मत मुड़ो
मत झुको
नीचे मत देखो
पदचिह्नों की भला कभी
किसी ने ली है जबाबदेही ?
हुई तो होगी बालू की
बालू के घरौंदे की
ऐसी भी कोई धँसता है धम्म से
एक कदम भर से।।
थामो गिरेबान
समुद्र का
इतना अथाह कि ले गया मेरी निगाहों को
साथ उस असीम अभिसार पर
इतना पास कैसे दिखता फिर
अगले ज्वार भर तक है यूँ भी
ये निशान भी घरौंदा भी
इतिहास घरौंदों को नहीं
क्षितिज राहियों को लिखता है।
मत झुको
नीचे मत देखो
पदचिह्नों की भला कभी
किसी ने ली है जबाबदेही ?
हुई तो होगी बालू की
बालू के घरौंदे की
ऐसी भी कोई धँसता है धम्म से
एक कदम भर से।।
थामो गिरेबान
समुद्र का
इतना अथाह कि ले गया मेरी निगाहों को
साथ उस असीम अभिसार पर
इतना पास कैसे दिखता फिर
अगले ज्वार भर तक है यूँ भी
ये निशान भी घरौंदा भी
इतिहास घरौंदों को नहीं
क्षितिज राहियों को लिखता है।
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