कभी कभी विज्ञापन भी ताजगी से भर सकते हैं। मुद्रा विज्ञापन ऐजेंसी इन दिनों यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का एक कैंपेन देख रही है। 'आपके सपने सिर्फ आपके नहीं है'। इसी क्रम में 'दीदी' विज्ञापन भी देखने को मिला। बहुत बौद्धिकता झाड़नी हो तो हम इसे रिश्तों का बाजारीकरण वगैरह कहकर स्यापा कर सकते हैं पर मुझे यह विज्ञापन आकर्षक लगा। अक्सर बहनों के आपसी प्रेम पर रचनात्मक ध्यान कम जाता है, शायद इसलिए कि इस रिश्ते में आर्थिक, सामाजिक व अन्य दबाब अन्य रिश्तों की तुलना में इतने कम हैं कहानी में ट्विस्ट कम होता है और इसी वजह से ये रिश्ता इसकी गर्माहट और आनंद भी नजरअंदाज हो जाता है।
विज्ञापन हिन्दी व अंग्रेजी दोनों में है। अखबार में हिंदी में देखा था पर उसे स्कैन करने पर बहुत साफ नहीं दिखा इसलिए हिन्दी की पंक्तियों को टाईप कर छवि अंग्रेजी विज्ञापन से दी जा रही है जो इंटरनेट से ही मिली है।
शायद मैं कभी न जान पाउं कि उसने क्या क्या किया मेरे लिए
जैसे कि वो छोटी छोटी चीजें
बस में मेरे लिए सीट रोकना
तस्मे बॉंधना, मेरी गलती अपने ऊपर लेना
कितने साल गुजर गए. फिर भी जब वो पास होती है
तो मैं बन जाती हूँ एक बच्ची दुनिया से बेखबर
वो है मेरी दोस्त. मेरा पंचिंग बैग. मेरी दीदी.
10 comments:
जिसने भी इन पंक्तियों को लिखा है..इन्हें पूरा जिया ह. आनन्द आ गया. बहुत आभार.
हा हा हा , मजेदार और सच में सच्चा भी, :)
शानदार है जी। अच्छा लगा इसे अनुवाद और विज्ञापन भी!
वाकई बहुत ही संवेदना युक्त।
ह्म्म ! मै इसे महसूस कर सकती हूँ !
हाँ यह विज्ञापन अभियान ध्यान खिंचता है.
भारत में परिवार का महत्त्व है और सपने केवल अपने ही नहीं होते.
यहाँ न्यूयार्क लाईफ और मैटलाईफ के सभी विज्ञापन भी ऐसे ही दिल को छू लेने वाले होते हैं, कंट्रीवाईड के विज्ञापन भी जिंदगी का सच दिखाते बहुत मजेदार होते हैं।
कल मेरे एक दोस्त बता रहे थे की कम से कम ७०% विज्ञापन आजकल सेक्स की बात करते हैं. ऐसे में ये अलग हट के विज्ञापन हो तो ध्यान जायेगा ही. मुझे तो यही सीख मिली की जरूरी नहीं जो ७०% कर रहे हैं वो ही ध्यान खिचेगा.
sujata ji ki tarah hi mai bhi mahasus kar sakti hu.n.... yes she is my first love.
mudraa vighaypan desh ki naami compni hai,aur iske to kahne hi kya,laajawab hai badhai,
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