Tuesday, August 26, 2014

सरहद ही माने तो काहे की आजादी

कल शचीन्‍द्र आर्य ने शिकायत की थी कि भई फेबु पोस्‍ट को ब्‍लॉग पर ला चेपना गलत बात है।  बात थोड़ा सही भी है अभी भी हिन्‍दी के लोग आनलाइन कोई अपार तो हैं नहीं जो हैं वो उधर भी हैं इधर भी ऐसे में दोनों जगह एक ही सामग्री पाठकश्रम के साथ अन्‍याय है। दूसरे ये भी कि ब्‍लॉगिंग व फेसबुकिंग दोनों की प्रकृति एक ही तो है नहीं। लेकिन दूसरा पक्ष भी है- फेबु पोस्‍ट की उम्र बेहद कम होती है कुछ मिनटों से लेकर एकाध घंटा फिर वह आती जाती या डूबती उतराती रहती है। जबकि ब्‍लॉग तुलनात्‍मक रूप से कहीं दीर्घायु होते हैं। इसलिए वे पेास्‍ट जिनके विषय में अगले को लगे कि इसका अचार बनाया जा सकता है उसे ब्‍लॉग के जार में रखकर धूप लगाने में कोई बुराई भी नहीं है। ब्‍लॉग पर डाली गई पोस्‍ट समझिए फिलहान अभिलेख बनाने के लिए हैं। ये जरूर है कि उधर से इधर चेपते समय उसमें लिंक फोटो तथा लेख में कुछ बदलाव या विस्‍तार की गुंजाइश रहनी चाहिए।
आज मुझे अपने इन्‍बाक्‍स में किसी बलूचिस्‍तान हाउस से बलूचिस्‍तान की आजादी के समर्थन में एक ईमेल प्राप्‍त हुई। मुझे कुछ हैरानी हुई, वो इसलिए कि मैं इस मुद्दे से कतई जुड़ा नहीं रहा हूॅ। व्‍यक्तिगत तौर पर मुझे लगा कि इसे किसी न किसी तरह भारत में फैलने फैलाने की छूट मिली रही है क्‍योंकि इतना निकट होते हुए भी मुझे कभी कश्‍मीर की आजादी के समर्थन में या उत्‍तरपूर्व के अलगाववादी (चाहें तो आजादी कह लें) आंदोलनों को इतना खुलकर प्रचार करते नहीं देखा। इस पर मेरी फेबु पोस्‍ट:
यदि आपके इन्‍बॉक्‍स में बिना किसी सदस्‍यता, रुचि आदि के अचानक ''बलूचिस्‍तान की आजादी'' के समर्थन में कोई ईमेल आ टपके जो किसी एक्टिविज्‍म से न उपजी हो वरन पीआर परिघटना लगे तो बलूचिस्‍तान या पाकिस्तान पर तो नहीं किंतु अपने आनलाइन एक्टिविज्‍म पर आलोचनात्‍मक नजर की जरूरत तो है। तो भैया बलूचिस्‍तान हाऊस वालो अगर वाकई पाकिस्‍तान में आपके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है, दमन का आप शिकार हैं तो मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं किंतु अगर किन्‍हीं भारतीय ऐजेंसियों के प्रभाव में आप फूल रहे हों तो जान लीजिए कि हम अपने ही देश के बीसियों समुदायों की इच्‍छा व मानवाधिकारों के लिए कुछ नहीं कर पाए हैं- इरोम शर्मिला आपको बता देंगी हमारे ''राज्‍य'' की हकीकत। व्‍यक्तिगत तौर पर जमीन से उभरे हर सांस्‍कृतिक/अस्मिता संघर्ष को मेरी शुभकामनाएं हैं जो देश कहे जाने वाले आतताई ढांचे से लड़ रहे होते हैं बशर्ते वे ऐसा किसी और देश के बहकावे या भरोसे न कर रहे होते हों। इस लिहाज से सिर्फ बलूचिस्‍तान ही क्‍यों कश्‍मीर, नागालैंड, तिब्‍बत सभी की आजादी के लिए शुभकामनाएं। 


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