Saturday, June 30, 2007

ये दिल्‍ली वाली मीट की बात..... पहरुए सावधान रहना।

दिल्‍ली की आगामी ब्‍लॉगर मीट को बड़ी वाली मीट, अंतर्राष्‍ट्रीय हिदी चिट्ठाकार सम्‍मेलन आदि कहा जा सकता है और कहा जा रहा है। इसे जब अनूपजी ने ‘महा पंचायत’ करार दिया तो संजयजी ने झट सलाह दी कि भई ऐसा न कहें- मिल बैठने के लिए जा रहे हैं कोई पंचैटी नहीं हो रही है- जो भी हो सिर्फ संज्ञा का मामला है वरना है तो ये अलग किस्‍म की भेंट। इधर उधर छाना, लगा कि भई इस भेंटने में कई मजेदार अंडर करेंट भी बह रही हैं इसलिए हम फिलहाल ऐतिहासिक भर कहे देते हैं पहले से ही। किसी ब्‍लॉगर मीट का कोई ऐजेंडा नहीं हो सकता – न तो व्‍यक्‍त न हिडन। पर फिर भी हम वाकई कल्‍पना करने से अपने को रोक नहीं पा रहे हैं कि जब अविनाश संजयजी से मिलेंगे और गर्मजोशी से हाथ मिलाने की फोटोऑप औपचारिकता पूरी करेंगे तब उनके मन में क्‍या चल रहा होगा- उससे भी ज्‍यादा मजेदार यह कि जब जीतू भाई इस मीट में होगे तो गैर-नारदीय चिट्ठाकारों से कहने के लिए उनके पास क्‍या होगा...सच बहुत मजा आने वाला है और सरवणा भवन के लजीज व्‍यंजनों के बीच ही कुछ ऐतिहासिक क्षण भी परोसे जाने वाले हैं इस 'मीट' में – ये मीट की बात पहरुए सावधान रहना। (सरवणा भवन शुद्ध शाकाहारी व्‍यंजन परोसता है)


ये क्‍यों एक खास मीट है-

पहला कारण तो है नंबर- शीयर नंबर। जितने चिट्ठाकारों के इस मीट में शामिल होने की संभावना है उसके आधे भी हिंदी की किसी चिट्ठाकार मीट में अब तक शामिल नहीं हुए हैं। दुबई से जीतू आ रहे हैं, अमदाबाद से संजय तो यमुनानगर से श्रीश। कलकत्‍ता से प्रियंकरजी के आने की भी संभावना जताई जा रही है। दिल्‍ली तो खैर राजधानी ठहरी इसलिए सर्वश्री अविनाश, सृजन, रवीश, प्रत्‍यक्षा, अरुण, अमित, सुजाता, जगदीश, आलोक, मैथिली, भूपेन, काकेश, इष्‍टदेव आदि के भी शामिल होने में ज्‍यादा संदेह नहीं होना चाहिए- सब मिलाकर एक बड़ी संख्‍या बनती है। गैर नारदीय चिट्ठाकार यशवंत, सचिन आदि भी रहेंगे शायद खुद राहुल भी हों। तो भई गनीमत है कि रामलीला मैदान बुक नहीं करना पड़ा वरना आसार वैसे ही थे। हमें अब भी शक है कि 7 फीट की मेजेनिन छत वाले कॉफी डे में इतने चिट्ठाकार समाएंगे कैसे- अब जो कन्‍फर्म नहीं कर रहें हैं उन्‍हें वापस तो लौटा तो देंगे नहीं- ये कोई नारद तो है नहीं कि रजिस्‍ट्रेशन क्‍यों नहीं कराया- ये तो दिल्‍ली की मीट है और दिल्‍ली का दिल बड़ा है इसलिए बुला बुला कर लोग लाए जाएंगे। खैर डीटीसी में यात्रा करते करते जरा खिसकना यार की आदत है इसलिए ‘दिल में जगह होनी चाहिए’ जुमले के सहारे काम चल जाएगा।

बड़ी संख्‍या से ही जुड़ा मामला जो बेहद रोचक है वो यह है कि लफड़ों वाले बहुत से लोग शामिल होंगे- अविनाश तो खैर हैं ही (वैसे उनका कन्‍फर्मेशन भी दिखा नहीं , पर रहेंगे ही – रहना पड़ेगा) सो अविनाश-संजय मामला होगा। यदि भड़ासी होंगे तो ये देखना रह जाएगा कि भाषा पर होने वाली बात कहॉं तक जाएगी।भड़ासी मित्रों के आने की संभावना का पता चलते ही संजयजी ने प्रसन्‍न होकर पूछा 'उनके इरादे क्‍या हैं' :)। एक और बात इस मीट में अमित, जीतू जैसे कुछ विजार्ड्स को छोड़ दें तो भाषा वाले लोग ज्‍यादा रहेंगे यानि गीक नहीं- इंसान। तो बातों की दिशा -भाषा, शैली, समाज पर ही रहेगी। शायद टेंपलेट वगैरह पर भी हो चर्चा। पर ज्‍यादातर तो हमारी समझ में आ सकने वाले स्‍टफ पर ही होगी।

उसके बाद आएंगी इस मीट की रपटें- अगर 15 रपट आएंगी तो भई क्‍या लिखेंगे लोग। एक भला तो खैर यह होगा कि हर प्रतिभागी को 15 लिंक सीधे मिल जाएंगे और ये बड़ी बात है। खासकर नए चिट्ठेकार एक साथ इतने लिंक पाकर रैंक में कई पायदान ऊपर पहुँचेंगे जो हिंदी की चिट्ठाकारी के लिए अच्‍छा है। इसलिए जो लोग असमंजस में हैं कि आएं कि नहीं वे और न सही इस मुद्रा के लिए ही आने का मन बना लें कि टेक्‍नाराटी मैया (और अब चिट्ठाजगत.इन) के दरबार में आपकी पूछ बहुत बढ़ जाएगी। खैर तो रपट जो आएंगी और फिर उन पर प्रति-रपटें उनकी भी हमें खूब प्रतीक्षा है।
इसलिए सिर्फ दिल्‍ली के ही नहीं आगरा (क्‍या प्रतीक दो सो किमी टिकट 70 रूपए, आ जाओ यार), कानपुर और यहॉं वहॉं के सभी हिंदी चिट्ठाकार चले आएं हम प्रतीक्षा में हैं। अपना कन्‍फर्मेशन तुरंत भेजें। और हॉं पिछली बार की तरह अपने खाने का बिल किसी एक के मथ्‍थे मत मढ़ देना- अपना अपना खर्चा खुद उठाना।

13 comments:

मैथिली गुप्त said...

भले ही किसी भी मीट को झुमरी तलैया की मीट या और भी घटिया विशेषणों से नवाजा जाय पर किसी भी मीट से हम एक दूसरे के प्रति बनायी गयी गलत पूर्वधारणा की दीवार गिरा कर थोड़े और करीब आ जाते है. मेरा अपना तो यही अनुभव है. श्री मनीष जी से कल दिल्ली में हम कुछ लोग मिले और हम सभी ने अच्छा अनुभव ही किया.
इस महामीट में भी हम सभी प्यार ही बांटेगे. मुझे नहीं लगता कि किसी भी पहरुये को होने या सावधान रहने की जरूरत है.

ये ब्लागर्स मीट हिन्दी ब्लागर्स की है, क्या इसमें नारदीय या गैर नारदीय का मसला भी है?

कैफेकाफी डे की जगह कम पड़ेगी एसा अंदेशा तो मुझे भी था. पर कल श्री अमित जी से बातें हुई. उनका विश्वास है कि वे कैफेकाफी डे में पूरा इन्तजाम कर लेंगे. मुझे उनके विश्वास में विश्वास है.

"अब जो कन्‍फर्म नहीं कर रहें हैं उन्‍हें वापस तो लौटा तो देंगे नहीं"
अच्छा तो यह हो कि जो आ रहे हैं वे अपना कन्फर्मेशन http://hindibloggersmeet.blogspot.com पर दे दें. आयोजक आपका स्वागत करके प्रसन्न हीं होगें किन्तु वे आपके स्वागत के लिये तैयारी भी तो कर रखें.

खर्च शेयरिंग का सुझाव बहुत अच्छा है.

मसिजीवी said...

सौ फीसदी सहमत।।
मनीषजी से बात हुई पर मिल न पाया खेद रहेगा :(

Arun Arora said...

मिल बैठने के लिए जा रहे हैं
ये बात उलझन मे डालने वाली है,कपया साफ़ करे मिल कर ,बैठने जा रहे है,या बैठ कर मिलने,अगर आपके हिसाब से लोग पधार गये तो मिल कर ,ही बैठने जा रहे है होगी ,जिसकी संभावना अधिक है:)
अब चाहे कोई हमे ब्लोगर मीट का ठेकेदार कहे या मोची नाई की दुकान पर मिलने वाला प्राणी कह कर हसी उडाये,भाइ हम मिलने जुलने मे वि्श्वास रखने वाले एक निहायत छोटे सामाजिक तबके से आये प्राणी है,न हम उच्च वर्ग से है और ना ही दंभ भर सकने की हसीयत और इच्छा रखते है,हम यहा ब्लोगींग मे आकर इस नये संजाल समाज के द्वारा जुडे लोगो से हम भी संजाल द्वारा जुडे और अब आमने सामने मिलने का मौका,मिला है तो जरुर मिलना चाहेगे और कोई लाख हसी उडाये भाई जरुर आयेगे.
कल भी मनीष जी से मिलने गये थे.
बाकी आपकी राय से हमने इंटेलेक्चुअल बनने की योजना छोड दी है,वो तथाकथित उच्च अधिकारी वर्ग के तथाकथित इंटेलेक्चुअल ,अग्रेजी दा लोगो को ही मुबारक हॊ :)
मुझे तो मै भला,मेरा,पाजामा भला,दूसरे की उधार लेकर पहनी हुई पेंट नही देखनी चाहिये :)
अब साहब रही बात खाने की तो हम तो थॊडा सा ही खाते है सबको पता है तो आपका टिफ़िन ही शेयर करलेगे :)
उम्मीद है कि सब इसको प्ढ कर सूचना भेजने का कार्य अवश्य करेगे.

अच्छा तो यह हो कि जो आ रहे हैं वे अपना कन्फर्मेशन http://hindibloggersmeet.blogspot.com पर दे दें.

Anonymous said...

भाड़ा जुट गया तो 'चहुँप' जाएँगे।

ghughutibasuti said...

मैं तो आ रही हूँ । क्या साथ में पत्नी अपने पति या पति अपनी पत्नी को भी ला सकता
है ? आखिर वे भी तो जानना चाहेंगे कि किस चक्कर में अकसर उन्हें दाल सब्जी जली
मिलती है । पंगेबाज भाई , हम तो जमकर खाने वाले हैं और जगह भी ज्यादा घेरने वाले
हैं । हम तो अभी जाकर अपना नाम लिखवा देते
हैं ।
अपने खाने का बिल खुद भरने में क्या आपत्ति हो सकती है ?
घुघूती बासूती

सुजाता said...

हे हे हे ।ब्लागर बना दिया तो मीट से क्या डराते हो ।जो होगा सो दर्शनीय होगा । बाकी कोनो फिकिर मत करियो। हम आवेन्गे ।

Anonymous said...

जहाँ तक समाने की बात है तो भई कन्फर्मेशन किसलिए माँगी, इसलिए कि जगह का चुनाव करने में आसानी हो। और ऐसा भी नहीं है कि किसी छुट-पुट कोने में कन्फर्मेशन वाली पोस्ट छापी हो, बहुत लोगों ने पढ़ी है, जितनों ने पढ़ी उसके आधों ने भी कन्फ़र्म नहीं किया। अब अपन जगह का चुनाव तो कन्फर्मेशन और उसके बाद कुछ अंदाज़े से ही करेंगे न। फिर भी, विचार किया जा रहा है, जगह बदली भी जा सकती है, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

क्या साथ में पत्नी अपने पति या पति अपनी पत्नी को भी ला सकता है ?

बिलकुल ला सकता/सकती है जी, कोई टेन्शन नहीं है! :)

Jitendra Chaudhary said...

roman mein likhne ke liye maafi,

Sabhi saathiyon ka swagat hai, chahe ve narad par ho athva nahi, Is se koi farak nahi padta. bas hindi mein blog hona jaroori hai. Pati, Patni allowed hain.

Main vyaktigat roop Delhi ke sabhi hindi bloggers ko is blogger meet mein aane ka invitation deta hoon.

Is blogger meet ka koi agenda nahi hai, bas mil baithenge sabhi sangi saathi, ek doosre ki sunenge, kutch vivadaspad mudde bhi honge, un par bhi vichar vimarsh hoga. Aakhir hum sab saath saath hain, sabhi ke uddeshya ek hain. Blogger meet ke lagataar hone se log ek doosre ke kaafi kareeb aa jaate hain.

Internet par hindi ki Nayi Nayi sites ke aane se Hindi blog jagat main halchal aur badhegi, aur naye saathi aayenge, aur Web par hindi ko uchit mahatva milega.

सुनीता शानू said...

दिल्‍ली तो खैर राजधानी ठहरी इसलिए सर्वश्री अविनाश, सृजन, रवीश, प्रत्‍यक्षा, अरुण, अमित, सुजाता, जगदीश, आलोक, मैथिली, भूपेन, काकेश, इष्‍टदेव आदि के भी शामिल होने में ज्‍यादा संदेह नहीं होना चाहिए- सब मिलाकर एक बड़ी संख्‍या बनती है।

क्या बात है आपने हमारा नाम भी लिखना उचित नही समझा ...हम तो कबसे गाना गा रहे है कि आप सबसे मिलेंगे...आपको पसंद नही तो रहने देते है...:)

Udan Tashtari said...

:) अनेकों शुभकामनाऐं. आ नहीं पायेंगे.

मसिजीवी said...

कई बेहद आस बंधाती सुचनाएं हैं यहॉं तो- शुक्रिया अफलातूनजी जरूर 'चहुँपे'। घुघुतीजी आपसे मिलने की न जाने कब से चाह है- आपने अच्‍छा समाचार दिया। और हॉं ध्‍यान दें कि जीनवसाथी वर्ग के साथ होने की स्‍वस्‍थ परंपरा है हिंदी चिट्ठाकार सम्‍मेलनों में- पुरानी रपट देखें- इसी कारण हमें अविनाशजी केसाथ साथ मुक्‍ताजी से मिलने का भी अवसर प्राप्‍त हो पाया था।
अरे जिंतेंद्रजी, वाह। धन्‍यवाद टिपियाने के लिए। कैसी बीत रही हैं आपकी छुट्टियॉं ?
आपका कहना एकदम ठीक है...ये सब तो सद्भाव बढ़ाने के तरीके भर हैं।

आपकी शुभकामनओं का शुक्रिया समीर भाई- अब महसूस हो रहा होगा कि 'तटस्‍थ' होने के नुकसान भी होते हैं- धारा में रहते तो बह कर ही पहुँच जाते।

सुनीताजी आप भी क्‍या बात कहती हैं- ध्‍यान से देखें हमारा नाम भी नहीं है (केवल हाशिया वर्ग का नाम दिया- आप तो मुख्‍य डेलीगेट हैं :) जिन मित्रों के नाम न लिख पाया हूँ वे इसे मेरी अल्‍पज्ञता मानें न कि महत्‍व के किसी पद सोपान की घोषणा- मसलन विजेंद्र विज जी मिलने की बहुत चाह है तथा उन्‍होंने कन्‍फर्म भी कर दिया है पर नाम छूट गया-
सब पहुँचें-जरूर पहुँचें

अनूप शुक्ल said...

इस तरह की मीटिंगों का कोई एजेन्डा नही होता। मेल-मुलाकात अपने आप में एक उपलब्धि है।

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

मन तो जाने कब से बनाया हुआ है. कोशिश भी पूरी होगी. कुछ खाना खूना भी बान्ध के लाना है क्या? ( अपने लिये भी) .
खूब गुजरेगी जब मिल बैठेंगे दीवाने बीस.
...मिलते हैं