प्र.. ...............ये मसिजीवी क्या होता है ?(हम दोनों चुप...मैं स्थिति की मनोरंजकता पर और श्रीमती मैं अपशकुनी आशंका से)
मैं................. (चुप्प)
प्र................ पापा ये मसिजीवी क्या होता है ?
मैं................. तुमने ये कहॉं सुना ?
प्र................. पता नहीं। शायद किसी बुक में पढ़ा है
श्रीमती मैं.... (हँसते हुए) मुझे पता है कहॉं पढ़ा है। कंप्यूटर पर है न।
प्र.................. हॉं । पर बताओ न मसिजीवी क्या होता है।
मैं................. किसी का नाम होगा न।
प्र................. मतलब आपको भी नहीं पता।
मैं................ बताया तो किसी का नाम है
प्र................. अच्छा.. ये जिंदा है कि मर गया
ऐसे वक्त मैं जब अंग्रेजी ब्लॉगिंग गुमनामता (Anonymity) को एक अधिकार के रूप में स्वीकृत मानता है ओर शिवम विज ऐसा न करने देने पर सबको लताड़ रहे हैं। यूँ भी अंग्रेजी के अधिकांश ब्लॉग सुरक्षा कारणों से गुमनाम रूप से ही शुरू किए जाते हैं। मुझे याद है कि ब्लॉगर मीट में रिवर ने फोटोग्राफी की थी पर साथ ही सभी को हिदायत भी थी कि मीट के फोटोग्राफ्स कोई अपने ब्लॉग पर न डाले। हम सभी एक दूसरे को उसकी ब्लॉगर पहचान से संबोधित कर रहे थे मसलन मुझे मसिजीवी बुलाया जा रहा था जबकि कम से कम शिवम और रिवर तो मेरी वास्तविक पहचान से नावाकिफ नहीं थे (वैसे शिवम, शिवम ही हैं इसलिए उनकी पहचान में छिपाने जैसा कुछ नहीं)
किंतु जब हिंदी ब्लागिंग को देखें तो यहीं स्वतंत्र ब्लॉगिंग विधा के रास्ते में काफी मुश्किल दिखाई देती हैं मसलन छपास ओर अपना नाम देखने की खुजली (अब तो तस्वीर भी) इससे होता क्या है ? बेड़ागर्क होता है.... ब्लॉग प्रकाशन, प्रिंट प्रकाशन की छोटी बहन बनकर रह जाता है और चूंकि हम उसी पहचान के साथ होते हैं जो 'वास्तविक' जीवन की है तो उस दुनिया के पाखंड, पॉलिटिकल करेक्टनेस, महानता के व्यामोह, उदार सांप्रदायिक सद्भाव (तेरा इरफान मेरे इरफान से सफेद कैसे??) जैसे मुखौटे भी साथ आते हैं। जबकि अगर एक अपनाई पहचान रहे तो वह एक मुखौटा इस सच्ची जिंदगी के मुखौटों से मुक्ति दिला देता है। अवचेतन व्यक्त हो पाता है।
मेरी बात में क्या सच्चाई है ये तो शायद नीलिमा अपने शोध में बाद में खोज निकालेंगी उन्होंने ब्लॉगों के नामों पर तो ध्यान देना शुरू कर ही दिया है। पर मैं अपने बेटे के लिए किसी मुर्दे का नाम भर होकर खुश हूँ। और हिंदी ब्लॉगर.... आदि चंद गुमनाम ब्लॉगरों की ओर देख रहा हूँ कि ये बिरादरी कुछ बढ़े।
8 comments:
जड़ और जीवंत नामों से पूर्व हम यह तो तय करें कि ये नाम चिट्ठों के लिये तय करते हैं लोग या चिट्ठाकार के लिये। अब हमें तो कोई समझ में आया नहीं तो अंतरिम व्यवस्था ही कर ली। स्थायी क्या हो... कौन जाने!
आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके ब्लॉग का नाम पढ़कर मैंने कुछ ऐसा ही सवाल अपने पिताजी से पूछा कि 'मसिजीवी' का अर्थ क्या होता है तो उन्होंने बताया कि जो 'मुन्शी' का काम करे, मुन्शीगिरी, बही खातों से आजीविका चलाता हो।
उम्मीद है अब आप भी अपने बच्चे को मसिजीवी का अर्थ समझा सकेंगे।
यार, यह बिटिवा तो हमारा ही प्रश्न पूछ रहा है, बताओ तो शाब्दिक अर्थ कम से कम से. :)
बेटे के गैंग मे हम भी है, आप अलग.. हा हा :)
श्रीष का जवाब देखकर कर तो हम मसिजीवी कहलाये...आप नहीं. मगर संज्ञा मे परिभाषा का क्या काम, भले ही कोई मास्स्साब बतायें. :)
"हम उसी पहचान के साथ होते हैं जो 'वास्तविक' जीवन की है तो उस दुनिया के पाखंड, पॉलिटिकल करेक्टनेस, महानता के व्यामोह, उदार सांप्रदायिक सद्भाव (तेरा इरफान मेरे इरफान से सफेद कैसे??) जैसे मुखौटे भी साथ आते हैं। "
शायद यह सच हो, पर गुमनाम हो कर लिखने का सोच कर मुझे लगता है जैसे कि हममें अपनी बात कहने की हिम्मत नहीं थी इसलिए इसे छुप कर कहते हैं. पर अगर गुमनामी के बदले विभिन्न भेष बदल कर, बहरूपिया बन कर अलग अलग दृष्टिकोणों से बातों को सोचा जाये और उनके बारे में अलग अलग चिट्ठों में विभिन्न नामों से लिखा जाये, यह मुझे अधिक रोचक लगता है, हाँ उसके लिए समय कहाँ से आयेगा, उसकी दिक्कत हो सकती है.
आपकी इच्छा, जैसे चाहो लिखो. हमें पसन्द आया तो भी टिप्पणी करेंगे. न आया तो भी. :)
राजीव, चिट्ठों के नाम तो अभिव्यक्ति के लिए चुने गए नाम हैं मेरा संदर्भ अपनी पहचान का है कि क्या छद्म पहचान शायद ब्लॉगिंग के तेवर के लिहाज से बेहतर विकल्प है।
श्रीश व समीर भाई, मसिजीवी का अर्थ है मसि + जीव, मसि का अर्थ है स्याही (Ink) मसिजीवी का अर्थ हुआ स्याही पर जीने वाला (लेखक)
हां समय की मार तो है... जहां तक हिम्मत की बात है, ठीक हे कायर ही समझें उस गुमनाम को समझेंगे ना :) ओर महत्व तो बात का हे ना।
छिपे हुए मसिजीवी को थोड़ा बहुत बाहर लाने के गुनहगार तो हम होने जा रहे हैं। हमने आपको टैग किया है।यहां देखें
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