लीजिए एक कार्टून देखें
जी हमें बिलकुल मालूम है कि अमरीका में जब कहते हैं इंडियन, तो उसका मतलब भारतीय नहीं होता। पर उसके बावजूद हमें इस कार्टून में बहुत कुछ चिढ़ाने वाला लगता है। आप क्या कहते हैं ?
यूँ तो एक सीधे सीधे संस्कृति के तत्वों का मामला है, कि भैया वहॉं यानि अमरीका में अपने समाज के एक तबके को लेकर जो दरअसल अमरीका का असल मालिक तबका है, यानि मूल अमरीकी लोग उन्हें लेकर वे क्या सोचा जाता है। केवल एक मुहावरे की वक्रता (गूस इज़ कुक्ड, का मतलब मुहावरे के रूप में होता है कि बज गया बैंड तुम्हारा) से हास्य के लिए पूरे समुदाय का मजाक...ये ठीक कैसे हो सकता है।
पर हमें मिर्च क्यों लगीं- सीधी वजह है कि ये कार्टून किसी बदतमीज बुश के अमरीका में नहीं छपा है। ये बाकायदा हमारे देश में स्टेट्समैन के दिल्ली संस्करण में कल छपा है, दरअसल पूरे देश में छपा है। सवाल सीधा है कि क्या हमारे अपने देश में भी 'इंडियन' का मतलब मैं मूल अमरीकी लगाऊं, क्या स्टेट्समैन का संपादक ये चाहता है, क्यों। जब इस देश की संस्कृति की निर्मिति में इस कार्टून की व्यंजना ही समाप्त हो जाती है तो इसे इस रूप में छापकर ये एहसास करवाने की क्या जरूरत है कि हमारे देश के नाम से वहॉं जंगलीपन व्यंजित होता है। जब ये कठपुतली संपादक वहॉं के अपने आकाओं से कोई सामग्री पाते हैं तो उसे छापने से पहले वो बिल्कुल उस पर विचार नहीं करते। ध्यान रहे कि मूल अमरीकी संदर्भ में लेने पर भी ये कार्टून उस संप्रदाय के लिए बाकायदा नस्लवादी कहा जाएगा।
2 comments:
स्टेट्समैन के दिल्ली संपादक की तो ^^%&^%)&*(*(&* । वो चर्चा मैं रहेना चाहता है , शायद।
वाकई! सही मुद्दा पकड़ा आपने!!
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