Saturday, October 24, 2009

इलाहाबाद से गैर-रपटाना....एकदम ब्‍लागराना

इस रपट बहुल वातावरण में हम सरीखे हमारे सामने बहुतई दिक्‍कत है... जब त्‍वरित रिपोर्टिंगों के चलते एक दो तीन चार पॉंच छ: सात... रपटें आ चुकी हों तो हम का करें। बेचारे एक ही नामवर सिंह है गलत तथ्‍य भी एक ही दिया है अब इस पर कितनी बार लिखा जा सकता है.... अमृत उत्‍सव मना चुका व्‍यक्ति एकाध तथ्‍यात्‍मक भूल का हक तो रखता ही है। अपना संकट ये है कि अगर कुछ नहीं लिखा तो कई लोग जिनमें घर के अधिकार-प्राधिकार संपन्‍न लोग शामिल हैं मान बैठेंगे कि हम इहॉं बस मस्‍ती करने आए हैं... तो हमारी निम्‍न बातों पर जरा ध्‍यान दें कि हम मस्‍ती नहीं कर रहे हैं खूब काम कर रहे हैं....

सुबह सुबह खून के आसुओं कर पृष्‍ठभूमि में दो-ठो चाय पीना कम जोर काम नहीं है...

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दो क्‍यों ? अरे साहब हम दम ठोंक कर कहते हैं कि चाय के प्‍यालों का जितना पतन इस शहर में हुआ है उतना तो सांसदों की गरिमा तक का नहीं हुआ...

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हमने खूब अनुमान लगाए कि इस कप का आयतन क्‍या है पर कोई अनुमान तीस एमएल को छू नहीं पाया।

फिर भी चाय साधुवादी थी....क्यों ? इसलिए कि चायवाला साधु था-

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इतने काम को ही ही हम पर्याप्‍त मानते हैं पर यहॉं तो इलाहाबाद न जाने हमसे कितना काम करवा लेने पर उतारू था..मसलन ये कैथा का अनुभव करना..

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न जी इसे कम वीरता का काम न मानें..देखें ये प्रापर इलाहाबादी बालिका तक इस कैथे को चख कैसे उफ कर बैठी हैं-

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और जिन को अबहू लग रहा है कि हम कुछ नहीं कर रहे तो बताइए कि अगर ये जो नामवरजी लुड़कत्व को प्राप्‍त हुए हैं क्‍या इसमें हमारी कोनो भूमिका नही है...

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फिर शाम को अंडा भक्षण...

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सुबह पोहा पूजन

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रात को गपबाजी के चिरकुट सुख-

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इतने काम कर हम बहुत थक गए हैं अनूपजी सर पर सवार हैं चलो नाश्‍‍ता करना ही पडेगा...सुबह भी जलेबी 'खानी पडीं'।

चलते चलते आयोजकों की व्‍यवस्‍था के विषय में बता दें कि पूरा ध्‍यान रखा गया है यहॉं तक कि ब्‍लॉगर संप्रदाय की अनन्‍य आवश्‍यकता टंकी तक की व्‍यवस्‍था परिसर में है जो चाहे झट टंकी आरोहण कर ब्‍लॉगत्‍व को प्राप्‍त हो... हमारी शिकायत बस यही है कि आयोजकों ने ब्‍लॉगरों को शिकायत की गुंजाइश न देकर शिकायत-ब्‍लागिंग की सुविधा नहीं दी है

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एक और बात विनीत के आडियो रिकार्डर खो जाने की खबर से घर के लोग परेशान होंगे कि विनीत जैसा सुपर सतर्क बालक अगर गुमाने पर आतुर हो गए हैं तो हम जैसे गुमातुर व्‍यक्ति क्‍या होगा... तो आश्‍वस्‍त रहें अब तक केवल एक कंघी लापता है...उसकी भी तफ्तीश जारी है। हमारे कमरे के साथी अनूप शुक्‍ल हैं... ये केवल सूचना के लिए है पिछले वाक्‍य से इसका कोनो संबंध नहीं है।

23 comments:

विवेक रस्तोगी said...

फ़ोटो से पोस्ट का मजा दोगुना हो जाता है और फ़ोटो अगर ब्लॉगर्स की हो तो चारगुना। और खानेपीने के साथ हो तो आठगुना। बस हमारा मजा ऐसे ही बड़ाते रहिये, वहाँ नहीं होकर भी ऐसा लग रहा है कि हम सभी लोगों के बीच में बैठे हैं।

विवेक सिंह said...

आपकी कंघी खो गयी ?

अनूप के बाल ज्यादा लम्बे हैं ।

दिनेशराय द्विवेदी said...

इस रिपोर्ट का तो हम घणी देर से इंतजार कर रहे थे जी। जानना चाहते थे कि खाने पीने का क्या इंतजाम हुआ? और क्या क्या खाया पिया गया? पर फोटुओं में अधिक कुछ दिखा नहीं। सकुल जी लिखते तो खाने पीने का बरणन बिस्तार से करते। पर उन्हें अब कहाँ फुरसत होगी। लगे होंगे मौज-मस्ती में। कल पहली पोस्ट जैसे फैंकी थी, लगता था हर घंटे नहीं तो हर दो घंटे में जिन्दा रिपोर्ट करेंगे। पर वे तो बस हरी झंडी दिखा कर गायब हो लिए।

संजय बेंगाणी said...

फोटो दर्शन का अपना सुख है. रपट पढ़/देख अच्छा लगा.

Dr. Shreesh K. Pathak said...

..आय...हाय बात कह डालने के अंदाज देखो यार....

अविनाश वाचस्पति said...

ध्‍यान रखिएगा

किसी का ब्‍लॉग न खो जाए

शिकायत करने वाले

पानी की खाली टंकी में

शिकायत डाल सकते हैं

उन पर त्‍वरित कार्रवाई की जाएगी

ऊंचाई पर की गई शिकायत

ऊंचाई तक ही जाएगी।

किसी ब्‍लॉगर को भी

मत खोने देना

सब हाथ और ऊंगली थाम कर
चलना

विचरना, टंकी पर कोई अकेले न चढ़ना

पर जिसकी ऊंगली थामी जाए

वो सही सलामत वापिस ले ले

कीबोर्ड के खटराग में

ऊंगलियां ही राग गाती हैं

यही ऊंगलियां कैमरे को क्लिकाती हैं

माउस को क्लिकाती है

इसके क्लिकाने से मुस्‍काता है मन

याद आ रहा है बचपन।

अनिल कान्त said...

Photo dekhkar aur aapke shabdon ko padhkar mazaa aa gaya :)

मुनीश ( munish ) said...

mazedaar ! have a great time there !

अर्कजेश said...

खूब मौज में लिखा है । आनंद आया ।

राज भाटिय़ा said...

भईया फ़ोटू तो बहुत सुंदर लगे, मजेदार, लेकिन ठहरने ओर खाने का इंतजाम केसा था, ओर किस ने किया हो सके तो जरुर लिखे

PD said...

bahut mast,,... :)

सतीश पंचम said...

टंकी तो बहुत मौके से मिल गई लगती है :)

और मौके से ही लुढकायमान बोतल को कैप्चर किया है। बहुत बढिया।

अच्छा विवरण।

Udan Tashtari said...

चाय साधुवादी :)

Pramendra Pratap Singh said...

अच्‍छा हुआ आप लोगो ने हिन्‍दुत्‍व की चाय नही कहा :)

अंडा खाना ठीक नही है, आप इलाहाबाद आये, जितना समय भी गुजार सका, बहुत अच्‍छा लगा, जरूर चाहूँगा कि ये पल फिर आये और साथ में आप भी। :)

हमारा उपहार याद रखियेगा, दिल्‍ली आने पर हक से मागेगे :)

अजय कुमार झा said...

हम सोच रहे हैं कि उहां दुकान लगाते तो कतना चलता ..बलोग्गिंग सम्मेलन के साथ व्यापार भी हो लेता..ठेलिये पर सही..कभी चाय का तो कभी कंघी का..कतना कस्टमर पक्का हो गये थे...आपका कंघी तो रतलामी जी लिये होंगे...काहे से सबसे जादे तो वही उपयोग करते हैं..अरे हम कह रहे हैं न..ओहो बाल बनाने के लिये नहीं जी...खुजाने के लिये...बहुते मजा कर रहे हैं आप लोग ..

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

" केवल एक कंघी लापता है...उसकी भी तफ्तीश जारी है। हमारे कमरे के साथी अनूप शुक्‍ल हैं"
पर लगता नहीं कि शुक्ल जी कंघी भी करते हैं:)

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

और हां, अब तो यह भी चर्चा जोरों में है कि ब्लागर बट गए हैं.... वो जो इस पर्व में शरीक रहे और वो जो नहीं रहे!!!!!!!!!!!

Anonymous said...

प्रो. नामवर सिंह
kaa blog to ab banvaa hi diya hoga aapne !!!!

aur un dono blogger ko jinkae vishay mae chokherbali par aksar likha jaata haen ki un par rape aur molestation kaa case chal rahaa unko manch par sunnaa kaesa rahaa

वीनस केसरी said...

सुबह भी जलेबी 'खानी पडीं'

कही पे निगाहे कही पे निशाना वाली बात कही आपने

वीनस केशरी

शरद कोकास said...

आपकी कंघी रवि जी के पास हो सकती है कम बालो को सवारने की ज़रूरत ज़्यादा होती है इसलिये । बाकि अंडे का फंडा तो पता चला है 47 रुपये खर्चा हुए एक गरीब के ।

बाल भवन जबलपुर said...

एतद द्वारा शरद जी को सूचित किया जा है कि अण्डों का सही मूल्य ४८/- था न कि ४७/- शुद्धि पत्र ज़ारी हो
आदेशानुसार जबलपुरिया ब्रिगेड

Yunus Khan said...

इलाहाबाद में आपसे मिलकर बड़ा मज़ा आया ।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

पृष्ठभूमि, आजू-बाजू, ऊपर-नीचे, खोया-पाया.

यही तो रपट है ब्‍लागराना.

- सुलभ (यादों का इंद्रजाल वाले)