बात की शुरूआत हल्के-फुल्के ढंग से की जाए तो लोगों की रूचि बन जाती है इसलिए मैं अपनी बात एक चुटकले से कर रहा हूँ। ये चुटकला आज अस्सी घाट के पास हासिल हुआ... यानि दिखा, लीजिए आप भी देखिए :
अब हँसना बंद कीजिए भई... पोस्टर पर विश्वास नहीं करते मत करो पर ह्यूमर के नंबर तो बनते हैं अगले के।
हम जा जमे एक पित्ज़ेरिया में जिसके बारे में हमें पहले हीबता दिया गया था कि अस्सी अवलोकन के लिए सबसे सही बाल्कनी सीट यही पित्ज़ेरिया है
हम जा बैठे गंगा और माहौल को पीने लगे जाहिर है कुछ आर्डर करना ही था तो हमने इस द्रव को चुना इससे पहले की बनारस में अवतरित हुए मोदी लठैत हमें घाट पर बीयर पीने के आरोप में दुरस्त करने आ धमकें देख लें कि ग्रीन टी भर है साथ में जैम वाली ब्राउन ब्रेड थी मतलब शाम बन गई । सेल्फी हम भी ले सकते हैं सरजी:
अब हँसना बंद कीजिए भई... पोस्टर पर विश्वास नहीं करते मत करो पर ह्यूमर के नंबर तो बनते हैं अगले के।
खैर हम आजकल बनारस में हैं तथा भले ही हम आम आदमी पार्टी के विधिवत सदस्य नहीं हैं किंतु बनारस आए हैं केजरीवाल-मोदी संघर्ष में केजरीवाल को समर्थन देने के लिए। इसलिए इस पोस्ट की बातें हमने ऐम्बेडिड साफ्ट ब्लॉग करार दी हैं जिसे आप डिस्क्लेमर मान सकते हैं। बनारस पर अपनी राय यह है कि बनारस एक घंटा शहर है, जो बजता नहीं वो बनारसी नहीं। फिर चाहे वो ट्रेफिक हो, लोग या धर्म यहॉं हरकुछ बस बजता है और खूब बजता है। खूब
नई चमचमाती इमारत में कोई पुरानी हवेली का अहाता आ बजता है तो इटालियन स्टाइल पित्ज़ेरिया में कुल्हड़।
सबसे ज्यादा बजते हैं लोग।
प्रचार आदि के बीच में डेढ़ेक घंटे का अंतराल था हम जा पहुँचे अस्सी:
यहॉं पुरोहिताई, पर्यटन, ठुल्लई सब थे और थी राजनीति :
हम जा जमे एक पित्ज़ेरिया में जिसके बारे में हमें पहले हीबता दिया गया था कि अस्सी अवलोकन के लिए सबसे सही बाल्कनी सीट यही पित्ज़ेरिया है
हम जा बैठे गंगा और माहौल को पीने लगे जाहिर है कुछ आर्डर करना ही था तो हमने इस द्रव को चुना इससे पहले की बनारस में अवतरित हुए मोदी लठैत हमें घाट पर बीयर पीने के आरोप में दुरस्त करने आ धमकें देख लें कि ग्रीन टी भर है साथ में जैम वाली ब्राउन ब्रेड थी मतलब शाम बन गई । सेल्फी हम भी ले सकते हैं सरजी:
अब दिल्ली वाले जानते हैं कि प्रदूषण ने किया हो या मोबाइल टावर ने परअब ऐसा कर दिया गया है कि घरेलू चिडि़या हमारे लिए विज्युअल एक्जॉटिका हो गई है।
वैसे शाम बन ही नहीं ढल भी गई थी अब चूंकि गंगा अपनी आरती करवाने की तैयारी करने लगी थीं इसलिए हम अपनी नास्तिकता को अक्षत बचाए वहॉं से निकल लिए
वापसी में हमारी नजर पड़ी की सीडि़यों पर रामदेव सटे पड़े हैं कि मोदी सेल में मुफ्त शिविर लगा अपने नंबर बढ़ाए जाएं
3 comments:
सुंदर!!!
आशा है कि बनारसी बनने के बाद आप भी घँटे नहीं तो घँटियाँ अवश्य बजायेंगे! :)
जियो, बाबू.
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