तुम्हारा सच
तुम्हारा झूठ
तुम्हारी तलवार
तुम्हारी ढाल
तुम्हारी ध्वजा
तुम्हारी यलगार
दुर्ग तुम्हारे
युद्धनाद तुम्हारे
विजय तुम्हारी
विजित तुम्हारे
संदेश तुम्हारे
तुम्हारे हरकारे
तुम्हारे इस एकाकी समर में,
मेरा प्रेम
तीसरा पराजित पक्ष भर है।
वो न बिगुल है न हथियार
वो युद्ध-संधियों की इबारत में भी
नहीं है दर्ज।
इस पक्ष का
यह संख्यावाचक विशेषण भी
मेरा चुनाव नहीं है
पराजय मेरा कुल हासिल है
इस विक्षत बेगाने युद्ध में।
तुम्हारी देह पर
वैजयंती से सजे युद्धघाव तक
मुझे ही आहत करते हैं
रहे तीसरे पक्ष के अनदेखे घाव
किंतु वे दर्ज होते नहीं
यद्धों के इतिहास में।
तुम्हारा झूठ
तुम्हारी तलवार
तुम्हारी ढाल
तुम्हारी ध्वजा
तुम्हारी यलगार
दुर्ग तुम्हारे
युद्धनाद तुम्हारे
विजय तुम्हारी
विजित तुम्हारे
संदेश तुम्हारे
तुम्हारे हरकारे
तुम्हारे इस एकाकी समर में,
मेरा प्रेम
तीसरा पराजित पक्ष भर है।
वो न बिगुल है न हथियार
वो युद्ध-संधियों की इबारत में भी
नहीं है दर्ज।
इस पक्ष का
यह संख्यावाचक विशेषण भी
मेरा चुनाव नहीं है
पराजय मेरा कुल हासिल है
इस विक्षत बेगाने युद्ध में।
तुम्हारी देह पर
वैजयंती से सजे युद्धघाव तक
मुझे ही आहत करते हैं
रहे तीसरे पक्ष के अनदेखे घाव
किंतु वे दर्ज होते नहीं
यद्धों के इतिहास में।
1 comment:
वाह माट साब ..बहुत अच्छे
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