाव है। पर 10 को 10 ही रहने देते हैं।
अब चूंकि परंपरा कहती है कि इस चनौति को आगे पेया किया जाना चाहिए तो अपनी जिज्ञासा के लिए आगे मैं Sujata Tewatia, मित्र Ashok Aazami तथा Laxman Sonu को यह चुनौती आगे पेश करता हूँ कि वे अपनी दस पुस्‍तकों की सूची पेश करें। सामान्‍यत: उन्‍हें ऐसा 24 घंटे में कर देना चाहिए।

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