Tuesday, March 29, 2016

कैद

मैंने
आइनों को तोड़ा सबसे पहले
चकनाचूर, किरिच किरिच उड़ा दीं
फिर इत्‍मीनान से गढ़ा खुद को
मैं जानती थी हमेशा से
कहा भी मुझे सपनों के उस सौदागर ने
जो बट्टे की मुद्रा में सौदे करता है
मैं जिसे मैंने गढ़ा है
वही मैं हूँ
वही हूँ मैं
मैं हूँ वही
आइनों में कैद न होंउंगी कभी
मैं अपनी गढ़न की कैद में हूँ प्रसन्‍न

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