Friday, December 23, 2016

ठण्डी कहानी

मग में भाप उड़ाती कहानी सलीके से उड़ेलते हुए वो हसरत से देखती है... सामने जो बागान का सौदागर था, शुगर पॉट आगे खिसकाते हुए सुझाता है डेढ़ चम्मच से मुकम्मल होनी चाहिए कहानी... हम देखेंगे, खुद को कहते सुनती है। चम्मच में झूठ भर वो उड़ेलती है मग में एक टीस्पून, दो, तीन... फिर न जाने ऐसा क्यों होता है कि मग आइसक्रीम कोन हो जाता है कहानी ज़िन्दगी सी ठंडी और झूठ जैसी मीठी हो जाती है।
बागान का सौदागर मन ही मन मुस्कराता है और और जेब में हाथ डालकर जांघिए को खींचकर ठीक करने में जुट जाता है।

1 comment:

कविता रावत said...

झूठ फरेब में भले ही इंसान ज्यादा खुश नज़र आता हो, लेकिन आत्मिक ख़ुशी नहीं मिलती इससे..
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामाएं