बहुधा इस बात पर हम लोगों ने चर्चा की है कि जब तक चिट्ठाकारी के साथ आजीविका का सवाल नहीं जुड़ेगा तब तक यह गैर पेशेवर सिमटा हुआ समुदाय ही रहेगा। पहले तो इस बात को लेकर ही असहजता थी पर धीरे धीरे अब विज्ञापन दिखने लगें हैं हम भी चेप चुके हैं मुख्यत: यह बताने के लिए हमारी सैद्धांतिक सहमति है कि व्यावयायिकता के सवाल को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। रविजी इस मामले में हम लोगों पथ प्रदर्शक हैं। किंतु पेशेवर ब्लॉगिंग का मतलब केवल यही नहीं लिया जाना चाहिए कि ब्लॉग पर लगे विज्ञापनों से कितनी आय हुई। हिंदी ब्लॉगिंग को एक और जमीन तलाशनी चाहिए वह है उन नौकरियों की जो आपके हाथ इसलिए लगें क्योंकि आप ब्लॉगर हैं। जॉब्स फार ब्लॉगर्स के प्रस्ताव अक्सर विज्ञापनों में दिखने लगे हैं। इन नौकरियों में अकसर कंटेंट-डेवेलपमेंट, संपादन, लेखन, पत्रकारिता आदि की नौकरियॉं हैं। वेतन आदि शुरुआती लिहाज से ठीकठाक ही होता है। पर समस्या अभी यह है कि नौकरियॉं सामान्यत: अंगेजी के ब्लॉगरों के लिए हैं पर इसकी वजह यह नहीं कि हिंदी ब्लॉगरों के उपयुक्त नौकरियॉं बाजार में नहीं हैं वरन यह है कि जॉब-मार्केट में हिंदी वाले लोगों को खोज रहे नियोक्ताओं में जागरूकता का अभाव है- वे स्किल्स तो वे ही खोज रहे हैं जो ब्लॉगरों में होती हैं- मसलन तत्काल लिख पाना, हल्के फुल्के गद्य में बात कह पाना, कंटेस्टड वातावरण में प्रतिक्रिया कर पाना, अंतर-वैयक्तिक संप्रेषण में योग्य होना आदि किंतु ये नियोक्ता अभी इस बात से अपरिचित हैं कि हिंदी में ब्लॉगरों का एक समुदाय बन रहा है जहॉं उन्हें आसानी से अपने मतलब के लोग मिल सकते हैं। यानि वे हमें खोज रहे हैं पर बिना ये जाने कि वे हमें खोज रहे हैं।
पर सवाल यह भी कि यदि हिंदी के ब्लॉगरों के लिए नौकरियॉं मिलने की नौबत आए भी तो क्या लेने वाले लोग हम लोगों में से हैं। हिंदी में संघर्षशील युवा ब्लॉगर कम हैं- लोग अपने अपने जमे जमाए नौकरी या पेशे में हैं। और स्वांत: सुखाय या भविष्य में निवेश के लिहाज से ब्लॉगिगं में हैं (कुछ 'हिंदी-सेवा' के क्षेत्र से भी हैं पर उस राजनीति की अभी नौकरियॉं निकलनी शुरू नहीं हुईं) पर फिर भी अनजमे अधजमे पत्रकार, विद्यार्थी आदि यदि हों तो उन्हें चाहिए कि वे इस प्रासंगिक नौकरियों में आवेदन करते हुए अपनी ब्लॉगिंग स्किल्स का उल्लेख प्रमुखता से करें। इसी प्रकार कंप्यूटर व पत्रकारिता के जमे जमाए लोग अगर नौकरियॉं देने की स्थिति में आ गए हों तो वे भी अपने अपने संस्थानों में योग्यताओं को तय करते समय ब्लॉगिंग का उल्लेख करना शुरू करें। एक बार शुरूआत होगी तो उम्मीद है कि हिंदी के चिट्ठाकारों पर भी नौकरियों की बरसात शुरू होगी। एक बार हिंदी ब्लॉगिंग के नाम पर नौकरियॉं मिली तो ये अपने आप में चिट्ठाकारी का ऐसा विज्ञापन होगा कि फिर तो बल्ले बल्ले हो जाएगी।
6 comments:
ठीक कहा साहेब, देखें क्या होता है।
लेकिन यकिन माने ब्लागरों का समय बदलने वाला है..हों जी हिन्दी का..।
हिन्दी पोर्टल में नौकरी करेंगे ?
घर बैठे हिन्दी में काम करने की नौकरी हो तो हम भी हैं लाईन में. ध्यान रखना भाई!! :)
लो जी, जब हमरे गुरु लाईन में लग लिए है तो हम काहे पाछू रहें।
अगर ऐसा हो जाए तो बहुत अच्छा होगा।
मासिजीवी जी
ब्लोगिन्ग में हम अभी अभी उतरें हैं, पर फ़िर भी अपनी किस्मत आजमाना चाहेगें, तो हम भी हैं लाइन में, हाथ पर हाथ धरे काहे बैठें, नियोक्ताओं में जागरुकता पैदा करने का बीढा न उठा लें अपन, क्या खयाल है?
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