Monday, December 22, 2008

दिल्‍ली में आम खपत की कला- 48° C

महानगरों में कला दिन व दिन उच्‍चभ्रू (बोले तो हाईब्रो) होती जा रही है। ऐसे में दिल्‍ली में चल रहा कला उत्‍सव 48 °C एक सुकूनदायी अनुभव है। देश विदेश के नामी गिरामी कलाकारों ने अपनी कलाकृतियॉं दिल्‍लीवासियों के लिए सामने रखी हैं लेकिन चमचमाती कलादीर्घाओं में नहीं वरन सार्वजनिक स्‍थलों पर। बेटिकट। निम्‍न स्‍थलों पर-

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रास्‍ते में पढ़ने वाली दो जगहों पर हम कल जा धमके। ये थीं कश्‍मीरी गेट तथा रामलीला मैदान

कुल जमा छ: कलाकृतियॉं यहॉं प्रदर्शित हैं। सभी कलाकृतियॉं बड़े आकार की हैं। कलाकृतियॉं सुबोध गुप्‍ता, समित बासु, अतुल भल्‍ला, जिनी बॉस, फ्रिसो विटवीन, संजीव शंकर की हैं। इन कलाकृतियों की तस्‍वीरें उनके लिए जो दिल्‍लीवासी नहीं हैं तथा जो दिल्‍लीवासी हैं उन्‍हें चाहिए पास की किसी कलाकृति की सराहना करने के लिए जरूर जाएं।

 

कश्‍मीरी गेट पर सुबोध गुप्‍ता की कृति-

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कश्‍मीरी गेट पर ही अतुल भल्‍ला की कलाकृति 'छबील'

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एक अन्‍य कोण से-

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रामलीला मैदान पर संजीव शंकर की कृति- जुगाड़

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रामलीला मैदान पर ही जिनी वॉस की कृति मिरेकल इन विटवीन

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रामलीला मैदान पर ही फ्रिसो विटवीन की कृति होकस-पॉकस

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एक अन्‍य कोण से-

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6 comments:

अनूप शुक्ल said...

अच्छा प्रयास है जी! हम लोग भी धर दें अपने ब्लागपोस्ट की प्रिंटिंग?

Gyan Darpan said...

बहुत अच्छी जानकारी देने का सरहनीय प्रयास |

Dipti said...

ये केवल कलाकृतियाँ नहीं है, बल्कि ये आम जनता को ग्लोबल वार्मिंग के प्रति सचेत भी कर रही हैं। जुगाड़ भविष्य है लकड़ियों का और मंडी हाउस पर लगी गिद्धों की तस्वीरें याद दिलाती है विलुप्त हो चुकी इस प्रजाति को। इसके साथ ही 48c के लोग नुक्कड़ नाटकों के ज़रिए भी ये काम रहे थे।

Vivek Gupta said...

सुंदर

Rajesh Roshan said...

मसिजीवी जी जानकारी देने के लिए धन्‍यवाद.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

अभी तो ४८ डिग्री है १०० दिग्री होगा तो क्या होगा। शायद कलाकार एम.एफ. हुसैन की तरह सफेद पर्दा लगाकर उस शून्यता का इज़हार करेगा!!