हमें आसार ठीक नजर नहीं आ रहे, अनिष्ट की आशंका हो रही है। पहले तो अविनाश ने घोषणा की कि 'मसिजीवी हिंदी ब्लॉगिंग के पुरोधा पुरुषों में से हैं '- और अब चिट्ठाजगत ने अपने बाजू में जो सूची लटकाई है- चिट्ठों के टॉप20 की, उसमें भी हमारा नाम दिया है। ये अच्छे आसार कतई नहीं है- इतिहास गवाह है कि जब जब किसी प्रोफेसर को हमने अपनी तारीफ करते पाया है – हमने अपनी नौकरी खो दी है। लगता है यहॉं भी दुकान समेटने के दिन आ गए हैं। अविनाश की तो चलो फिर भी समझ में आता है- मीडिया के व्यक्ति हैं गलत आकलन करने का उनका पेटेंट है- कलाम को बना रहे थे, या शिवराज पाटिल को – प्रतिभा पर तो कौन हैं’ टाईप आकलन ही था- रवीश की पोस्ट पढ़ लें। तो ठीक है अविनाश ने पुरोधा-उरोधा कह दिया है, गलती का अहसास होगा तो रवीश की ही तरह बाद में कह देंगे अपनी बात वापस लेते हैं- कोई पुरोधा नहीं है- ढक्कन चिट्ठाकार हैं। माफ करें।
हमारी चिंता है- चिट्ठाजगत से। हम मानते हैं कि हम न तीन में तेरह में। ये तीन व तेरह क्या होता है जानना चाहें तो संजीव की ‘वैज्ञानिक पोस्ट’ पढ़ लें। पर चिट्ठाजगत हमें तीन में तो नहीं पर तेरह में मानता है- समीर, फुरसतिया, ये....वो की संगत में लेजाकर बैठा दिया, हम तो लाज से गड़ ही गए, कहॉं ये महारथी लोग कहॉं हम।। सही है आलोकजी वगैरह का गुणगान एकाध सेमीनार वेमीनार में किया है पर उन्हें कौन सा पता है... और हमें ही क्या पता था कि वो एग्रीगेटर बना बैठेंगे। और अगर ये चापलूसी का इनाम होता तो भी ठीक ही था..क्योंकि इस कौशल के आ जाने से ‘नौकरियॉं’ छूटने के डर खत्म हो जाते।
पर ध्यान से देखा तो पता चला कि ये आलोक ने नहीं किया उनके कंप्यूटर ने खुद ही कर डाला है। लिखा था-
सक्रियता क्रं० क्या है?
धड़ाधड़ महाराज एक स्वचालित तंत्र है जो निम्न बातो का ध्यान रखते हुए चिट्ठों को क्रमबद्ध करता है।
आपके चिट्ठा लिखने की आवृति क्या है।
आपने आखरी लेख कब लिखा।
आपके लेख का उदाहरण कितने चिट्ठों की कितनी प्रविष्टियों में दिया गया। ध्यान रहे "उदाहरण" लेख feed में अवतरित होता हो।
"पसंदीदा चिट्ठे", "पसंदीदा लेख", "चिट्ठे सूचक", "सांकेतिकशब्द सूचक" सूची में आपको कितने प्रयोक्ताओं ने सूचीबद्ध किया है।
इस के लिए प्रयोग होने वाला सूत्र गोपनीय रहेगा, एवं समय के हिसाब से बदला भी जायेगा।
तो ये धड़ाधड़ महाराज की करतूत है- इसे अनदेखा करें। और अंतिम बात ध्यान से पढ़ें- डंके की चोट पर ‘गोपनीय’ – लोग सुबह से शाम तक गलियाते रहे कि नारद तानाशाह है- पारदर्शी नहीं है- अब उखाड़ लीजिए। चिट्ठाजगत,( नारद के लिए ‘हमारा’ कितने आराम से निकलता था- यहॉं नहीं), में मामला गोपनीय है। वैसे अच्छा है गोपनीय है- अगर सार्वजनिक होता तो डी वाई डीएक्स सिगमा जीटा टाईप ही तो होता- समझ तब भी नहीं आता और बेइज्जती अलग होती।
पर एक बात साफ है जो (गोपनीय) सूत्र इस कीबोर्डपीट को टॉप20 चिट्ठाकार मानता हो वह ठीक तो नहीं ही हो सकता। विपुलजी वो अपनी गिटर पिटर कीजिए कोई बग-सग है दूर कीजिए। हमें अपनी जगह दिखाएं- पूरी गोपनीयता के साथ।
4 comments:
गोपनीय,
अरे भाई सब कुछ तो बता दिया क्या-क्या पॉइंट पर है यह सूत्र। पॉर्मुला भी दे देंगे तो हम क्या करेंगे। लेकिन यह पक्का है, कोइ bias नहीं होगा, नहीं तो आलिक जी को उप्पर लाना मुशकिल न होता। बस थोड़ा इंतज़ार कूदेंगे मैदान में
विपुल
वैसे अच्छा है गोपनीय है- अगर सार्वजनिक होता तो डी वाई डीएक्स सिगमा जीटा टाईप ही तो होता- समझ तब भी नहीं आता और बेइज्जती अलग होती।
--सच कह रहे हो भाई...वरना तो हमारी बड़ी बेइज्जती होती. :) सुना था कि अभी टेस्टिंग ही चल रही है, ओफिसियली लान्च होने में आने में टाईम है, http://chitthacharcha.blogspot.com/2007/07/blog-post.html#comments
शायद तब ठीक हो जाये, हा हा!!!
अविनाश ने घोषणा की कि 'मसिजीवी हिंदी ब्लॉगिंग के पुरोधा पुरुषों में से हैं '-
इसमें गलत क्या है?
वाकई आप हिन्दी चिठ्ठाकारी के पुरोधा पुरुषों में से एक हैं। :)
पढ़कर जान कर अच्छा लगा. बधाई.
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