Thursday, September 13, 2007

हवा में रहेगी मेरे ख्‍याल की बिजली

पाक जलडमरूमध्‍य में डूबे किन्‍हीं पत्‍थरों को रामसेतु बताकर त्रिशूल ल‍हराते बंजरंगियों और गीता को राष्‍ट्रीय पवित्र पुस्‍तक घोषित करने पर उतारू जजों द्वारा विषाक्‍त कर दिए गए वातावरण में यदि आप भूल गए हों कि हम भगत सिंह जन्‍म शताब्‍दी वर्ष मना रहे हैं, तो आप की गलती नहीं।

हमारी पीढ़ी भगतसिंह की ऋणी है पर ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं है कि वे किसी स्‍वतंत्रता संघर्ष में शामिल थे जिसके नेतृत्‍व का दावा कांगेस ठोंकती है वरन वे जिस लड़ाई में शामिल थे व‍ह तो अभी जारी है। हाल में इस जन्‍मशताब्‍दी वर्ष के अवसर पर कुछ पतली पतली पुस्तिकाएं जारी हुईं- इनमें से एक ये है-

Bhagat Singh

इसमें मुझे अवतार सिंह की पाश की भगत सिंह पर लिखी कविता हाथ लगी। कुछ सपाट पर फिर भी पठनीय, देखें

शहीद भगतसिंह

                                                   पाश

शहीद भगतसिंह

पहला चिंतक था पंजाब का

सामाजिक संरचना पर जिसने

वैज्ञानिक नजरिए से विचार किया था

 

पहला बौद्धिक

जिसने सामाजिक विषमताओं की, पीड़ा की

जड़ों तक पहचान की थी

 

पहला देशभक्‍त

जिसके मन में

समाज सुधार का

एक निश्चित दृष्टिकोण था

 

पहला महान पंजाबी था वह

जिसने भावनाओं व बुद्धि के सामंजस्‍य के लिए

धुधली मान्‍यताओं का आसरा नहीं लिया था

 

ऐसा पहला पंजाबी

जो देशभक्ति के प्रदर्शनकारी  प्रपंच से

मुक्‍त हो सका

 

पंजाब की विचारधारा को उसकी देन

सांडर्स की हत्‍या

असेंबली में बम फेंकने और

फांसी पर लटक जाने से

कहीं अधिक है

भगतसिंह ने पहली बार

पंजाब को

जंगलीपन, पहलवानी व जहालत से

बुद्धिवाद की ओर मोड़ा था

 

जिस दिन फांसी दी गई उसे

उसकी कोठरी से

लेनिन की किताब मिली

जिसका एक पन्‍ना मोड़ा गया था

 

पंजाब की जवानी को

उसके आखिरी दिन से

इस मुड़े पन्‍ने से बढ़ना है आगे

चलना है आगे

 

7 comments:

मैथिली गुप्त said...

बहुत अच्छा लगा.
यदि आप इनके प्रकाशक के बारे में भी व्योरा दें तो मुझ जैसे व्यक्ति भी इन पुस्तकों को पा सकेंगे

मसिजीवी said...

मैथिलीजी, ये पुस्तिकाएं साहित्यिक पत्रिका उद्भावना का प्रकाशन है जिसे अजय कुमार निकालते हैं- अजय खुद आई आई टी दिल्‍ली से इंजीनियर बनकर निकले लेकिन हिन्‍दी को समर्पित हो गए 23 साल से उद्भावना निकाल रहे हैं।
संपादकीय पता है एच 55, सेक्‍टर 23 राजनगर, गाजियाबाद

उनका सार्वजनिक ईमेल है- ajay000@bol.net.in

Shastri JC Philip said...

साहित्यिक पत्रिका उद्भावना की जानकारी के लिये आभार. उनको जानकारी के लिये एक पत्र भेज दिया है -- शास्त्री जे सी फिलिप

आज का विचार: हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
इस विषय में मेरा और आपका योगदान कितना है??

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया भाई. इस कविता और पत्रिका के विषय में जानकारी के लिये आभार.

Pramendra Pratap Singh said...

माननीय न्‍यायमूर्ति की बात आपको गलत लगती है मौलना परस्‍त सरकार ने राम के अस्तित्‍व को नक्‍कर दिया वह सही है।

आप महान और आपकी आपकी सोच भी। भ्रम का चश्‍मा उतार के देखिए।

आपने एक अच्छा काम किया है, वो है शहीद भगत सिंह को याद, इसके लिये आप साधुवाद के पात्र है।

अजित वडनेरकर said...

धन्यवाद भाई

Anonymous said...

complete poetry of Paash in Punjabi, Hindi and other languages and much more about Paash and his life and times is available at my blog http://paash.wordpress.com