हंसने की नहीं,
मरने की नहीं
करने की भी नहीं
नहीं मुझसे और कोई उम्मीद न रखो
कि मेरे हाथ में कलम है।
लड़ने की नहीं
अड़ने की नहीं
धरने की भी नहीं
नहीं मुझसे और कोई उम्मीद न रखो
कि मेरे हाथ में कलम है।
कलम को मैंने बना लिया है
अपना ढाल हथियार और मोर्चा सब
शब्दों की नहीं
भाव की नहीं
त्रास की नहीं
सच की नहीं
अपने कुछ की भी नहीं
नहीं मुझसे और कोई उम्मीद न रखो
कि मेरे हाथ में कलम है।
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