खचेढ़ू चाचा नू बताओ कि बालक जीजान से लड़े..लाठी पत्थर गाली खाई..भूखे प्यासे रहे और क्यूँ .. इसलिए कि भाषा जिसमें खाते-पीते-हगते-मूतते हैं उसमें इम्तिहान देने पर ईनाम मिले न मिले पर इसकी सजा नहीं होनी चाहिए। पर न जी... कितेक बेर कही पर जे सरकार बादर नई मान्ने तो न ही मान्ने।
ढीली अदवायन की चारपाई पर झूलते खचेढ़ू चाचा ने कही कि देख बेट्टा जे एक इम्तिहान, दो नौकरी, पॉंच गॉंव मांगोगे तो न मिलता झोट्टे का मूत... इसलिए बालकन ने कहिए कि दुनिया मांगो... तुम्हारी है तुम्हें ही मिलणी चाहिए... न दे त दीदे त दीदे मिला के कहो कि देख देणी त तुझे पड़ेगी। आज न त कल।
ढीली अदवायन की चारपाई पर झूलते खचेढ़ू चाचा ने कही कि देख बेट्टा जे एक इम्तिहान, दो नौकरी, पॉंच गॉंव मांगोगे तो न मिलता झोट्टे का मूत... इसलिए बालकन ने कहिए कि दुनिया मांगो... तुम्हारी है तुम्हें ही मिलणी चाहिए... न दे त दीदे त दीदे मिला के कहो कि देख देणी त तुझे पड़ेगी। आज न त कल।
No comments:
Post a Comment