Thursday, December 15, 2005

हिन्‍दी हाईपर टेक्‍स्‍ट की प्रकृति

विश्‍वविद्यालय के शिक्षकों के एक पुनश्‍चर्या कार्यक्रम में आलेख के लिए नीलिमा ने विषय सोचा है 'हिन्‍दी हाईपर टेक्‍स्‍ट की प्रकृति ' मैने सोचा कि देखें कि नेट पर क्‍या उपलब्‍ध है। नतीजा ठन ठन गोपाल। तो चिट्ठेकार बिरादरी के पंचो आप ही तय करो कि न जाने किस किस पर विचार हो रहा है पर माध्‍यम की ही अवहेलना। तो भैया कुछ सामग्री हो तो सुझाव दें। अपन गारंटी देते हैं कि आलेख तैयार होते ही झट ब्‍लाग में चस्‍पा करने के लिए मांग लेंगे।

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