Wednesday, February 10, 2016

हाट की कविता

शब्दों के हाट से उसने
चंद शब्द मोल लिए
बदले में दिया थोड़ा सा खुद को
हाट के कारीगर को सौंपे वे शब्द
उसने गढ़ दी कविता
मेहनताने में दिया थोड़ा और खुद को
कविताओं को लिए टोकरी में फिर
वो खुद जा बैठा हाट में
खुद जो खुद से थोड़ा कम था
हाट की कविता के बदले
अब वो लेता है न जाने क्या
खुद लेकिन पूरा फिर से नहीं होता

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