कादम्बनी में बालेन्दुजी के लेख के बाद फिर से छापे में ब्लॉग की कवरेज की ओर ब्लॉगरों का ध्यान गया है। अत: जरूरी जान पड़ा कि आपको याद दिलाया जाएं कि हिंदी ब्लॉगिंग पर एक नियमित कॉलम प्रतिष्ठित पत्रिका कथादेश में छपता हे जिसे अविनाश लिखते हैं। एक नई जानकारी ये है कि गंभीर समझे जाने वाले दैनिक जनसत्ता ने भी एक नियमित कालम अपने रविवारीय में पाक्षिक रूप से शुरू किया है। इस स्तंभ का शीर्षक है ब्लॉग लिखी। यह स्तंभ भी अविनाश ने ही लिखना शुरू किया है। यानि अब दो ही नियमित स्तंभ हैं- एक इंटरनेट का मोहल्ला जो कथादेश में आता है और दूसरा ब्लॉगलिखी जो जनसत्ता में शुरू हुआ। इस मायने में अविनाश की छापे में यह पहलकदमी निश्चय ही स्वागतयोग्य है।
इस रविवार को आए ब्लॉगलिखी का स्कैन्ड संस्करण इस प्रकार है-
(बड़े आकार में देखने के लिए क्लिक करें)
फिर भी हमने इतनी बदमजा हैडिंग क्यों दी, सनसनीखेजता के लिए नहीं वरन इसलिए कि दोस्तों से कुछ आजादी ले ली जाती है। कथादेश के स्तंभ में तो अविनाश अपने रंग में होते हैं- साफगोई होती है तथा साधुवादी सवर नहीं होता- किसी को बुरा लगे तो लगे वाला स्वर होता है- सो ठीक अविनाशोनुकूल है पर जनसत्ता में अब तक वो आजाद स्वर दिखा नहीं। शिष्टाचार को ताक पर रख कहे दे रहे हैं कि दोस्त बिंदास लिखो। है तो ये भी अच्छा पर हमें अविनाश से और बेहतर की उम्मीद है आखिर तमाम लोगों की तिरछी भौंहों के बावजूद वे इस साल के सबसे तेजी से आगे बढ़े ब्लॉगर हैं- टेक्नोराटी, चिट्ठाजगत या बाकी जो स्केल हो हर पर वे सबसे तेजी से बढे ब्लॉगर हैं- इसलिए मित्र हमारी अपेक्षाओं के ही लिए सही- इन बड़े नामों के पदार्पण पर हर्ष दिखाने की बजाय उन पर ध्यान केंद्रित करें जिनकी वजह से हिंदी ब्लॉगिगं सर्वाधिक लोकतांत्रिक किस्म की विधा है। आने दें चक्रधरों, राजकिशोरों, उदयप्रकाशों को अच्छी बात है आएं पर हिंदी की ब्लॉगिंग खास है इसलिए कि यहॉं वे आते हैं - जमते हैं, जो हिंदी लेखन में कहीं न थे- सागर, अरुण, शुएब, ज्ञानदत्त ....। सुनोगे अविनाश ??
16 comments:
ज़रूर सुनेंगे भाई। अभी बहरे नहीं हुए हैं। अगली बार यही विषय होगा।
नियमित कॉलम शुरु हुआ है तो लिखने के लिए नये-नये विषय, आयाम मिलते, तलाशे जाते रहेंगे। अविनाश की इस पहलकदमी से उनके साथ-साथ चिट्ठाकारी का प्रकाश भी तेजी से फैल रहा है।
aap kii post per hamesha esa kyon mehsoos hot hae hae kii aap ki gyandutt sae koi jyaatee dushmani hae
नहीं म्रित्र गुमनाम, यदि ऐसा लगा तो क्षमा, आपसे भी और ज्ञानदत्तजी से भी।
मैनें तो उन चिट्ठाकारों का नाम लिखा है जो हिन्दी चिट्ठाकारी की उपलब्धि हैं- सागर, अरुण, शुएब और ज्ञानदत्तजी जैसे लेखकों का लेखन हिंदी चिट्ठाकारी के लिए गर्व का विषय है, इसलिए भी कि अपने साईबर कैफे चलाने, फैक्टरी चलाने, नौकरी करने तथा प्रबंधन करने वाले कामोंके साथ साथ यदि वे इतना उम्दा लेखन कर पाते हैं तो इसलिए कि चिट्ठाकारी अन्य लेखन माध्यमों के विपरीत उन्हें स्वतंत्रता से सीधे पाठक तक पहुँचने का अवसर देती है।
आशा है आप एक बार फिर इसे पढेंगे, मैंने नामोल्लेख प्रशंसा में किया है। अन्यथा भी मैं उनके लेखन का प्रशंसक हूँ।
कथादेश लगभग नियमित पढ़ता हूँ और अविनाश जी का लेख भी. हमेशा से इस बात का कायल रहा हूँ कि वो प्रिट में ब्लॉग को लोकप्रिय बना रहे हैं. यह बहुत अच्छा कदम है. कदम्बिनी में कुछ बॉक्स में अविनाश जी के छोटे लेख होते हैं.
इन सब के लिये वो धन्यवाद के पात्र हैं.
अच्छी खबर!!
साधुवाद कहना ही होगा!
अविनाश जी का कदम साधुवादी है और आपका आलेख तो खैर है ही. :) मेरा नाम नहीं लिखे लिस्ट में? :)
@मैनें तो उन चिट्ठाकारों का नाम लिखा है जो हिन्दी चिट्ठाकारी की उपलब्धि हैं
aap kya kehna chahaetae hae kii hindi sirf saahitya kaaro kii bapotii hae yaa hindi mae lehkhan karnae kaa adhiikar kewal university mae pradhyapako ko hae .
aapne sidha vyang nahin ktaaksh kiya hae kyoki aapne pehlae चक्रधरों, राजकिशोरों, उदयप्रकाशों kaa naam likha phir सागर, अरुण, शुएब, ज्ञानदत्त. koi bevkhoof hee isae apni prshansaa samjehgaa . hindi ka prachaar aap nahin klar rahehae aap hindi lekhan ko apni baptii maan rahen haen . syaad aap ko pataa naa ho harivansh rai bachchan english kae hii vidvaan the aur yahi karn tha nehru family kae vo nikat thae. kabhie kabhie esaa lagta hae kii shyaad hindi blogging mae wohi achcha likh saktae hae jinkii english bahut week hae .
vyang karae per apman naa karae
@sameer
sadhuvaad keh diya yaani aap ko toh pehlae hee hit list mae rekh diya , gyandutt bahut neechay hae hit list mae saawdhan rahe
@ बेनाम
आने दें चक्रधरों, राजकिशोरों, उदयप्रकाशों को अच्छी बात है आएं पर हिंदी की ब्लॉगिंग खास है इसलिए कि यहॉं वे आते हैं - जमते हैं, जो हिंदी लेखन में कहीं न थे- सागर, अरुण, शुएब, ज्ञानदत्त ....।
यह ही वाक्य है - साफ ही कहता है कि भले ही राजकिशोर आदि बड़े नाम हों पर हिंदी ब्लॉगिंग की खासियत सागर, अरुण, शुएब, ज्ञानदत्त .... जैसे लेखक ही हैं।
आपकी मुझसे नाराजगी सरमाथे .. अब और क्या कहें।
yahan Uday ki kya aukat.....Avinash ko kuch pana hoga khush karke...Uday se kahin adhik vishnu nagar sakriya hain aur un sabse adhik bodhisattva aur Priyankar hain....kya Avinash Unaki charcha
karenge.....nahi..kyonki ye log garib hain Avinash ji takat ke pujari hain .....
abhay tewari aur Samir lala aur anup shukla se achcha gadya jis din ye sahitya kar likh den blog par batana....
gyan dutt aur Alok puranik aur chandhr bhushan aur pramod singh ke mukable in sahitykaron ki haisiyat hi kay hai....
ye sab tafari ke liye aaye hain ...sab mousami hain tikane vale nahin....avinash bhi chalne vala nahin mohalla ko ek do tippaniya milti hain aur samir lal aur gyan dutt ko bisiyon.....
fark bujhaya kuch,,,marde...yah sahitya aur kavita ki duniya nahin jahan kisi ko khush karke jama ja sake,.....
@ बेनाम मित्र (ये संभवत दूसरे वाले बेनाम हैं, पहले से भिन्न आपत्तियॉं हैं) अविनाश ने विष्णु नागर के ब्लॉग का उललेख किया है, काव्य पंक्तियों के साथ।
हमारा मूल मित्रवत आग्रह मात्र इतना था कि इस बात को समझा जाए कि बड़े नाम भी आएं ये अच्छा ही है पर हिंदी चिट्ठाकारी की पहचान नामवरों से नहीं- अलग अलग वृत्तियों में लगे, आम चिट्ठाकारों से है जो पेशेवर हिंदीवाले नहीं हैं
अविनाश ने इस आग्रह को स्वीकार किया है। शायद इतना काफी है।
पता नहीं कहाँ कहाँ क्या क्या छप रहा है. आप हिन्दी क्षेत्र में है तो पढ़ पाते है. अच्छा हो अविनाश इन्हे ब्लॉग पर भी रखते रहे.
pahale vaale benaam ko hama pahachaan gaye hai. vahee sarafiree mahilaa hai .usakaa baDee jaldee apamaan ho jaataa hai. aur doosaro ke bhee apamaan kee badee fikra rahatee hai use. usa kavayitree se kaho muh khol kar apanee bevakoofee kyo pradarshit karatee hai . dimaag kee kamee ko chup raha kar hee dhankaa jaa sakataa hai. vo kahate hai naa,shaayad sanskrit me'maunam moorkhasya shobhanam ';
purusho kii nazar mae toh har mahilla hee sarfiri ho tee hae jab khud kuch nahin karpaatae hae toh mahilaaoo pae lachan lagatae hae . ab lagata hae masijeevi sir ka blog bhi mahilo ka apmaan kaa adda banaegae
:)
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