एक पुराने और बसे जमे दिल्ली के इस कॉलेज में मास्टर होने के कई लाभ हैं एक तो यही कि नामी हस्तियों का इस या उस बहाने आना हो जाता है। अभी पिछले सप्ताह पद्म विभूषण जयंत विष्णु नार्लिकर को सुनने का अवसर मिला था और कल ही हमने मनाया अपना वार्षिकोत्सव और अतिथि थे पद्म भूषण जनाब गुलजार और सच में उनसे साक्षात होना तो बाकायदा एक मन की दावत ही हो गई।
विद्यार्थियों को पुरस्कार बॉंटने इत्यादि औपचारिकताओं के बाद जब उन्होंने संबोधन दिया और अपनी नज्में सुनाई तब तो बस समॉं ही बंध गया।
गुलजार का लिखा जंगलबुक एनीमेशन का शुरुआती गीत 'जंगल जंगल बात चली है पता चला है......' मुझे बेहद पसंद रहा और अब मेरे दोनों बच्चों को बेहद पसंद है, .....कि जिगर में बड़ी आग है.......' की सृजनात्मकता मुझे हैरान करती है और वह भी बच्चों को ठुमकने लायक लगता है।......पर हैरानी की बात है कि ये दोनों गीत किसी एक गीतकार की रेंज में हैं। मनीष यहॉं वैसे ही गुलजार पर चर्चा कर ही रहे हैं। हम तो बस उनका बेहद सादा पर आकर्षक व्यक्तित्व देखकर केवल मोहित ही हो पाए।
अखबार को मिली एक कॉलम की खबर
1 comment:
मामूली शब्दों से खेलते हुए भी कोई गूढ़ बात कह जाना गुलजार की खासियत रही है । आपको उनके रूबरू होने का मौका मिला जानकर खुशी हुई ।
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