हम भी आपके वाले ही समाज में पैदा हुए इसलिए हमारे मन में भी छवियॉं राजा
रविवर्माई कलैंडरों को देख देख मिथकीकृत हुई हैं उसी के आधार पर कहता हूँ
कि तनिक ऑंख बंद कर भारतमाता बुदबुदाईए और देखिए आपके मन में कैसी छवि बनती
है बहुत संभावना है कि कोई निर्गुण निराकार नहीं वरन नीचे जो संघी
भारतमाता है उस किस्म की छवि बनेगी थोड़ा हेरफेर पर वही साड़ी पहनी आभूषणों
से भरी शायद शेर, कोई हथियार और हो सकता भगवा (या तिरंगा भी, कोई बात
नहीं) झंडा हाथ में लिए। पीछे एक नक्शा जिसमें पाकिस्तान/बांग्लादेश
भारत में ही विलीन है।
मैं कलाकार नहीं हूँ इसलिए गूगल से ही तस्वीर लेकर रख रहा हूँ किंतु इस राजा रविवर्मा शैली वाली तस्वीर के स्थान पर कोई हिज़ाब/नकाब वाली, नमाज में झुकी दुआ मॉंगती - भारत माता (या मादरेवतन) की छवि आती तब भी आप इतना ही सहज होते ?
मैं दोनों से ही असहज हूँ क्योंकि मेरे लिए भारत इतना सगुणरूप नहीं है लेकिन उसे जाने दें सच यह है कि सिंहवाहिनी भारतमाता की कल्पना आप कितना भी शब्दिक मुलम्मे चढ़ाएं लेकिन वह है बहुसंख्यकवाद ही। औवेसी हो या कोई अन्य जब आप उसके प्यार (देश से या किसी से भी) करने के तरीके को तय करने की कोशिश करते हैं आप दरअसल बहुसंख्यक तानाशाही की आहट लिए होते हैं।
मैं कलाकार नहीं हूँ इसलिए गूगल से ही तस्वीर लेकर रख रहा हूँ किंतु इस राजा रविवर्मा शैली वाली तस्वीर के स्थान पर कोई हिज़ाब/नकाब वाली, नमाज में झुकी दुआ मॉंगती - भारत माता (या मादरेवतन) की छवि आती तब भी आप इतना ही सहज होते ?
मैं दोनों से ही असहज हूँ क्योंकि मेरे लिए भारत इतना सगुणरूप नहीं है लेकिन उसे जाने दें सच यह है कि सिंहवाहिनी भारतमाता की कल्पना आप कितना भी शब्दिक मुलम्मे चढ़ाएं लेकिन वह है बहुसंख्यकवाद ही। औवेसी हो या कोई अन्य जब आप उसके प्यार (देश से या किसी से भी) करने के तरीके को तय करने की कोशिश करते हैं आप दरअसल बहुसंख्यक तानाशाही की आहट लिए होते हैं।
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