धर्म के मामले में कुछ भी कहना अपनी ही अंगुलियॉं जलाना है पर हम ऐसा बार बार करते हैं, करते ही रहते हैं। आज ही एक समाचार देखा- सिस्टर अलफोंसा (साफ बता दें कि हम इन्हें नहीं जानते थे, खबर पढ़कर ही पता चला कि इनकी मृत्यु 1947 के आस पास हुई) को वेटीकन ने संत पदवी से नवाजने का निर्णय लिया है। हमें क्यों दिक्कत होनी चाहिए उनका चर्च उनकी संत। तिसपर ये घोर सांप्रदायिक सवाल भी उठाया जा सकता है कि भई पार्वत्याचार्य प्रकरण में तो कुछ नहीं बोले। देखा जाए तो सही बात हे कि लाख नौटंकी शामिल हो पर धर्म भी है तो एक सत्ता संरचना अब अगर उसमें स्त्रियों को भागीदारी मिलती है तो एक तरह से सत्ता में बदलाव तो आएगा ही इसलिए पार्वत्याचार्य हों या मदर टेरेसा और अब अलफोंसा जितनी स्त्रियॉं (जीवित और दिवंगत) धर्म नाम के गोरखधंधे में आएं अच्छा ही है। क्यों मोटी मोटी तोंद वाले महंत ही धर्म की दुकानों की मलाई खाते रहें इसमें औरतों को भी हिस्सा मिलना चाहिए। वैसे भी चर्च के लिए भी जरूरी हे कि वह ज्यादा से ज्यादा औरतों को अपने मिथकों व अन्य ढॉंचों में जगह दें ताकि चर्च जैसी संस्थाओं की वैधता बनी रहे।
दूसरी ओर जब संतत्व की घोषणा की पूरी नौटंकी पर विचार करते हैं तो दिक्कत होती है। अरे जब सबको पता ही है कि संत घोषणा चर्च का एक राजनैतिक फैसला है तो उसे वैसे ही व्यक्त किया जाना चाहिए। वेटीकन में सफेद चोगा पहनकर पोप खड़े हों और घोषणा करें कि भारत में एक संत की जरूरत महसूस हुई जो स्त्री हो तो हमने फलां-ढिंका को संत घोषित करने का निर्णय लिया है। आपकी दुकान है कोई क्योंकर एतराज करेगा चाहे जिसे अपना 'ब्रांड' घोषित करो। अगर ज्यादा धार्मिक दिखना है तो कह दें कि भारत के इसाइयों की भावनाओं का सम्मान करते हुए अमुक को अमुक पदवी दे रहे हैं। पर जब आप 2008 में अमुक चमत्कार हुआ (इस मामले में एक विक्लांग मकबरे पर पूजा के बाद कूदने फांदने लगा) जैसे तर्क देकर दुनिया को मूर्ख बनाने का उपक्रम करते हैं तो लगता है कि कम से कम दर्ज तो कर ही दें कि हुजुर हमें आपकी नौटंकी में दो धेले का यकीन नहीं है। ये अलग बात है कि जब सारे ही धर्म नौटंकियों में लीन हैं तो आप क्योंकर पीछे रहेंगे। तो संतन अलफोंसा, संतन पार्वत्याचार्य, संतन उमा भारती, संतन मायावती.... की जै जै जै।
3 comments:
एकदम सही लिखा है साहब आपने, मैंने भी जब एक बार "मदर टेरेसा" के बारे में लिखा था, तो मुझे भी व्यक्तिगत मेल पर गालियों की बौछार मिली थी… एक बार वह पोस्ट भी मुलाहिजा फ़रमायें…
मदर टेरेसा : एक गढ़ी गई संत और संदिग्ध मानवता सेविका
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2007/12/mother-teresa-crafted-saint.html
क्या इरादा है?? शुभकामनायें ले लो, मेरे खास मित्र जो हो.
संत मसिजीवी की जै...
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