Tuesday, January 10, 2006

बुदबुद फेन जीवन पुष्‍प


bubbled
Originally uploaded by masijeevi.

मेरा एक और फ्रैक्‍टल

5 comments:

रवि रतलामी said...

बढ़िया. जनाब कौन सा प्रोग्राम इस्तेमाल करते हैं जरा हमें भी तो बताएँ

अनुनाद सिंह said...

सुन्दर दीख रहा है, जैसे प्राकृतिक हो !

Pratik Pandey said...

मसिजीवी जी, कृपया आपकी इन कलाकृतियों का मतलब समझने का कुछ उपाय बताइये। मैं कला के मामले में बिल्‍कुल औरंग़ज़ेब हूँ।

मसिजीवी said...

रवि, अनुनाद ध्‍न्‍यवाद
मैं fe (fractal Explorer) का इस्‍तेमाल कर रहा हूँ। अभी हाथ आजमाने शुरू ही किए हैं।
प्रतीक :)
क्‍या कहूँ मुझे लोग सकल कला विहीना ही कहते हैं। अपनी राय बता सकता हूँ पर वह भी कम औरंगजेबाना न होगी। पर फ्रैक्‍टल तो गणितीय समीकरण भर हैं इसलिए कला तो उसमें देखने वाले को ही गढ़नी होगी।

Basera said...

बहुत बढ़िया