(तस्वीर का गुणवत्ता के लिए क्षमा बेवकैम से ली है, वैसे इसका अंग्रेजी संस्करण दिल्ली पुलिस की साईट से लेकर नीचे चेपा गया है)
हमारी मर्द पुलिस द्वारा मर्दवाद का ऐसा औदात्तीकरण ......क्या बात है। वाह लुच्चई करने वाले ऐसा करते है क्योंकि वे मानते हैं ऐसा करना मर्दानगी है और लीजिए देवत्व ओड़कर हमारा राज्य भी अपनी पुलिस के माध्यम से कहता है कि मर्दानगी दिखाना तो बिल्कुल ठीक है बस यह समझ लीजिए कि उसे ऐसे नहीं वैसे दिखाएं। भलेमानसों कोई तो इन्हें बताए कि जब तक आप मर्दानगी को ग्राहय पूज्य महानता से पूर्ण बताते रहेंगे तब तक आप एक लुच्चे समाज को बढ़ावा दे रहे हैं।
आज के अखबारों में यह विज्ञापन था और फिर याद करने पर याद आया कि पहले भी दिल्ली पुलिस के विज्ञापन अभियानों में इसका इस्तेमाल हुआ है। जरा ध्यान दें कि चित्र में छेड़खानी की शिकार के अतिरिक्त एक और महिला भी है, शायद पुलिस कहना चाहती है कि उसकी चुप्पी तो ठीक है क्योंकि आखिर इसे रोकने का मामला तो मर्दानगी का मामला है...
आज के अखबारों में यह विज्ञापन था और फिर याद करने पर याद आया कि पहले भी दिल्ली पुलिस के विज्ञापन अभियानों में इसका इस्तेमाल हुआ है। जरा ध्यान दें कि चित्र में छेड़खानी की शिकार के अतिरिक्त एक और महिला भी है, शायद पुलिस कहना चाहती है कि उसकी चुप्पी तो ठीक है क्योंकि आखिर इसे रोकने का मामला तो मर्दानगी का मामला है...
2 comments:
शायद यह कहना बेहतर होता कि हमारा समाज गुंडागर्दी व दूसरे के कष्ट के प्रति उदासीन हो गया है । या हम कुछ भी बर्दाश्त करने को तैयार हैं । या फिर हम सब कायर हैं ।
घुघूती बासूती
ghughutibasuti.blogspot.com
miredmiragemusings.blogspot.com/
हम सब कायर है.
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