Thursday, October 04, 2007

क्‍या मेरे चिट्ठे के रोमन रूप पर मेरा कापीराईट है ?

इधर चिट्ठों की दुनिया में चोरी-चकारी खूब बढ़ गई है- कुछ तो बाकायदा पेशेवर चोर हैं। अब जब ऐसा है तो जाहिर है कि कुछ लोगों को इन्‍हें रंगे हाथों पकड़ने का जिम्‍मा भी लेना पड़ेगा। तो बेचारे शास्‍त्रीजी सरीखे कुछ मित्र मेहनत कर कर खोजते रहते हैं कि कब, कहॉं, किसने, क्‍या चोरी किया, किसका माल चोरी गया। चुराए जाने का गौरव प्राप्‍त लोगों में अधिकतर कवि बिरादरी के लोग हैं पर व्‍यंग्‍यकारों ने भी जब तब गर्व से घोशित किया है कि हमें ऐसा वैसा न जानो आखिर हमें भी चुराया जाता है। हम इस चुराने-चुराए जाने के मामले में किनारे खड़े बस देखते रहते हैं। बहुत बार चुराए गए माल पर नजर डाल ये जरूर जानने की कोशिश करते हैं कि भई इसे आखिर चुराया क्‍यों गया। किसी अधेड़ दंपत्ति को जाते देख जब कोई ये बताए कि देखो इन्‍होंने 'लव मैरिज' की थी, तो कुछ लोग खूब आंखे गाड़कर ये जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इसमें क्‍या रहा होगा....। हम भी चुराई पोस्‍टों में चोरिएबिलिटी के तत्‍व खोजते हैं। पर सही कहें कि हम तो खूब कन्‍फ्यूज हैं।

पहला भ्रम तो यह है कि भई किसी ब्‍लॉग में ब्‍लॉगर का क्‍या है- मतलब तकनीकी तौर पर पूरा ब्‍लॉग बनता है पोस्‍ट से और उसपर की गई टिप्‍पणियों से। टिप्‍पणी पाठक की 'रचना' है और पोस्‍ट लेखक की। दोनों मिलकर तो लेखक-पाठक की रचना हुए फिर काहे की चोरी- तेरा तुझको सौंपे क्‍या लागे मेरा। पर ये भी तो सच है कि अगले (लेखक) ने इतplagiarisनी मेहनत से लिखा  तो श्रेय पर तो हक बनता है कि नहीं। पर अगर एडसेंस की दुनिया से बात करें तो (वैसे हम खूब जानते हैं कि महीने भर की हिंदी एडसेंस से हफ्ते भर की प्‍याज खरीदने लायक भी कमाना संभव नहीं पर मात्रा छोड़ें सैद्धांतिक स्‍तर पर बात करें)  तो चूंकि लेखन से कमाई पर लेखक का हक बनता है इसलिए बिना अनुमति किसी और की सामग्री नहीं छापी जानी चाहिए। यहॉं एक और लोचा है- कई ब्‍लॉगों पर गेस्‍ट लेखकों की रचनाएं छपती हैं (मसलन रचनाकार, मोहल्‍ला) तो उनकी अनुमति लेखक से ली जाए कि ब्‍लॉगर से।

पर असल भ्रम है रूपातंरित रचनाओं पर। नया चिट्ठाजगत आया है। अंगेजी में। देखें वो बाकायदा आपकी ही नई नवेली (और पुरानी) पोस्‍टों के रोमन संस्‍करण को सामने रख रहा है- डंके की चोट पर। वहॉं कहा गया है-

Chitthajagat.com is automated devanagari to english (Roman Hindi) transliteration of chitthajagat.in.
Chittha (Blog) Jagat (World) dot in aggregates and publish devanagri blogs. Here you can read them in roman. To read the original article in Hindi click the title of entry, and to read it in roman click more at the end of clipping.

अब आप क्‍या कहेंगे। चोरी .... या क्रिएटिविटी। हम बताएं हमें तो लगता है कि अपने लिखे पर मालिकाना हक को कुछ लोचदार बनाया जाना चाहिए। कोई अगर लिंक व नाम देकर उपयोग करे तो करने दें। लिंक व नाम नहीं भी दे रहा होगा तो हम कर ही क्‍या लेंगे पर कम से कम तब हम नैतिक रूप से जरूर उसे 'चोर' कह सकते हैं।

 

34 comments:

अभिनव said...

आपने बहुत दूर की खोज की है पर क्या इस विषय पर हमारे तकनीकी साथी कुछ बतायेंगे?

काकेश said...

गूढ़ प्रश्न है हम जैसे मूढ़ के लिये नहीं.

वैसे प्याज के बारे में यदि आप पूछें तो बता सकता हूँ..कि यदि ऎड सैस की कमाई से हफ्ते भर का प्याज खरीदने का सोच रहे हैं तो आप सचमुच साहसी हैं. हम यदि सोचते तो खुद को मूरख कहते.

Anonymous said...

क्योंकि रचना आपकी है, और एग्रेगेटर ने लिपि भर बदली है, तो बेशक आपका कापिराइट होगा. ठीक उसी तरह जिस तरह किसी लेख के अनुवाद का होता है. लेकिन आप इतने परेशान क्यों हैं?

मसिजीवी said...

बेनाम मित्र, तकनीकी तोर पर आपका कहा ठीक ही जान पड़ता है-

परेशानी कुछ नहीं पर चूंकि चिट्ठाजगत रोमन लिपि वाले संस्‍करण के संदर्भ में पाठक को चिट्इे पर भेजने के स्‍थान पर अपने ही पृष्‍ठ पर लिप्‍यांतरित सामग्री दिखा रहा है-
मसलन इस पोस्‍ट के अंगेजी संस्‍करण के लिए-http://www.chitthajagat.com/?post=http%3A%2F%2Fmasijeevi.blogspot.com%2F2007%2F10%2Fblog-post_04.html

अत: सवाल उठा।
(वैसे पता नहीं कि क्‍या भेमियो भी यही करता है कि वह हमारे चिटृठे पर भेजता है....तकनीकज्ञ राह बताएं)

अभिनव said...

भोमियो आपके ब्लाग की सामग्री आन द फ्लाई जनरेट करके दिखाता है। उसे अपने डाटाबेस में संग्राहीत नही करता। अगर आपका ब्लाग काम नहीं करता तो भोमियो आपके ब्लाग से आपके लेख नहीं दिखा सकता। अगर आपके एड आपके ब्लाग पर होते हैं तो पढ़ने वाला उसे क्लिक करे तो आपको आय हो सकती है।

Anonymous said...

आपने शायद यह नहीं देखा

http://www.blogvani.com/Default.aspx?mode=blog&blogid=380


यहाँ आपकी सारी पोस्ट फुल-फुल मिलेंगी, मूल देवनागरी में, एक साथ, एक पन्ने से दूसरे पन्ने पर जाने की भी जरूरत नहीं।

Shastri JC Philip said...

गैर व्यापारिक कार्य के लिये किसी भी व्यक्ति की कृति का उपयोग, अनुवाद, कुछ "सीमाओं" में किया जा सकता है. इसके लिये किसी भी तरह के अनुमति की आवश्यक्ता नहीं है. पहली शर्त यह है कि मूल कृति के लेखक का नाम एवं कृति का नामपता स्पष्टता से दिया जाये जिससे पाठक चाहे तो मूल कृति को पाने/देकने की कोशिश कर सके. दूसरी शर्त यह है कि सीमाओं का पालन किया जाये. इन सीमाओं को न्यायपालिका ने समय समय पर तय किया है.

लिपि का अंग्रेजीकरण प्रतिलिपि अधिकार का हनन नहीं है.

जब आप एक एग्रीगेटर को अपनी फीड पंजीकृत करवा देते है तो वह आपकी प्रविठि को पूरी तरह से प्रदर्शित करने का अधिकार पा लेता है. अत: ब्लॉगवाणी पूरे लेख को प्रदर्शित करने पर किसी भी तरह की गलती नहीं कर रहा है.

-- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

अभिनव said...

पुरा लेख दिखाना कापीराइट का हनन है, चाहे जो करे। ब्लागवाणी या चिठ्ठाजगत। ये गलत काम तुरन्त बन्द होना चाहिये।

आश्चर्य है कि दिन रात चिठ्ठाजगत का नाम लेने वाले शास्त्री जी यहा सिर्फ ब्लागवाणी का ही नाम ले रहे है। यहां चिठ्ठाजगत का नाम क्यों याद नहीं आ रहा है?

Anonymous said...

ब्लॉगवाणी ने लेख छोटे दिखाना शुरू किया वाह

CG said...

मसिजीवी जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण उठाया है. ब्लागों की सामग्री पर सिर्फ ब्लाग लेखक का एकाधिकार है. एग्रिगेटर का रोल सिर्फ और सिर्फ पाठकों को ब्लाग तक पहुंचाना ही है. और कुछ नहीं है.

1. ब्लागवाणी ब्लाग का पूरा कन्टेन्ट कभी भी नहीं दिखाता था - आपकी फीड में कन्टेन्ट दो जगह दिया जाता है. एक तो सेम्पल, और दूसरा पूरा कन्टेन्ट. सैम्पल में जितने भी शब्द काउंट आपने निश्चित किये हों, उतने ही हम दिखाते हैं.शायद डिफाल्ट में यह 500 शब्द होता है, इसी वजह से कुछ चिट्टे समूचे दिखें हों. लेकिन हर चिट्ठा समूचा नहीं दिखाया जाता. हमारी हर प्रविष्टि के नीचे तीन ellipses (...) के साथ पाठक को ब्लाग पर जाने के लिये लिन्क दिया जाता है.

क्योंकि ज्यादातर ब्लागर अपने सेम्पल की शब्द संख्या नहीं छेड़ते और कभी-कभी उनकी पूरी प्रविष्टि दिख जाती है, इसलिये अब हमने इस को 200 वर्णों (शब्द नहीं) तक रोक दिया है.

ब्लागवाणी का उद्देश्य ब्लागर्स को नुक्सान पहुंचाकर पैसा बनाना नहीं, उन तक पाठक पहुंचा कर हिन्दी ब्लागिंग में सहायक बनना है. हमारी कोशिश हमेशा यही रहेगी.

2. ब्लागवाणी आपका पूरा कन्टेन्ट संग्रहित ही नहीं करता - आपके लेखन पर सिर्फ आपका एकाधिकार है, इसलिये हम आपके पूरे लेख को अपने डाटाबेस में नहीं रखते. मतलब अगर आप कोई प्रविष्टी किसी कारणवश मिटाते हैं (जो आप लोगों को नहीं दिखाना चाहते) तो कोई भी उसे ब्लागवाणी पर भी आकर नहीं पढ़ सकता.

3. ब्लागवाणी को हमने आपके सुझावानुसार बनाया है, और आगे भी आपको इसमें कोई कमी दिखे, या कुछ ऐसा हो जिससे ब्लाग दुनिया को फायदा पहुंचे तो हमें अवश्य बतायें

सिरिल मैथिली गुप्त

Anonymous said...

वाह ब्लागवाणी बहुत ही तेज चैनल है ये.
वाह वाह वाह्

Udan Tashtari said...

अच्छा मुद्दा और विमर्श चल रहा है. काफी जानकारियाँ मुहाने पर बैठे बैठे ही मिल जा रही हैं. अभी भी बैठे ही हैं.

Anonymous said...

शास्त्री जी;
"...जब आप एक एग्रीगेटर को अपनी फीड पंजीकृत करवा देते है तो वह आपकी प्रविठि को पूरी तरह से प्रदर्शित करने का अधिकार पा लेता है"

यानी जिन लोगों ने फीड पंजीकृत नहीं कराई, उनकी पूरी फीड चिठ्ठाजगत नहीं दिखाता है?

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
विपुल जैन said...
This comment has been removed by the author.
विपुल जैन said...

ब्लागवाणी ब्लाग का पूरा कन्टेन्ट कभी भी नहीं दिखाता था!!!!!

ब्लागवाणी ब्लाग का पूरा कन्टेन्ट कभी भी नहीं दिखाता था!!!!!

Rachna Singh said...

This is my own personal experience that blog vani has all the post available even if they are deleted from the blog. This makes the copying very very easy . I got my blog deleted from agregators for this very reason. I had to call blogvani office to get the blog entries deleted on permanent basis. i have written to aggregators several times that you should make a anouncement on the site that copying is offence . Many people copy for the sake that they like some thing . They dont even go to the actual site .
Secondly in case of chittajagat i also got he blog deleted but for that i had to place an request then the implemented the same . Initially they told me that i should disable RSS feeds . Disabling feed means that the blog will not show any where .
The third aggregator { not narad} i am sorry the name is not coming immediately told me that legally i cant ask them to deletet the feed because i have enabled RSS feeds.
I feel aggregators should only show the blogs as directory and not as feed on their sites . Sooner or later this is going to creat problems for every one . As such also aggregators play very small role in promoting the site to surfers. Any blogger can put a simple metatag in edit html in template and the goggle will automatically search the blog . there are free submission sites available and google , yahoo altavista all have link submission .
It seems HINDI bloggers have a illusion that more traffic comes to their site thru aggregators. I am no authority but with my little knowledge and experience i can only say that aggregators are promoting hindi bloggers only to hindi bloogers. And translating blog into roman is infringement of copyright if its done without authers permission

Rachna Singh said...

@vipul jain
Blogvani used to show full content. Its stopped now
chittahjagat did not have the option to opt out till i requested one .you had even emailed me that i should disble RSS feed and the blog will not show automatically

विपुल जैन said...

रचना जी आप गलत हैं, आपकी फीड सार्वजनिक वस्तू है, उसका कोई भी भोग कर सकता है (बस वो यह लिखे कि उसका source क्या है), अगर अपने लेख खुद लिख कूद ही पढना चाहती हैं तो फीड content disable कर के रखें, या ब्लॉग password protect कर के रखें।
गूगल पर जाएँ, वहाँ भी आपका पूरा लेख मिलेगा(cache) में, कहो तो screen shot भेजूँ।

Rachna Singh said...

http://chittha.chitthajagat.in/2007/09/hello.html

@vipul
People who read in google are not all hindi bloggers so they wont copy my simple contention is that hindi aggrgators by puting feed all together are making copying hindi simple . i have nothing against any aggregator and its my personal experience that i am discussing on masjeevis blog . i dont need a cache. i am profocent in this may be not as good as you are but still enough to find out where the content is being copied and i can help any blogger whose conetent is being copied because i feel its a crime to copy .

मसिजीवी said...

मुझे यहॉं यह अनुरोध करना अत्‍यावश्‍यक जान पड़ता है कि स्‍पष्‍ट करूं कि एग्रीगेटरों के बीच किसी किस्‍म के विवाद को जन्‍म देना उद्देश्‍य नहीं है। एक से ज्‍यादा बार स्‍पष्‍ट कर चुके हैं कि हमारे चिट्ठे की सारी सामग्री, सर्वसुलभ है। इसका उपयोग करने वाले यदि नाम व लिंक दें तो और भला।

फीड के सार्वजनिक होने के विषय में हमने बहुत पहले ही सवाल उठाया था- हम विपुल से सहमत हैं कि फीड सार्वजनिक है इसलिए उस पर मालिकाना हक जताना शायद ठीक नहीं- वरना आप चाहे तो ब्‍लॉग को खुद व अपने म्रित्रों तक सीमित कर लें।

किंतु ट्रांसलिटरेशन का मसला थोड़ा आगे जाता है अपने चिटृठे के लिए मुझे उससे भी कोई आपत्ति नहीं है पर सिंद्धांतत: यह ठीक जान पड़ता है कि रोमन में पढ़ने की चाह रखने वालों को भी भोमियो की तरह चिट्ठे पर ही भेजा जाए न कि अपने पास सेव किए हुए मसाले तक।

सिरिल 200 केरेक्टर्स के सार तक सीमित रखने की जो बात कर रहे हैं वह शायद बहुत कम है और चूंकि चिट्ठाजगत सर्च की भी सुविधा देता है इसलिए संभवत चिट्ठाजगत को तो सारी सामग्री की इंडेक्सिंग करनी ही होगी।

तकनीकी मामले में पैदल हैं इसलिए यदि भूलवश कोई गलत मामला छेड़ बैठे हैं तो इसे इग्‍नोर कर जैसा चल रहा है चलने दें।

Anonymous said...

http://maeriawaaj.blogspot.com/

Shastri JC Philip said...

अभिनव ने पूछा

"आश्चर्य है कि दिन रात चिठ्ठाजगत का नाम लेने वाले शास्त्री जी यहा सिर्फ ब्लागवाणी का ही नाम ले रहे है। यहां चिठ्ठाजगत का नाम क्यों याद नहीं आ रहा है?"

इसलिये नहीं आ रहा क्योंकि मेरी टिप्पणी के पहले किसी अनजान व्यक्ति ने ब्लोगवाणी के विरुद्ध एक टिप्पणी दी थी जो इस तरह से है:

"आपने शायद यह नहीं देखा
http://www.blogvani.com/Default.aspx?mode=blog&blogid=380
यहाँ आपकी सारी पोस्ट फुल-फुल मिलेंगी, मूल देवनागरी में, एक साथ, एक पन्ने से दूसरे पन्ने पर जाने की भी जरूरत नहीं।"

मेरी टिप्पणी इस के जवाब में थी कि ब्लोगवाणी जो भी कर रहा है वह गलत नहीं है.

चूकि प्रश्न सिर्फ ब्लोगवाणी के बारे में था अत: जवाब भी सिर्फ ब्लोगवाणी के बारे में था कि वे गलत नहीं कर रहे है.

शास्त्री

Anonymous said...

aaj kal blogvani per naarad ka tag hae chittahjat ka gaayab ho gayaa hae , kya yahee karan hae vipul kee theekhee post ka

नूर की बात, रौशनी की बात said...

मसिजीवी जी आपने बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है। मैं आने वाली दो पोस्टों पर इस पर अपनी समझ के अनुसार लिख रहा हूं।
नूर मोहम्मद खान
http://noormok.blogspot.com

आलोक said...

हमारा समय बचाने के लिए धन्यवाद

Anonymous said...

masijeevi ji ने बहुत अच्छा विषय उठाया है - लेख और सभी के विचार पढ़ कर अच्छा लगा और काफी जानकारी मिली.

जिन विषयो पर बातचीत हो रही है वो बहुत टेक्नीकल हैं, फिर भी जितनी मुझे समझ है, उस के हिसाब से ही टिपण्णी कर रहा हूँ, और जो सवाल हैं, वो भी रख रहा हूँ - जहाँ-जहाँ भी ग़लत हो - कृपया मार्गदर्शन करियेगा ..

"पर असल भ्रम है रूपातंरित रचनाओं पर।"..... "अब आप क्‍या कहेंगे। चोरी .... या क्रिएटिविटी।"
और साथ ही शास्त्री सर की टिप्प्णी "लिपि का अंग्रेजीकरण प्रतिलिपि अधिकार का हनन नहीं है." ने मेरे विचार में, कुछ सवाल उठाया है, जिसको मैं आपके समक्ष रख रहा हूँ ..

मसिजीवी जी के चिठ्ठे पर कोई प्रतिलिपि अधिकार की statement नहीं है। (कम से कम मुझे नहीं दिखी)
जानकारों को इस विषय में ज्यादा पता होगा, परन्तु मेरी समझ में, इसका मतलब हुआ की आपके ब्लॉग के पोस्ट की, किसी भी तरह से कापी नहीं की जा सकती, क्योंकि आपने उसकी कोई स्पष्ट इजाजत नहीं दी है.
हर बार आप से इजाज़त लेनी पढेगी ...
परंतु एक टिप्प्णी में आपने कहा "एक से ज्‍यादा बार स्‍पष्‍ट कर चुके हैं कि हमारे चिट्ठे की सारी सामग्री, सर्वसुलभ है। इसका उपयोग करने वाले यदि नाम व लिंक दें तो और भला।"
इसी sitaution के "सुधार" के लिये creative commons (या अन्य कोई भी अपने मन से) कापीराईट statement आम-तौर पर प्रयोग होते हैं - जो की sharing की इजाज़त, कुछ शर्तों के आधार पर देते हैं और “picture” को एकदम clear बनाते हैं...

मसिजीवी जी की इच्छा का तो टिप्प्णी से पता चल गया परंतु अधिकांश ब्लौगर अभी भी कोई copyright statement नहीं लगाते - ऐसे में technically उनके ब्लौग को romanise कर के store करना illegal हो सकता है .. क्योंकी जब कुछ भी स्प्ष्ट नहीं है तो हो सकता है कल कोई शिकायत करे ..

मसिजीवी जी की बात
"कई ब्‍लॉगों पर गेस्‍ट लेखकों की रचनाएं छपती हैं (मसलन रचनाकार, मोहल्‍ला) तो उनकी अनुमति लेखक से ली जाए कि ब्‍लॉगर से।"
को और आगे बढाते हुये मैं एक केस और सामने रखना चाहूँगा - जानकारों से निवेदन है की इस पर भी थोड़ी रोशनी डालें ..

सारथी पर ताज़ा लेख है
http://sarathi.info/archives/755

original पोस्ट
http://visfot.blogspot.com/2007/10/blog-post_266.html

लेखक संजय जी के ब्लौग पर कोई कापीराइट statement नहीं है.
संजय जी की जो भी इच्छा हो, वो तो वह जरुर किसी ना किसी टिप्प्णी में या आगे भी बता सकते हैं, परंतु कापीराइट statement ना होने का मतलब technically यह है की कापी करना पूरी तरह से restricted है. (अगर technically मैं गलत हूँ, तो सही करने की क्रपा करें - आपका आभार होगा.)

अब जब यह सारथी पर छपा है तो इसका कापीराइट बदल जाता है क्योंकी शास्त्री सर के ब्लौग का कापीराइट है
"This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 License"

मैंने आज तक कभी भी सर को किसी पोस्ट के नीचे अलग से कापीराइट statement का प्रयोग करते नहीं देखा, परंतु शायद कई बार ऐसा होना चाहिये, क्योंकी original author का copyright कुछ अलग हो सकता है.
इसलिये गेस्‍ट लेखकों की रचनाएं छापने वाले हर ब्लौग को और सावधान होना चाहिये - एक general copyright statement शायद सही solution ना हो.

(शास्त्री सर से विनम्र निवेदन है की मेरी बात का बुरा ना मानें - मैं ही जानता हूँ, की यह लिखते हुये मेरा मन कितना दुखी है, की कहीं आपको बुरा ना लगे... - परंतु फिर भी लिख रहा हूँ - केवल technical कारणों से...
गलत हो तो मुझे क्रप्या माफ करियेगा.)

आगे यही पोस्ट chitthajagat पर roman lipi में आ जाती है
http://chitthajagat.com/?post=http://sarathi.info/archives/755

और इस पन्ने पर लिखा है
"© All Rights Reserved 2007"
यानी फिर कापीराइट बदल गया है??

ध्यान देने की बात यह है, की यहाँ पर पूरी पोस्ट है.
यह republishing ही कहलायेगा - कारण चाहे कुछ भी हो - aggregation या कुछ भी,
पूरी पोस्ट है, तो यह republishing ही कहलायेगा.

ऐसे में सवाल यह है की केवल रोमन लिपी में लिखते ही, क्या ब्लौग owner(विस्फोट) ke original copyright का क्या मतलब रह गया - या जहाँ से यह पोस्ट aggregate हुयी है (सारथी), वहाँ का भी तो copyright यह पूरा नहीं कर पा रहे??

सारथी का कापीराइट non-derivative है -
“You may not alter, transform, or build upon this work.”
किसी भी प्रकार के “adapatation” के लिये "Licensor" से special permission की जरूरत है.
The licence
http://creativecommons.org/licenses/by-nc-nd/3.0/legalcode
reads in pt3
“The above rights include the right to make such modifications as are technically necessary to exercise the rights in other media and formats, but otherwise you have no rights to make Adaptations.”

जैसे की किसी किताब के कागज़ पर रहने के लिये, यह जरूरी नहीं की उसे अनुवाद किया जाये (बगैर इजाज़त अनुवाद करना illegal कहलायेगा) - इस पोस्ट को अंतरजाल पर रहने के लिये रोमन में छापने की कोई तकनीकी मजबूरी नहीं है - original author ने देवनागरी लिपी चुनी है और अनुवाद की स्पष्ट इजाज़त है की नहीं???

आप मुझे यह भी संतुष्ट कर दें की यह "derivative” permitted use में आता है, तो भी licence का URI ना दे कर आप CC licence ke caluse 4a) को तोड़ रहें हैं.
और
"© All Rights Reserved 2007" लिख कर
आप original licence को restrict कर रहे हैं - यह भी clause 4a) allow नहीं करता.
क्या सिर्फ romanise कर देने से आपको licence तय करने की permission मिल जायेगी ???
फिर original लेखक की इच्छाओं का क्या मतलब रह जायेगा???

मैं यह सब सवाल केवल जानकारी के लिये पूछ रहा हूँ.
कोई जानकार कुछ रोशनी डालें तो आभार होगा.


एक और case को सामने रखना चाहूँगा.
chittajagat.in पर register करते समय भी आप romanisation का कोई option या acceptance नहीं देते/माँगते - ना ही शायद जो ब्लौग पहले से chittajagat.in पर registered हैं, उनसे permission ली गयी है ??? ऐसे में "derivative" कैसे possible है?

http://swapandarshi.blogspot.com/2007/10/blog-post_9995.html
blog par copyright statement hai
"Copyright © 2007 by blog author/All Rights Reserved
The author of this blog holds copyright to original text, articles (including roman version), photographs, sketches etc created by her. Reproduction including translations /modification of any afore mentioned material is not allowed without prior permission. But if someone is interested, leave a note on comments below the posting"
aur chiitajagat ka roman version yahan hai
http://www.chitthajagat.com/?post=http://swapandarshi.blogspot.com/2007/10/blog-post_9995.html

यहाँ भी पूरी पोस्ट है - अब permission ली गयी है की नहीं ??? - यही तय कर सकता है की technically यह copyright infringement है की नहीं.

शायद कोई भी ब्लौगर आपके रोमन लिपी के aggregator के खिलाफ ना हो (शायद कुछ हों भी??) पर ऐसे में
सबको अपना copyright appropriate change कर लेना चाहिये और आपको भी इस चीज़ को चैक करना चाहिये नहीं तो शायद कल को कोई शिकायत कर सकता है ..

क्योंकी यह मसला technical है इसलिये हो सकता है इसका कोई और भी पहलु हो - जानकार अगर बतायें तो बहुत क्रपा होगी...



शास्त्री सर की टिप्प्णी
"गैर व्यापारिक कार्य के लिये किसी भी व्यक्ति की कृति का उपयोग, अनुवाद, कुछ "सीमाओं" में किया जा सकता है. इसके लिये किसी भी तरह के अनुमति की आवश्यक्ता नहीं है. पहली शर्त यह है कि मूल कृति के लेखक का नाम एवं कृति का नामपता स्पष्टता से दिया जाये जिससे पाठक चाहे तो मूल कृति को पाने/देकने की कोशिश कर सके.
सर, क्या पूरे लेख का भी अनुवाद किया जा सकता है ???
इस तरह से तो कई अंग्रेज़ी के लेख, कवितायें, किताबें - ना जाने क्या-क्या अनुवाद किया जा सकता है, बस आखिर में original source बता दें... यह शायद ठीक नहीं है.
अनुवाद करने का कारण बहुत वजन रखता है और साथ ही पूरा लेख अनुवाद (और database में storage) तब ही ठीक है, जब की वो कापीराइट के अनुसार हो...
"पहली शर्त" या और जो भी शर्तें हैं - वो केवल कापीराइट ही तय करेगा - public domain works को पूरी तरह अनुवाद किया जा सकता है - उसमें "पहली शर्त" भी सामने नहीं आयेगी ..

शायद बगैर स्पष्ट इजाज़त के, पूरा लेख किसी भी हाल में allowed नहीं हो सकता.
केवल उसके कुछ हिस्से, analysis ya comments के लिये तो allowed हैं, परंतु शायद पूरा लेख, "सीमाओं" के पार हो जायेगा.. जानकार रोशनी डालें तो बहुत आभार होगा - मैं केवल अपनी सीमित जानकारी से लिख रहा हूँ - केवल इस उम्मीद में की शायद सही बात जान पाऊँ ..

अब यूँ ही मान लें की मसिजीवी जी ने adsense लगा रखा है, परंतु कई पढ़ने वाले हो सकता है chittajagat.com पर ऊपर दिये गये लिंक पर ही पूरा article पढ़ें और यहाँ आयें ही नहीं - इसलिये लगता है की यह तो "सीमाओं" में नहीं होना चाहीये।

इसीलिये मैं भी रचना जी की बात का समर्थन करता हूँ
"I feel aggregators should only show the blogs as directory and not as feed on their sites . Sooner or later this is going to creat problems for every one ."

aggregators summary तक ही रहें तो मेरी राय में best hai, शायद ऐसे विचार रखते हुये ही "अचानक"(??) ब्लोगवाणी में कुछ बदलाव आया है - "इसलिये अब हमने इस को 200 वर्णों (शब्द नहीं) तक रोक दिया है"

मैं Cyril जी की बात "आपके लेखन पर सिर्फ आपका एकाधिकार है, इसलिये हम आपके पूरे लेख को अपने डाटाबेस में नहीं रखते." से भी सहमत हूँ .

लेकिन शुरु से ऐसा ही होना चाहिये था क्योंकी कई ब्लौगर तकनीक में माहीर नहीं हैं ..

विपुल जी का शुक्रिया
"ब्लागवाणी ब्लाग का पूरा कन्टेन्ट कभी भी नहीं दिखाता था!!!!!"
का खुलासा तस्वीरों की सशक्त आवाज़ से करने के लिये.

शास्त्री सर की टिप्पणी
"जब आप एक एग्रीगेटर को अपनी फीड पंजीकृत करवा देते है तो वह आपकी प्रविठि को पूरी तरह से प्रदर्शित करने का अधिकार पा लेता है. अत: ब्लॉगवाणी पूरे लेख को प्रदर्शित करने पर किसी भी तरह की गलती नहीं कर रहा है."
तकनीकी तौर पर सही है, मगर कापीराईट के तौर पर, मामला शायद "grey zone" में आ जाता है.
इसलिये शायद सभी aggregators को जनसेवा के तौर पर, और अपने को बाद में किसी भी शिकायत से बचाने के लिये, registeration ke पहले , एक पन्ने में यह information देनी चाहिये और स्पष्ट permission ले लेनी चाहिये
1. यदि ब्लौग का पूरा feed खुला है, तो क्या वो पूरी feed को अपने database में रखते हैं की केवल 200/500 शब्द?? पूरी feed होने पर, user से पूछ लें की वो पूरी फीड database में चाहते हैं की 200/500 शब्द और वहीं agreement पर acceptance ले लें, जिससे की कल कोई ब्लौगर शिकायत ना करें और ना दुखी हों - जिस ब्लौगर को जो पसन्द हो, वो अपने अनुसार aggregator को permission दें और aggregator की services का प्रयोग करें ..
2. common blog platforms jaise blogger ya wordpress par feeds ko kaise limit kar sakte hain, iski jaankari available kara dein to aur acchaa ya ctrl-panel me option de dein jisSe har user apne anusaar chun sake, kee kitne words feed me aayein.. हो सकता है इसमें थोड़ा technical issues आयें - मगर शायद यह possible जरूर है ..
3. कोई अपना खाता बाद में बन्द करना चाहे तो उसकी फीड हटाने का provision होना चाहिये.
जैसे की रचना जी ने बताया
i)"I had to call blogvani office to get the blog entries deleted on permanent basis."
ii) "Secondly in case of chittajagat i also got he blog deleted but for that i had to place an request then the implemented the same ."
iii) "told me that legally i cant ask them to deletet the feed because i have enabled RSS feeds."
ऐसा शायद नहीं होना चाहिये. यह पढ़ कर बेहद दुख होता है .
और विपुल जी की अभी की टिप्प्णी
"अगर अपने लेख खुद लिख कूद ही पढना चाहती हैं तो फीड content disable कर के रखें, या ब्लॉग password protect कर के रखें।
गूगल पर जाएँ, वहाँ भी आपका पूरा लेख मिलेगा(cache) में, कहो तो screen shot भेजूँ।"
बुरा ना मानियेगा विपुल जी, पर यह कहना कुछ शोभा नहीं देता.

सिर्फ इसलिये की किसी ब्लौग का फीड खुला है, तो आप उसे aggregate कर सकते हैं - यह तकनीकी तौर पर बिल्कुल सम्भव है, परंतु अच्छे aggregators को शोभा नहीं देता, वरना scrapers/ spam blogs और पूरी फीड दिखाने वाले aggregators में क्या फर्क रह जायेगा?

कोई भी ब्लौगर चाहे तो फीड खुली रख सकता है, या चाहे तो केवल एक या दो aggregaotrs पर register करे ... पर यह कहना की फीड खुला है, इसलीये फीड डीलीट नहीं किया जा सकता, या किसी aggregatgor se हटना है, तो फीड बंद कर दिजीये, उचित नहीं लगा।

विपुल जी "आपकी फीड सार्वजनिक वस्तू है, उसका कोई भी भोग कर सकता है (बस वो यह लिखे कि उसका source क्या है)"
यह सही नहीं है - practically रोकना बहुत मुशकिल है परंतु फीड पर भी वही कापीराइट होता है जो पोस्ट पर , क्योंकी यह भी लेखक की रचना है - सिर्फ लेखक एक आसान तरीके से उसे उपलब्द करा रहा है, तो इसका यह मतलब नहीं, की फीड सार्वजनिक वस्तू हो जाये .. उस पर भी वही कापीराइट लागु होता है, इसलिये सिर्फ source बता कर कुछ भी किया जा सकता है - ऐसा नहीं है ..

मानिये की कोई चाहता है की वो याहू के सर्च इंजीन पर ना आये - केवल गूगल पर आये, पर याहू वाले कहें की आप अपना साइट बंद कर लें वरना हम तो आपका साइट जरूर दिखायेंगे.. अजीब दादागिरी हो जायेगी - शुक्र है ऐसा नहीं होता - आप चाहे तो किसी भी सर्च इंजन पर ना आयें - या सिर्फ गूगल पर आयें ... गूगल इमेज्स पर ना आयें ... बहुत सी सम्भावनायें technically करना possible है ..

विपुल जी,
"अगर अपने लेख खुद लिख कूद ही पढना चाहती हैं तो फीड content disable कर के रखें, या ब्लॉग password protect कर के रखें।"

क्यों फीड disable करें ?
क्यों password protect करें?
जो आपका aggregator use कर रहें हैं, आप उनकी फीड दिखायें, जो unregistered हैं, वो चाहे कुछ करें...
जहाँ तक गूगल का सवाल है, तो क्यों “screenshot” भेजने पर नौबत आ रही है - यह आप भी जानते हैं की यह सब optional होता है
गूगल खुद cache को avoid करने का तरीका देता है
http://www.google.com/support/webmasters/bin/answer.py?answer=35306
META NAME="GOOGLEBOT" CONTENT="NOARCHIVE"
MSN भी ऐसी permissions देता है
http://search.msn.com.sg/docs/siteowner.aspx?t=SEARCH_WEBMASTER_REF_RestrictAccessToSite.htm
याहू भी देता है
http://help.yahoo.com/l/us/yahoo/search/webcrawler/slurp-05.html


अगर किसी का पन्ना गूगल के cache में दिख रहा है तो इसका यह मतलब नहीं की आप भी अपने aggregator पर उसे “cache” कर सकते हैं - क्यों “screenshot” भेजने की धमकी है??
गूगल पर कोई बलौगर अपनी मर्जी से है और आपके aggregator पर शायद ना आना चाहता हो ..
यह पढ़ कर बहुत अफसोस हुआ - सच पूछें तो यह इतना दुखद लगा की इसे पढ़ कर ही मैंने टिप्प्णी लिखने का मन बनाया ..

आप अपने aggregator पर (full-feed/ summary) या (caching/nocaching) जैसे option देने के बजाय किसी user ko गुमराह क्यों कर रहें हैं?

positive step तो यह होगा की आप chittajagat पर और options provide करें.

जैसे की रचना जी की request पर अब खाता close करने का option hai..

मेरे विचार में बहुत कम लोग हैं जो अपना opinion खुल कर रखते है और ऐसे लोगों का आदर होना चाहिये और रचना जी का या और भी जो आदरणीय user, जो भी opnion देते हैं - आप please जहाँ तक हो positively लें - उलटा "screenshot” भेजने की बात शोभा नहीं देती.
और ना ही यह कहना की feed बंद कर दिजीये ..
बुरा ना मानियेगा मैं केवल positive outlook से ही यह बात कह रहा हूँ - please मेरी बात का बुरा ना मानियेगा. बुरा लगे तो मै माफी माँगता हूँ क्योंकी आपको बुरा लगे इसके लिये मैं कुछ नहीं कह रहा है - बस इतने के लिये की यह सब options होने चाहिये.

chittajagat के दोनों साइट बहुत ही लाभकारी हैं परंतु जो भी समस्या या शंका कोई भी user आपके सामने रखे क्र्प्या उसका निरादर ना करें और ना ही "screenshot” type negative बातें - हिन्दी जगत में भी आपका बहुत आदर है. आशा है आप मेरी बात का बुरा नहीं मानेंगे.

किसी को भी कुछ बुरा लगा हो, तो मैं माफी माँगता हूँ क्योंकी मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है.

कोई जानकार कापीराइट के विषेय में जो मैने सवाल रखें हैं उन पर कुछ रोशनी डालें तो बहुत आभार होगा.

दुर्गा

Shastri JC Philip said...

प्रिय दुर्गा

आपने काफी सटीक प्रश्न पूछे है, अत: मै आपकी टिप्पणी को वैसा का वैसा उठा कर सारथी पर उसका जवाब देने की कोशिश करूंगा.

आपके प्रश्नों का बुरा मानने की कोई बात नही, बल्कि आपके प्रश्नों के कारण विषय का खुलासा करने का एक मौका मिल गया है

-- शास्त्री जे सी फिलिप

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है

मसिजीवी said...

@दुर्गा,
मित्र इतनी ज्ञानवर्धक टिप्‍पणी के शुक्रिया। मूलत: आपकी बातों से सहमति है सिवाय इसके कि फीड को सर्वजनिक न माना जाए पर उस पर भी आपकी तर्क श्रंखला से असहमति नहीं है। इतना अवश्‍य है कि हमें लगता है कि चिट्ठाकार का कापीराईट उसके कंटेंट पर माना जाना चाहिए न कि पाठक के पढने के अधिकार पर ही। हमारी फीड सार्वजनिक है पर तुम उसे पढो नहीं ये बहुत तार्किक नहीं जान पड़ता और यदि इसे लागू करना भी चाहें तो बेहद कठिन होगा।

अपने चिट्ठे पर कापीराईट स्‍टेटमेंट के न होन के विषय में साफ करूं कि यह सायास किया गया है, अभी तक मैं क्रियेटिव कॉमन जैसे लाईसेंसों के फाइन प्रिंटों को समझने की चेष्‍टा भर कर रहा हूँ इसलिए इसके स्‍थान पर स्‍वयं 'मुक्‍त अनुमति' देने की प्रविधि पसंद करता हूँ कि हमारी सामग्री सर्वसुलभ है- नाम दें लिंक दें और अच्‍छा।

अब आपने संकेत किया है तो क्रिएटिव कॉमन को समझने के स्‍थगित काम को वरीयता देकर पूरा करता हँ। बाकि शास्‍त्रीजी और प्रकाश डालने का वायदा कर ही रहे हैं

कृपया बार बार लोगों से क्षमा न मांगे, आप किसी पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं केवल तकनीकी पक्ष सामने भर रख रहे हैं।

Anonymous said...

For all copy right informations at one place please see
http://maeriawaaj.blogspot.com/

Anonymous said...

ब्लोग्वाणी , चिट्ठाजगत , नारद , हिंदी ब्लोग्स के लिये r s s फीड संबन्धित जानकारी

The Copyright Debate & RSS RSS is commonly defined as really simple syndication. So, this means that any material contained in a feed is available for syndication, right? Well no, not exactly. It means that the content contained in an RSS feed is in a format that is syndication friendly, if the copyright holder allows for syndication. Offering a feed for syndication does not in fact grant any legal rights to anyone to reuse the feeds content beyond what the Copyright laws grant as Fair Use.

Rachna Singh said...

http://chitthacharcha.blogspot.com/2007/07/blog-post_2187.html

Rachna Singh कहते हैं:
7/31/2007 5:19 PM
हिंदी चिटठा समुदाय अगर इग्लिश मे टाइटिल दे तो नेट पर ज्यादा सर्च मे उनका ब्लोग आयेगा । हिंदी को आगे लाए जाने के लिये इंग्लिश का बहिष्कार ना करके उसका उपयोग करें तो क्या ज़्यादा बेहतर नही होगा

Vipul Jain कहते हैं:
7/31/2007 5:53 PM
रचना जी,
यह गलत है, एक भ्रम है।
हिन्दी खोज भी होती है। कोई चाहे तो में सिध कर सकता हूँ हिन्दी जाल स्थल को गूगल धड़ाधड़ हिन्दी खोज से traffic देता है।
हिन्दी को कतई अंग्रेज़ी घोड़े की जरूरत नहीं है
विपुल

आज से तीन महीने पहले ३१ जुलाई की चिट्ठाचर्चा, पोस्ट मे , मेरी टिपण्णी पर विपुल ने जो तीखा कमेन्ट दीया था इंग्लिश कै विरोध मे{जिसका अनुमोदन मसिजीवी ने भी पुरजोर तरीके से अपनी एक पोस्ट मे किया हे } , उस हिसाब से तो रोमन मे चिट्ठाजगत का आना केवल एक hypocracy के अलावा कुछ नहीं हे . आज वहीँ विपुल रोमन मे english alphabets का उपयोग कर रहें हे . और आज भी वो मुझे ही ग़लत साबित कर रहें हे .
धन्यवाद दुर्गा को क्योंकि सारी चर्चा मे कम से कम आप ने मेरी टिपण्णी का उलेख तो कीया

Anonymous said...

आप का ब्लोग और आप का नाम "रोमनीकरन" के बाद कैसा लगेगा ? आईये नीचे दीं तस्वीरो मे देखे ।

Anonymous said...

सबूत है कि यह एक झूठ है
http://multiboss.net/?module=bc