Friday, January 09, 2009

पसंद न कर पाने के बहाने का अंत- नया ब्‍लॉगवाणी विज़ेट

घुघुतीजी ने एक बहुपसंदीदा पोस्‍ट लिखी थी जिसमें शिकायत थी कि 'बहुत अच्‍छा' कहकर खिसक लेने वाले टिप्‍पणीकार ब्‍लॉगवाणी में पसंद है का चटका क्‍यों नहीं लगाते।

एक बात जो मुझे समझ नहीं आती वह यह है कि बहुत से पाठक बहुत से चिट्ठों पर टिप्पणी में कहते हैं बहुत बढ़िया। परन्तु उसी चिट्ठे पर पसन्द में एक भी चटका ( या चटखा ? )नहीं लगा होता।

लेकिन सच्‍चाई ये है कि उन्‍हें समझ आ गया था कि इसकी वजह क्‍या है उन्‍होंने कहा-

इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि वे ये चिट्ठे ब्लॉगवाणी पर न पढ़कर किसी अन्य स्थान पर पढ़ते हैं

सच ही है कि पढें नागपुर में और पसंद करने वापस बंबई जाएं तब तो हो ली पसंद। सही तरीका तो यही है कि पढें और वहीं कमेंट के बराबर में या उसी पढे़ जा रह ब्‍लॉग पर ही पसंद की सुविधा हो तो मजा आए। हमने यही सलाह अपने कमेंट में दी थी-

मुझे लगता है कि पसंद व पाठ अलग अलग जगह होना इसकी वजह है। मतलब सिरिल को अब ऐसा औजार बनाना चाहिए के पोस्‍ट को चिट्ठे पर ही ब्‍लॉगवाणी के लिए पसंद किया जा सके

उद्यमी और मेधावी बालक सिरिल आ गए दबाब में और लीजिए अब ब्‍लॉगवाणी ने ये सुविधा दे दी है। आपको करना ये है कि ब्‍लॉगवाणी के मुखपृष्‍ठ पर दाईं ओर कोने में दिख रहे -

ScreenHunter_01 Jan. 09 11.44

बक्‍से को क्लिक करें और विजेट कोड लेकर अपने ब्‍लॉग में जहॉं चाहें चेप लें। साईडबार में चेपना सबसे आसान है लेकिन हमने तो पोस्‍ट के ठीक नीचे चेपा है ताकि किसी के पास आलस करने का कोई कारण न रहे, इसलिए भी कि गलती वलती से भी क्लिक हो सके :))। इस तरह पसंद पाने के लिए अच्‍छा लिखने की कोशिश के झंझट से पूरी तरह मुक्ति।  तो देर किस बात की नीचे दिख रहे पसंद पर चटकाएं और अपने विजेट को लेने के लिए ब्‍लॉगवाणी पर जा धमकें।

24 comments:

सुशील छौक्कर said...

हमने तो सुबह ही अपने ब्लोग पर चटका दी।

Unknown said...

अब लीजिये चटके पर चटका…

Dr. Devang Mehta said...

हमें भी ये पोस्ट पसंद आयी
चटाक

विवेक सिंह said...

मास्साब आपके ब्लॉग पर तो चटका दिखा नहीं . अन्यथा हम पसन्द करने की गलती कर ही देते :)

Udan Tashtari said...

ये सही रहा. अब अच्छा लिखने की जहमत नहीं उठाना पड़ेगी पसंद पाने के लिए. (जैसी जहमत तक अभी तक उठाता आ रहा हूँ, हा हा..आप तो जानते ही हो कि कितना वजन लूज कर गये इस मेहनत में हम);)

सही जुगाड़ है. आभार बताने का.

Ghost Buster said...

सिरिल को बधाई और धन्यवाद. बढ़िया काम किया. आपकी पोस्ट पर ही चटका लगा देते हैं. लेकिन गिना सिरिल के खाते में जायेगा.

Unknown said...

acchi jaankaari..ham bhi le lete hain chatkha ..

Dr Parveen Chopra said...

लो जी हम ने भी इस पोस्ट की पसंद पर मोहर लगा दी है ---- गिनती 9 से दस हो गई है। इस जानकारी के लिये शुक्रिया।

Pramendra Pratap Singh said...

अच्‍छी जानकारी है, आज करीब 1 महीने बाद ब्‍लागवाणी पर गया था, सर्वप्रथम आपको और सुरेश जी को पढ़ा और पंसद भी किया।

Vinay said...

हम बाद में बतायेंगे कि आपको बर्दाश्त कर पा रहे हैं या नहीं, पर अबकि यह तारीफ़ मुफ़त में ले लो


---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम

Anonymous said...

dekhkar achchha laga

Gyan Dutt Pandey said...

हमने काउण्टर १६ से १७ कर दिया! :)

रवि रतलामी said...

और हमारी डिमांड का क्या? - नक़ली पसंद को जमीन में गाड़ने का - वही कुछ कुछ डिग स्टाइल में बरी करने का :)

संजय बेंगाणी said...

सुविधा का असर दिख रहा है :)

ब्लॉगवाणी की यह युक्ति कारगर रही. बधाई

Anonymous said...

Good work but Cyril ji the basic idea is of Ghughuti ji. You must give credit to her always and also fees (profit sharing), if your organisation is working for profit. My humble suggestion is to name this tool as "Ghughuti Tool" or "Ghughuti Yantra".

CG said...

@सभी,

विजेट का उपयोग करने के लिये धन्यवाद :) इसका क्रेडिट तो सारा ही घुघुती जी की स्टार पोस्ट, व मसिजीवी जी के स्टार सुझाव को ही है.

@रवि जी,

अगर आप मुझे अपने आइडिये का mechanism समझायें तो उसे डेवेलपमेन्ट प्लान में डाल देता हूं.

Abhishek Ojha said...

हमने भी आपकी ये पोस्ट पसंद कर ली... रीडर से आए और पसंद करके चले गए, ब्लोग्वानी तक जाना ही नहीं पड़ा !

विष्णु बैरागी said...

मैं तो कुछ भी नहीं समझ पाया किन्‍तु चटका लगा कर 20 का 21 जरूर कर दिया।

अजित वडनेरकर said...

सिरिल को खूब खूब बधाई...वाकई उद्यमी बालक है...आपको भी शुक्रिया ...यहां न आते तो बेखबर ही रह जाते। वैसे पोस्ट के नीचे इसे लगाने की तरकीब क्या है ये ज़रूर बताइयेगा...

Udan Tashtari said...

क्या हुआ-इसे हटा क्यूँ दिया गया??

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

आपकी बताई सुविधा का लाभ उठा लिया गया है. धन्यवाद!

Anonymous said...

अभी तक किसी ने यह नहीं सूचित किया कि यह नायाब पसन्दा-पसन्दी सिर्फ़ ब्लॉगर वाले ब्लॉगों में ही लगाना मुमकिन है । मुक्त स्रोत के वर्ड प्रेस वाले चिट्ठे इससे मरहूम रहेंगे । सिरिल भी चिन्तित हैं ।
चटके पर चटका से मरहूम रहना मंजूर है - २१ टिप्पणियों के बाद पहला वदप्रेस वाला !
अल्पसंख्यकों की चिन्ता सिरिल को है !

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

सिरिल को बधाई और धन्यवाद. बढ़िया काम किया. आपकी पोस्ट पर ही चटका लगा देते हैं.

ताऊ रामपुरिया said...

ये लो जी, हमने तो आपको ..मेरा मतलब है कि आपकी पोस्ट को चटका दिया पर इस विजेट को हमारे ब्लाग पर कैसे ले जायें? बडी महाभारत का काम है जी ये तो.

रामराम.