गूगल आउट ऑफ बाक्स परिकल्पनाएं करने के लिए जाना ही जाता है। जरा इस बात की कल्पना कीजिए कि आपको एक ऐसा मुफ्त (या बहुत कम शुरूआती कीमत तथा मुफ्त मासिक बिल के साथ) मोबाइल फोन उपलब्ध करवाया जाए जिसमें कैमरा हो, जीपीआरएस हो जिससे आपको जहॉं आप हैं वहॉं का मानचित्र तत्काल मिल पाएगा, वाई फाई तकनीक के हाटस्पाट भी उपलब्ध कराए जाएंगे--- हॉं भई गूगल ऐसा कर सकता है बल्कि कर रहा है। खालाजी का घर नहीं है वरन स्मार्ट बिजनेस समझ है। आपकी तस्वीरें, आपकी मूवमेंट का डाटा, आपके मोबाइल नेट का डाटा जिसमें ईमेल व सर्फिंग शामिल है, इन सब से गूगल आपके मोबाइल पर टेक्स्ट व वॉइस के ऐसे विज्ञापन उपलब्ध करवा पाएगा जिनकी आपको जरूरत होगी और इससे गूगल को मिलेंगे नोट, नोट और नोट। इसे कहते हैं बिजनेस और भविष्य की समझ जो गूगल दिखा रहा है। हाल में वाल स्ट्रीट जर्नल में इस आशय का एक लेख छपा है जो गूगल के इन इरादों का खुलासा करता है। वैसे ऐसा सुविधा संपन्न मोबाइल अमरीका व यूरोप में 2008 तक उपलब्ध करवा दिया जाएगा फिर बाकी दुनिया का भी नंबर आएगा।
वैसे सभी अमरीकी इस प्रस्ताव से बल्ले बल्ले नहीं कर रहे हैं- सबसे पहले तो सेलफोन कंपनियॉं चीखोपुकार कर रही हैं कि गूगल भी अब माइक्रोसॉफ्ट की तरह मोनोपोलिस्टिक हो रही है और उनका खानाखराब करने पर उतारू है तिस पर ग्राहकों को जबरिया विज्ञापन दिखाने को लेकर भी आपत्ति दर्ज की जा रही है, किंतु चूंकि अभी उतपाद पूरी तरह बाजार में नहीं हैं केवल प्रोटोटाईप ही उतारे गए हैं इसलिए पूरी तरह नहीं मालूम कि अंतिम उत्पाद में विज्ञापन देखने व क्लिक करने या न करने की आजादी अब की ही तरह उपभोक्ता के पास रहेगी कि नहीं, पर गूगल आमतौर पर इस बारे में समझदारी दिखाता रहा है। इतना जरूर है कि गूगल ने औपचारिक तौर पर अपने मोबाइल पोजेक्ट के बारे में गंभीर होने को स्वीकार कर लिया है तथा स्पैक्ट्रम के लिए दावेदारी भी पेश की है- मायने ये हैं कि गूगलफोन अफवाह नहीं वरन घटना है।
4 comments:
चीखोपुकार पर भी ध्यान देना चाहिए. एकाधिकार के फायदे और खतरे दोनों होते हैं.
अब ये जानकारी है, या ळालीपाप है
क्या-क्या करेंगे गूगलदेव!!
आगे आगे देखिये, होता है क्या.
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