Wednesday, June 06, 2007

इस बार धनोल्‍टी

दिल्‍ली की ब्‍लॉगर मीट में नहीं पहुँच सके क्‍योंकि हम 3-4 दिन के लिए मसूरी के निकट ध‍नोल्‍टी में थे। दिल्‍ली की गर्मी और दिल्‍ली-मसूरी की भीड़भाड़ से दूर ये एक शांत व खूबसूरत जगह है। एक स्‍लाइड-शो वहॉं की तस्‍वीरें का-

10 comments:

अनूप शुक्ल said...

फोटो बढि़या ,विवरण जीरो। कुछ लिखा भे करो हीरो!

Anonymous said...

मैं अनूप जी से विवरण के बारे में सहमत हूँ, यात्रा विवरण भी तो लिखिए।

तस्वीरें अच्छी हैं, इनको और बढ़िया तरीके से लिया जा सकता था, "वो" बात नहीं आई। लेकिन लगे रहिए, प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफ़ैक्ट में विश्वास रखिए। :)

Udan Tashtari said...

विवरण को अब क्या कहें, दोनों जन तो कह गये. वैसे हमारी कुछ पुरानी यादें जुड़ी हैं भाई इस जगह से. अच्छा लगा कुरेदन महसूस करके. :)

Mohinder56 said...

सब लोग आप का दिल्ली की गर्मी सहते हुए ब्लागर्स मीट में इन्तजार करते रहे और आप थे कि ठंडी ठंडी हवा का आन्नद लेने के लिये पहाडों पर पहुंच गये.... १४ जुलाई के बारे में क्या ख्याल है ?..
स्लाईड शो सुन्दर है मगर विवरण की कमी है

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ! पर अब कुछ लिखना भी हो जाए । बहुत दिन से आपको पढ़ा नहीं है ।
घुघूती बासूती

Jitendra Chaudhary said...

१) विवरण के बिना फोटो नही देखी जाएंगी।
२) फोटो जल्दी मे काहे खींचे हो? फोटो खीचते समय छायावाद की छाप स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है।
३) बीबी का शक्ल भले ही छिपाओ, साली साहिबा की शक्ल भी नही दिखाए, ये बात ठीक नही।
४) अब तीन प्वाइन्ट पढ चुके हो तो विवरण लिखना चालू करो।
5) अगर कुछ और फोटो बंचे हो तो प्रतिबिम्ब और भारतयात्रा पर भी भेजो।

ePandit said...

फोटुएं शानदार हैं जी। कविताओं में तो छायावाद सुना था फोटुओं में भी देख लिया। कुछ जगह तो यह विशेष प्रभाव उत्पन्न कर रहा था पर कई जगह अनावश्यक था।

मसिजीवी said...

छायावाद...हा हा हा
फाटुएं कुल जमा दो कैमरों से लगभग 500 खींचीं गई (डिजीटल कैमरे में रील धुलवाने के खर्चे की चिंता जो नहीं होती) किंतु संयोग से इन चित्रों में रात्रि या शाम की तस्‍वीरें ही अधिक हैं।
वर्णन...भी किया जा रहा है बस इन कमबख्‍त एडमिशन्स के कारण थोड़ी व्‍यस्‍तता सी है। पर कोशिश करते हैं।

Rajeev (राजीव) said...

धनोल्टी के मनोरम दृष्य हैं। धनोल्टी बहुत शांत और मनोरम जगह है, हाँ, मॉल्स चाहने वालों को अवश्य निराश करेगी, मेरा 2 बार उस तरफ जाना हुआ था दोनों बार यह जगह बहुत भाई। और साहब आप तो आगे भी गये - टिहरी का भी चित्र जो है। पूरा वर्णन किया जाय तो क्या कहने!

Unknown said...

"badhiya hai..." ye vigyapan ki panktiyan nahi hain. sahi kah raha hun.