इधर उधर हांडते हुए अपने उपराष्ट्रपति साहब के अंतर्जालीय घर पर जा पहुँचे। सोचा देखें कि वे आजकल क्या कर रहे हैं। बेहद बिजी हैं...अब उनकी हालिया प्रेस रिलीज ही देखिए, पहले पेज पर 5 प्रेस रिलीज हैं सब की सब शोक व निंदा ही कर रही हैं मुंबई, असम, अगरतला, जोधपुर, दिल्ली की मौतों पर शोक और बस शोक।
19 comments:
मैं भी केवल खेद ही व्यक्त कर सकती हूँ इस बात पर कि मैं इनका नाम भूल गई थी या शायद कभी याद ही नहीं किया था । समाचार पत्रों में तो इनका नाम दिखा नहीं, इतना महत्वपूर्ण भी नहीं लगा कि नेट पर खोजती । आज नाम याद दिलाने/बताने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती
और कर भी क्या सकते हैं ? हमारे इस तंत्र में उनकी यही भूमिका है.
हैं वह माननीय अन्यथा कुछ और कहता .
घुघूती बासूती जी ने सही कहा - "आज नाम याद दिलाने/बताने के लिए धन्यवाद ।"
तो आप और क्या करवाना चाहते थे, इनसे? :)
घुघूती जी से सहमत, वाकई भूल गया था… आखिर कोई याद भी क्यों रखे? वो तो मनमोहन सिंह का नाम और चेहरा रोज अखबारों में आ जाता है इसलिये, वरना सोनिया गाँधी के अलावा देश को कुछ याद रखने की आवश्यकता नहीं है… जय हो…
लगे हाथों राष्ट्रपति कौन हैं ये भी बता देते !
वाकई खेद का विषय है कि आज दूसरी बार इनका नाम देखा-एक बार जब ये बने थे..एक बार आज!!
आज आप न बताते तो जाने कब देखते.
कैसे आभार कहूँ आपका.
क्या घुघूती जी नाम की ध्वनि से तय कर लेती हैं कि कोई नाम नेट पर खोजने लायक है अथवा नहीं ?
राष्ट्रपति,प्रधान मन्त्री और सोनिया से बेहतर आदमी के बारे में सिर्फ़ इसलिए जानना चाहते कि वह उपराष्ट्रपति हैं और और राज्य सभा की अध्यक्षता उनका सबसे महत्वपूर्ण सरकारी काम है?
'इसलिए जानना चाहते' की जगह 'इसलिए नहीं जानना नहीं चाहते' पढ़ें ।
पिछले उपराष्ट्रपतियों के नाम और काम यदि आपको याद रह गए हों तो कृपया वह भी बता दें.
हम कैसे झट व्यक्ति केंद्रित हो जाते हैं :)
छोटी सी पोस्ट का संकेत दे दनादन शोकमयी देश की स्थिति तथा उपराष्ट्रपति के स्टाफ द्वारा कई महत्वपूर्ण काम जो हामिद ने किए होंगे की उपेक्षा करने से पैदा विचित्र स्िथति की ओर था। दीवाली, ईद की बधाई तो कम से कम दी ही होगी, बीच में वे दिख जाती तो हर्ष-विषाद में संतुलन ही आ जाता।
बहुत से लोग तो हामिद का नाम सुनकर मुंशी प्रेमचन्द की ईदगाह का प्यारा सा हामिद ही याद आएगा जो अपनी दादी अमीना को चिमटा ले कर आता है
तो और का आस लगाए बैठे थे आप उप राष्ट्रपति महोदय से? माननीय राष्ट्रप्रमुख प्रभा जी की वेबसाइट भी देख आईये, अपने को नहीं लगता वहाँ भी इससे अधिक कुछ मिलेगा! :)
enke karyashaitra ko simit na mane ye khaid vyakat karne ke alawa badhai bhi dete hai. lekin kab khaid vyaqt karna hai aur kab badhai daini hai uska faisla ye khud lete hai, uske liye kisi ke mohtaj nahi hai.
ये जुगाड़ू ब्यूरोक्रेट थे। जुगाड़ से पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीसी बने फिर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और फिर अचानक उपराष्ट्रपति बन बैठे। शायद कहीं राजदूत भी रहे हैं, मुझे याद नहीं आ रहा। इनका इंटरव्यू मैंने किया है। इनका मानना है कि देश में मुसलमानों के साथ भेदभाव होता है। इनका साफ कहना है कि सिविल सर्विसेज में तो वही आयेंगे जो पढ़ेंगे लेकिन मुसलमान सिपाही और क्लर्क तो हो ही सकता है। अगर ये राष्ट्रपति भी बन जाएं तो आश्चर्य नहीं। कांग्रेस की महिमा अपरम्पार है। शून्य सामाजिक अवदान वाले व्यक्ति को वह राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री कुछ भी बना सकती है।
क्या सोनिया जी के वर्चस्व से
भारत को आज़ाद कराना
बहुत मुश्किल काम है ?
क्यूँकि उनके साये तले
तो बस सभी के नाम अँधेरे मेँ हैँ
हमे खेद है कि हम आपको ये नही बता सकते कि खेद व्यक्त करने के अलावा कुछ और करने को सोनिया जी ने मना किया हुआ है :)
मुसलमान है इस लिए उपराष्ट्रपति बना दिया ताकि सर्कुलर जिन्दा रहे ............... बिरादरी की वोट मिलती रहे.
Masijeevi,
Kya chaahte hain? Cynic ban jaana bada aasan hai.
Maheshwari Ji,
Yaar hain to up-rashtrapati, kam se kam pad ki izzat kar lein aap.
Nirankush
यह जानकारी वास्तव में रोचक है कि सितम्बर २७ से नवम्बर २७ तक दो महीनों में माननीय राष्ट्रपति जी ने प्रेस रिलीज के जरिये केवल शोक सम्वेदना ही व्यक्त की है.-यह सत्य उनकी आफिसिअल वेब साईट ने उजागर किया है.
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