Thursday, February 04, 2010

कुछ गलतफहमी कितनी प्रिय होती हैं

न जी इस गलतफहमी का चिट्ठाचर्चा, डोमेन स्‍क्‍वैटिंग या इस किस्म के किसी प्रकरण से कोई लेना देना नहीं, वहॉं की गलतफहमी में प्रिय तत्‍व अभी हमें नहीं मिले हैं मिलते ही सूचित करेंगे। यहॉं की गलतफहमी का संबंध हमारी एक अन्‍य पोस्‍ट से है। जब अमिताभ बच्‍चन ने ब्‍लॉगिंग शुरू की तो उस पर हिन्‍दी ब्लॉगजगत में कुछ चर्चा हुई थी, अफलातून ने ध्‍यान दिलाया था कि इसके पीछे अम्बानी का पैसा है, खैर हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत की इस हलचल को हमने अपनी एक पोस्‍ट में रखा था... हमारा ये अंग्रेजी ब्‍लॉग, हिन्‍दी ब्‍लॉगों के बारे में है। इसे आजकल कम ही अपडेट कर पाता हूँ।  इस ब्‍लॉग का सारा ट्रैफिक सर्च के माध्‍यम से ही आता है तथा टिप्‍पणी शायद ही कभी आती हैं हालांकि विजीटर काउंट खूब होता है। किंतु अगर इस अमिताभ वाली पोस्‍ट पर ध्‍यान दें तो आज तक कमेंट आ रहे हैं अधिकतर कमेंट सीधे अमिताभ बच्‍चन को संबोधित होते हैं, हिन्‍दी भाषी क्षेत्र के अमिताभ के प्रशंसक गगूल पर अमिताभ बच्‍चन पर्सनल ब्‍लॉग सर्च करते हैं तथा जैसे कि आप देख सकते हैं कि अमिताभ के अपने ब्‍लॉग के ठीक नीचे की कड़ी इस पोस्‍ट पर भेज देती है

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हालांकि पोस्‍ट में पढ़ने पर किसी तरह की गलतफहमी की गुंजाइश नहीं है पर शायद प्रेम ही नहीं फैन भी अंधा होता है इसलिए इसी पोस्‍ट पर कई लोग अमिताभ के बारे में अपने प्रशंसा भरे उद्गार इस पोस्‍ट पर दे गए हैं। इन्‍हें पढ़ना मजेदार है कोई अमित अंकल कहकर बुलाते है कोई गंगा किनारे से होने के कारण निकटता स्‍थापित करता है।

नमस्कार अमित अंकल,
मेरा नाम रचना है और हम आपसे कहना चाहते हैं की 'निः-शब्द' जैसे पिक्चर को करने के लिए आपने क्यों नहीं हमारे सामाजिक परिवेश के बारे मैं सोचा. आपका क्या कांसेप्ट था प्लस. हमे बताइए.

नमस्कार,
वाराणासी उत्तर प्रदेश से मैं विनोद कुंवर छोरा गंगा किनारेवाला और मेरी पत्नी संगम इलाहाबाद से,हमलोग आपके बहूत बड़े फेन हैं. मैं चाहता हूँ कि आप एक फिल्म वाराणासी में शूट कीजिये ताकि यादगार रहे एक बार जरूर आइये.
आपका.विनोद कुमार "दब्बू"

इस तरह गलतफहमी में पड़ने वालों में पत्रकार बिरादरी के लोग भी हैं :)

रेस्पेक्टेड अमिताभ जी,
आप से अटैच होने का मौका पाकर बेहद ख़ुशी का एहसास हो रहा है.
मैं आशुतोष श्रीवास्तवा, आजमगढ़ (उ.प.) में एक नेशनल इलैक्‍ट्रानिक मीडिया चैनल का जर्नलिस्ट हूँ. आप जब श्री अमर सिंह के साथ उनके घर आजमगढ़ ए थे तो आपको करीब से देखने का मौका मिला था. आज भी आपकी तस्वीरें आँखों के सामने रहती हैं. मैं बचपन से आपकी फिल्म्स देखते आया हूँ. इश्वर आपको स्वस्थ और दीर्घ आयु बनाये ये ही कामना है

सिर्फ प्‍यार ही नहीं लोग उपहार भी भेजने की सूचना देते हैं (काश उपहार के पते को लेकर भी ब्‍लॉग के पते की तरह कोई गलतफहमी होती :)

आज आपका इन्‍टरव्‍यू दैनिक भास्कर में पढ़ा. आज दैनिक भास्कर ने आपके बारे में सब कुछ लिखा है आपके 68वे बी'डे पर. आपके इन्‍टरव्‍यू में आपने कहा था क अगर कोई चैलेंजिंग काम हो तो में आज भी उसको करना चाहूँगा....

...दुनिया आपको एक से एक महंगे गिफ्ट्स देती है, मैं ज्यादा कुछ तो नहीं एक छोटा सा तोहफा आपके जलसा वाले बंगलो पर भेज रहा हूँ. यहाँ से भेजने में कुछ वक़्त लगा भी तो 10 दिनों में पहुच जायेगा. थैंक्‍स फॉर रीडिंग दिस कमेन्ट

हम जानते हैं कि बात हमें नहीं सुपरस्‍टार को कही गई है पर कोई हमारे घर को अमितजी का घर समझकर हमें गले लगा रहा है अफसोस भी है कि जो प्रेम किसी ओर के लिए था वो हम जैसे कुपात्र के कारण अटक गया .. पर ये भी सही है कि झुट्टा ही सही पर प्‍यारा तो लगता ही है।

11 comments:

PD said...

क्या मास्साब, आप तो मनोवैज्ञानिक भी हो चले हैं.. पहले ही लोगों के मन की बात पढ़ ली की लोग आपसे उसी विषय पर लिखने की अपेक्षा रख रहे हैं.. फिलहाल तो उस ब्लॉग पर लिखे कमेन्ट को पढ़ कर हम हंस रहे हैं,,
बढ़िया है.. :)

डॉ .अनुराग said...

गलतफहमिया "कंटाजीयस" भी होती है जी ......

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

लखनऊ आइएगा कभी तो बताइएगा। हम आप को बिना ग़लतफ़हमी के ही गले लगाने पहुँच जाएँगे। उस समय स्टार ब्लॉगर की मुद्रा मत धारण कर लीजिएगा :)

Anonymous said...

मास्साब, थोड़ा संभालकर मुस्काईयेगा, कहीं कोई नोटिस वोटिस न भेज दे...

Udan Tashtari said...

अंकल

कभी कनाडा आयें तो जरुर हमारे पास आइयेगा.

आंटी जी को भी नमस्ते कहियेगा.

:)

Sanjeet Tripathi said...

sahi hai boss, njoy karne ka only ;)

ghughutibasuti said...

हाहा! समीर जी की टिप्पणी पसन्द आई। मैं दोहराऊँगी नहीं।
घुघूती बासूती

मसिजीवी said...

@ समीरजी, अपने चहते कलाकार को अच्‍छे अच्‍छे गिफ्ट भेजना अच्‍छी आदत है कब भेज रहे हैं :)...पुत्रवधु एश आपके बारे में पूछती रहती है। (अमित)

Shiv said...

बहुत आनंद आया उस पोस्ट पर कमेन्ट पढ़कर.

संजय बेंगाणी said...

हमने तो अमिताभजी को उनके "अमन की आशा" वाले संदेश के लिए एक टिप्पणी दी थी, जो उनके ब्लॉग पर कभी दिखी ही नहीं.

Anonymous said...

Aap jiyen hazar baras
Har baras ke din hon pachs hazar.